सोनीपत: भगवान श्रीकृष्ण के गौ प्रेम का प्रतीक है गोपाष्टमी का पर्व: श्यामदास महाराज

शास्त्रों में कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन गायों को भोजन खिलाता है, उनकी सेवा करता है तथा सायं काल में गायों का पंचोपचार विधि से पूजन करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।

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सोनीपत, अजीत कुमार: गन्नौर में श्री कृष्ण प्रणामी मंदिर गौशाला सेवा समिति गढ़ी केसरी के द्वारा गोपाष्टमी के उपलक्ष्य में संगीतमय गौ कथा का आयोजन किया गया। मंदिर के प्रांगण से शोभा यात्रा निकाली गई। शोभा यात्रा के बाद श्री कृष्ण प्रणामी गौशाला के संस्थापक श्यामदास महाराज, प्रधान सतपाल शर्मा, गौ भक्तों, नंद बाबा व ग्वालों द्वारा गौमाता का पूजन किया गया।

संगीतमय गौ कथा के दौरान श्यामदास महाराज ने कहा कि गोपाष्टमी ब्रज संस्कृति का एक प्रमुख पर्व है। इंद्र के प्रकोप से ब्रज के निवासियों और प्राणियों को बचाने के लिए श्री कृष्ण ने कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से अष्टमी तक गोवर्धन पर्वत को धारण किए रहे और अंत में इंद्र ने अपने अहंकार को त्याग कर भगवान श्री कृष्ण क्षमा प्रार्थना की। तब कामधेनु ने कृष्ण जी का अभिषेक किया और उसी दिन से उनका नाम गोविंद पड़ा। इस दिन गोवर्धन, गाय और बछड़े तथा गोपाल की पूजन का विधान है। शास्त्रों में कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन गायों को भोजन खिलाता है, उनकी सेवा करता है तथा सायं काल में गायों का पंचोपचार विधि से पूजन करता है तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। उत्तरप्रदेश के रमेश भाई प्रणामी द्वारा भजनों का गुणगाण किया गया। कार्यक्रम के समापन पर भंडारा लगाया गया।

 

 

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