सोनीपत: पृथ्वी को बचाने के लिए हमें जैव विविधता को बचाना होगा -श्यो प्रसाद

श्यो प्रसाद ने पोस्टरों के माध्यम से ये भी बताया कि घनी हरियाली न केवल हमारी हवा को साफ करती है, बल्कि बारिश को भी लाती है और हमारे लिए स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करती है।वे मिट्टी को पोषक तत्वों से समृद्ध बनाते हैं और इससे हमारी कृषि और खाद्य सुरक्षा को लाभ होता है।

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सोनीपत, (अजीत कुमार): आज ग्राम पंचायत छिछड़ाना के गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल में जैव विविधता जागरूकता शिविर लगाया गया। जिसकी अध्यक्षता हरियाणा राज्य जैव विविधता बोर्ड से श्यो प्रसाद डिस्ट्रिक्ट कोर्डिनेटर सोनीपत ने की उन्होंने बताया कि जैव विविधता की रक्षा बेहद ज़रूरी है क्योंकि इसके ख़तरे में होने का मतलब है – मानव स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण संतुलन का ख़तरे में होना। जैव विविधता से तात्पर्य ‘जैविक विविधता’ से है। यह शब्द पृथ्वी पर जीवित-प्रजातियों की विशाल विविधता, विशेषकर पौधों की किस्मों को परिभाषित करने की कोशिश करता है। इसमें प्रजातियों की दुनिया के भीतर बहुत व्यापक आनुवंशिक विविधताएं शामिल हैं। कुल मिलाकर ये सब मिलकर एक अभिन्न पारिस्थितिकी तंत्र बनाते हैं।

जैव विविधता मानवता के लिए क्यों महत्वपूर्ण है? जैव विविधता ही है, जिसकी वजह से प्राकृतिक पर्यावरण बड़ी गड़बड़ियों के बावजूद संतुलन बनाए रखता है। जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं और महामारी के प्रकोप से लोग प्रभावित होते हैं और जैव विविधता ही है जो इन आपदाओं से बचाव करके और प्राकृतिक पर्यावरण में साम्य और संतुलन बहाल करके मानवता को बचाती है। उदाहरण के लिए, यदि वायु प्रदूषण और तापमान में वृद्धि के कारण मधुमक्खियां गायब हो जाएंगी, तो परागण (Pollination) नहीं होगा और पौधे हमारे लिए सब्जियां और फल देने में सक्षम न होंगे।

श्यो प्रसाद ने पोस्टरों के माध्यम से ये भी बताया कि घनी हरियाली न केवल हमारी हवा को साफ करती है, बल्कि बारिश को भी लाती है और हमारे लिए स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित करती है।वे मिट्टी को पोषक तत्वों से समृद्ध बनाते हैं और इससे हमारी कृषि और खाद्य सुरक्षा को लाभ होता है। मनुष्यों के लिए हानिरहित जीवाणु प्रजातियों को बढ़ावा देकर, प्रकृति हानिकारक जीवाणुओं पर भी अंकुश लगाती है। जैव विविधता में कोई भी गंभीर गड़बड़ी प्रकृति द्वारा हमें प्रदान किए जाने वाले इन सभी फायदों को भी बाधित कर देगी। यदि जैव विविधता खतरे में होगी, तो मानव स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था भी खतरे में होगी।

श्यो प्रसाद ने उदाहरण देकर सभा में उपस्थित बच्चों को बताया कि आयुर्वेद ही प्राकृतिक जड़ी-बूटियों पर निर्भर नहीं है। अनेक एलोपैथिक (Allopathic) दवाओं के निर्माण की स्रोत सामग्री भी पौधों से ही आती है। किसानों को अब एहसास हुआ है कि प्राकृतिक रूप से विकसित स्थानीय पौधों और जानवरों की नस्लें, कृत्रिम रूप से उत्पादित हाइब्रिड मवेशियों और पौधों की नस्लों की तुलना में, बीमारियों का बेहतर मुकाबला कर सकती हैं। अंत में आशा रानी स्कूल प्रिंसिपल ने अहम् जानकारी देने के लिए जिला समन्वयक सोनीपत का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर सत्यनारायण, ब्रह्मदत्त, सारिका आदि अध्यापकगण मौजूद रहें।

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