सोनीपत: अंग्रेजों के जुल्म और हिंदुस्तानियों के बलिदान की यह दास्तान-ए-रोहनात: विधायक बड़ौली

रोहनात के अमर बलिदानियों को नमन करते हैं। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों व शहीदों की कुर्बानी की बदौलत ही आज हम आजाद हवा में स्वांस ले रहे हैं।

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  • दास्तान-ए-रोहनात ने जगाया देशभक्ति का जज्बा, युवाओं के लिए दिया एकता का संदेश: कुलपति
  • आजादी के अमृत महोत्सव की श्रंखला में डीसीआरयूएसटी में किया गया दास्तान-ए-रोहनात नाटक का मंचन

नरेंद्र शर्मा परवाना  

सोनीपत। विधायक मोहनलाल बड़ौली ने कहा कि अंग्रेजों के जुल्मों-यातनाओं और हिंदुस्तानियों के गौरवमयी बलिदान की कहानी है दास्तान-ए-रोहनात। रोहनात के अमर बलिदानियों को नमन करते हैं। हमारे स्वतंत्रता सेनानियों व शहीदों की कुर्बानी की बदौलत ही आज हम आजाद हवा में स्वांस ले रहे हैं।

रविवार को दीनबंधु छोटूराम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय मुरथल में सूचना, जन संपर्क एवं भाषा विभाग के तत्वावधान में दास्तान-ए-रोहनात नाटक का मंचन किया गया, जिसका शुभारंभ दीप प्रज्वलित कर मुख्यातिथि के रूप में राई हलका विधायक मोहनलाल बड़ौली ने किया। जबकि अध्यक्षता डीसीआरयूएसटी के कुलपति प्रो. राजेंद्र कुमार अनायत ने की।

विधायक बड़ौली ने बताया कि सरकार ने आजादी का अमृत महोत्सव और 75 सप्ताह तक मनाने का निर्णय लिया है, इन कार्यक्रमों के माध्यम से हमें अपने शहीदों के बलिदान को जानने का अवसर मिल रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को आत्मनिर्भर बनाने का स्वप्न संजोया है, जिसे पूरा करने के लिए उन्होंने आने वाले 25 वर्षों में कुछ न कुछ बेहतरीन करने के लिए प्रोत्साहन दिया है। इसके लिए उन्होंने पांच मंत्र दिए हैं, जिनका अनुुकरण कर हम अपना विशेष योगदान दे सकते हैं। भारत को पुन: विश्व का सिरमौर बनाने के लिए हमें एकजुट होकर ईमानदारी से प्रयास करने होंगे।

अध्यक्षीय उदबोधन में डीसीआरयूएसटी के कुलपति प्रो. राजेंद्र कुमार अनायत ने दास्तान-ए-रोहनात मंचन की बधाई दी। उन्होंने कहा कि नाटक मंचन ने देशभक्ति के जज्बे को बल दिया है। नाटक के माध्यम से युवाओं को एकता का संदेश दिया गया है। मंच का संचालन बेहद कुशलतापूर्वक विख्यात उद्बोधक भूमिका शर्मा ने किया। डीसीआरयूएसटी के रजिस्ट्रार सुरेश कुमार, राकेश मलिक, डा. आनंद शर्मा, पीआरओ डा. प्रवेश गहलोत, एडवोकेट पवन दुग्गल, एक्सईएन प्रशांत कौशिक सहित अनेकों गणमान्य व्यक्ति तथा छात्र-छात्राएं मौजूद थे।

Sonipat: This story of British oppression and sacrifice of Indians: MLA Badauli
सोनीपत: अंग्रेजों के जुल्मों-यातनाओं और हिंदुस्तानियों के गौरवमयी बलिदान की कहानी है दास्तान-ए-रोहनात नाटक का मंचन करते हुए कलाकार।

दास्तान-ए-रोहनात की भूमिका
दास्तान-ए-रोहनात हरियाणा का अब तक का सबसे बड़ा नाटक है जिसे सूचना एवं जनसंपर्क विभाग हरियाणा सरकार द्वारा तैयार करवाया गया है। सूचना जनसंपर्क विभाग के महानिदेशक डॉ. अमित अग्रवाल के मार्गदर्शन में तैयार हुए इस नाटक का निर्देशन संगीत नाटक अकादमी सम्मान के उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार से सम्मानित मनीष जोशी ने किया है। नाटक की नृत्य संरचना प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना राखी दुबे ने की है। लेखन यशराज शर्मा का है और वस्त्र सज्जा और मंच सज्जा सारांश भट्ट द्वारा की गई है।

भारत के उन सपूतों को याद किया जाना है जिनके नाम इतिहास में दर्ज नहीं हो पाए। जाने-अनजाने उन्हें भूला दिया गया है। ऐसे ही तीन योद्धा हुए हैं नौंदा राम, बिरड़ादास और रूपराम खाती, जिनके नाम इतिहास में दर्ज नहीं हो पाए लेकिन ये योद्धा देश के लिए अपना फर्ज निभा गए।

रोहनात (हरियाणा) गांव के ये वीर अंग्रेजों के जुल्म का शिकार हुए। बिरड़ादास को जालिम अंग्रेजों ने तोप के गोले से उड़ा दिया वहीं  नौंदा राम और और रूपराम को गिरडी से कुचल कर मार दिया था। कहा जाता है कि मंगल पांडे भी इनसे मिलने आता था और वहां के लोगों को संगठित करने में इनका बड़ा योगदान रहा है।

गाँव रोहनात का अपना एक इतिहास है। यह भारत का एक ऐसा गाँव है जिसने आज़ादी के 71 साल बाद भी तिरंगा नहीं फहराया लेकिन श्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यकाल में इस गाँव में धूम धाम से तिरंगा झण्डा फहराया गया। नाटक के जरिए इस गाँव के वीर योद्धाओं की गाथा कही जाएगी। लगभग 20 कलाकारों द्वारा इस नाटक का प्रदर्शन किया जाएगा ।

नाटक का सार
वो 29 मई 1857 की तारीख थीढ्ढ हरियाणा के रोहनात गांव में ब्रिटिश फ़ौज ने बदला लेने के इरादे से एक बर्बर ख़ूनखऱाबे को अंजाम दिया थाढ्ढ बदले की आग में ईस्ट इंडिया कंपनी के घुड़सवार सैनिकों ने पूरे गांव को नष्ट कर दियाढ्ढ लोग गांव छोडक़र भागने लगे और पीछे रह गई वो तपती धरती जिस पर दशकों तक कोई आबादी नहीं बसी। दरअसल यह 1857 के गदर या सैनिक विद्रोह, जिसे स्वतंत्रता की पहली लड़ाई भी कहते हैं, के दौरान ब्रिटिश अधिकारियों के कत्लेआम की जवाबी कार्रवाई थी।

रोहनात गांव, हरियाणा के हिसार ज़िले के हांसी शहर से कुछ मील की दूरी पर दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। गांव वालों से बदला लेने के लिए ब्रिटिश सेना की टुकड़ी ने रोहनात गांव को तबाह कर दिया। बागी होने के संदेह में उन्होंने निर्दोष लोगों को पकड़ा, पीने का पानी लेने से रोकने के लिए एक कुंए के मुंह को मिट्टी से ढक दिया और लोगों को फ़ांसी पर लटका दिया।

डेढ़ सौ साल बीत जाने के बाद आज भी गांव उस सदमे से उबर नहीं सका। गांव के बुजुर्ग कुंए को देख कर उस डरावनी कहानी को याद करते हैं।

गांव के घरों को तबाह करने के लिए आठ तोपों से गोलों बरसाए गए। जिसके डर से औरतें और बच्चे बुजुर्गों को छोड़ कर गांव से भाग गए। अंधाधुंध दागे गए गोलों की वजह से लगभग 100 लोग मारे गए। पकड़े गए कुछ लोगों को गांव की सरहद पर पुराने बरगद के पेड़ से लटका कर फ़ांसी दे दी गई।

जिसने भी ब्रिटिश अधिकारियों को मारने की बात कबूल की, उन्हें तोप से बांध कर उड़ा दिया गया। इस घटना के महीनों बाद तक यहां कोई इंसान नजऱ नहीं आया। पूरे गांव की ज़मीन को नीलाम कर दिया गया। तब से लेकर सन 2018 तक यहाँ के निवासियों ने अपने आप को आज़ाद नहीं माना। मौजूदा सरकार ने इस मसले को सुलझाया और रोहनात आज़ाद हुआ। अंग्रेजों का कहर यहीं खत्म नहीं हुआ। पकड़े गए कुछ लोगों को हिसार ले जा कर खुले आम बर्बर तरीके से एक बड़े रोड रोलर के नीचे कुचल दिया गया, ताकि भविष्य में ये बागियों के लिए सबक बने। जिस सडक़ पर इस क्रूरता को अंजाम दिया गया उसे बाद में लाल सडक़ का नाम दिया गया।

ब्रिटिश राज से आज़ादी पाने के लिए रोहनात गांव से हिस्सा लेने वालों में प्रमुख स्वामी बिरडा दास वैरागी, रूपा खाती और नौन्दा जाट थे। हैरानी की बात है कि गांव के लोगों की मांगों को मानने के लिए प्रदेश की सरकारों के लिए सात दशकों का समय भी कम साबित हुआ है।

1857 की बगावत के दौरान हांसी, हिसार और सिरसा में ईस्ट इंडिया कंपनी की बटालियन रोहनात से बागियों को हटाने और मिटाने के लिए भेजी गई थी। तपती गर्मी के दिनों में रोहनात के निवासियों ने पोस्ट छोडक़र भागते कुछ ब्रिटिश अफसरों को मौत के घाट उतार दिया था। इसी वजह से ब्रिटश सेना ने बदले की भावना से गांव वालों को बेरहमी से मारा। कई गांव वालों को तोप से उड़ा दिया, कई लोगों को पेड़ से लटका कर फ़ांसी दे दी गई। जिन बागियों को पकड़ा गया उन्हें हांसी लाकर रोड रोलर के नीचे कुचल दिया गया। बाद में सडक़ का नाम लाल सडक़ रखा गया क्योंकि कुचले गए लोगों के ख़ून से इसका रंग लाल हो गया था।

दास्तान-ए-रोहनात नाटक में इन कलाकारों ने निभाये अलग-अलग किरदार

1. यशराज शर्मा/नौंदा जाट

2. अतुल लंगाया / बिरडा दास

3. कबीर दहिया / रूप राम खाती

4. गौरव खेरवाल / अंग्रेज़

5. मधुर भाटिया/ भवनेश लूथरा – ब्रिटिश अधिकारी

6. कामेश्वर/ अंग्रेज़

7. नवनीत शर्मा / अंग्रेज़

8. स्नेहा बिश्नोई / पत्नी रूप राम खाती

9. हर्षिता सुथार/ पत्नी नौंदा जाट

10.  प्रकृति/ पत्नी बिरडा दास

11. नरेश चंदर / किसान

12. विशाल कुमार/जासूस

13. अनूप / ग्रामीण

14.दिवांशु तनेजा / ग्रामीण

15.संदीप कुमार /ग्रामीण

16.राम नारायण / ग्रामीण

17.भारत सिंह / ग्रामीण

18..सौरभ / ग्रामीण

19.सोनू / ग्रामीण गूंगा

20.विश्वराज जोशी/ग्रामीण

21.निमिषा / नृत्य

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