सोनीपत: भारतीय नौसेना का आदर्श वाक्य शानौ वरुना है: डा. तराना नेगी

डा. नेगी ने कहा कि भौगोलिक दृष्टि से भारत की सीमा तीन ओर से समुद्र से घिरी है। प्राचीन काल से हिंद महासागर भारत के लिए युद्धक रणनीति और व्यापारिक मार्ग का मुख्य केंद्र रहा है।

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सोनीपत, अजीत कुमार: राजकीय महाविद्यालय पिपली में रक्षा अध्ययन विभाग द्वारा भारतीय जल सेना दिवस धूमधाम से मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्या डॉ. तराना नेगी ने कहा कि भारतीय जल सेना की स्थापना 1612 ईस्वी में हुई थी और 1947 में इसे एक स्वतंत्र सेना के रूप में मान्यता मिली। भारतीय नौसेना का आदर्श वाक्य शानौ वरुना है, जिसका अर्थ है, जल के देवता वरुण हमारे लिए मंगलकारी रहें।

डा. नेगी ने कहा कि भौगोलिक दृष्टि से भारत की सीमा तीन ओर से समुद्र से घिरी है। प्राचीन काल से हिंद महासागर भारत के लिए युद्धक रणनीति और व्यापारिक मार्ग का मुख्य केंद्र रहा है। इसकी सुरक्षा न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए महत्वपूर्ण है। भारतीय नौसेना राष्ट्रीय सुरक्षा, व्यापारिक मार्गों की सुरक्षा और मानवीय सहायता के कार्यों में तत्पर रहती है।

कार्यक्रम में छात्र बिंदू ने नौसेना की संगठनात्मक संरचना और कार्य प्रणाली की जानकारी दी। डॉ. विनोद मलिक ने 1971 के युद्ध में भारतीय नौसेना की गौरवशाली भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि नौसेना का कार्य केवल जल क्षेत्र की रक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि थल सेना और वायु सेना को सहयोग प्रदान करना भी इसका प्रमुख दायित्व है। प्राचार्या ने छात्रों को देश की सेनाओं में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम में श्रीमती किरण सरोहा, डॉ. योगेश बाजवान और सुधीर भी उपस्थित रहे।

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