कामयाबी के कदम: मंजू के सपने को गुरु प्रीतम सिवाच ने हकीकत कर दिखाया
भारत को चैंपियनशिप दिलाने वाली बेटी का निजी जीवन संघर्षों से भरा है। उनके पिता वकील भगत चौरसिया बता रहे हैं संघर्ष की दास्तां कैसे जमीन से से आसमान तक का सफर रहा है।
- भारत ने महिला जूनियर हॉकी एशिया कप चैंपियनशिप टीम की सदस्य मंजू
सोनीपत: भारत ने महिला जूनियर हॉकी एशिया कप का खिताब जीत लिया है। जापान में खेले गए टूर्नामेंट में भारत ने 4 बार की चैंपियन साउथ कोरिया की टीम 2-1 से हराया और पहली बार चैंपियन बना। सोनीपत में पान की दुकान चलाने वाले की बेटी ने एशिया चैंपियन बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। भारत को चैंपियनशिप दिलाने वाली बेटी का निजी जीवन संघर्षों से भरा है। उनके पिता वकील भगत चौरसिया बता रहे हैं संघर्ष की दास्तां कैसे जमीन से से आसमान तक का सफर रहा है।
वकील भगत सिंह चौरसिया की बेटी मंजू स्वर्ण पदक विजेता टीम का हिस्सा बनी मां मुनावती देवी, भाई अमित और सुमित अपनी लाडली की जीत पर खुश हैं। यह परिवार गांव हसनपुर गोपालगंज बिहार से सोनीपत में आया मंजू के पिता वकील भगत चौरसिया ने फैक्ट्री में मजदूरी की, वर्तमान में वह कालुपुर चुंगी सोनीपत में पान की दुकान चलाते हैं। पहले किराए के मकान में रहे अभी कुछ समय से ब्रह्म नगर में रहते हैं।
भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रही प्रीतम सिवाच से उनकी मुलाकात हुई। कालूपुर चुंगी के पास में उनकी प्रीतम सिवाच महिला हॉकी एकेडमी है इस एकेडमी में अपनी बेटी को लेकर के गए। वकील भगत चौरसिया ने प्रीतम सिवाच से बोला कि उनकी बेटी का सपना है कि हॉकी आपकी तरह खेल कर नाम ऊंचा करे। लेकिन उनके पास बेटी को खेल प्रशिक्षण देने के लिए खर्चा करने को कुछ भी नहीं है। इस पर प्रीतम सिवाच ने उनसे कहा था कि गुरबत के अंदर पैदा होना कोई अभिषाप नहीं है। मजदूरी करके पेट पालना तो अच्छी बात है। उन्होंने हौंसला दिया और मंजू को हॉकी खेलने के लिए सारा सामान दिया। आने जाने का खर्चा किराया, हाकी की स्टीक दी और सारी वो सामान सुविधा जो खेल के लिए मंजू को चाहिए था उन्होंने दी। हमारी बेटी के सपने को तो प्रीतम सिवाच ने हकीकत में बदल दिया। उनकी बेटी मंजू भारत का नाम रोशन करने के लिए एक नई पहचान बना रही है। पूरे परिवार में खुशी का माहौल है, आंखों में आंसू आ जाते हैं, जब हम बेटी को बुलंदी पर खेलते देखते हैं। जिसका कोई नहीं होता उसका भगवान होता है और प्रीतम वास्तव उनके सामने एक भगवान के रूप में प्रकट हुई। उन्होंने हमारी बेटी की जिंदगी को बना दी। उनकी बदौलत अभी-अभी मंजू बेटी की रेलवे में नौकरी भी लग गई।
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