सोनीपत: श्रद्धा- एक मानसिक और आत्मिक अनुभव: डॉ मणिभद्र मुनि जी महाराज

बुधवार को उन्होंने सेक्टर 15 स्थित जैन स्थानक में भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि श्रद्धा अत्यंत व्यक्तिगत और गहन होती है, जिसे शब्दों में व्यक्त करना कठिन होता है।

Title and between image Ad

सोनीपत, (अजीत कुमार): नेपाल केसरी राष्ट्र संत और मानव मिलन के संस्थापक डॉ. मणिभद्र मुनि जी महाराज ने श्रद्धा को एक गहन मानसिक स्थिति के रूप में परिभाषित किया है, जो किसी के प्रति गहरे सम्मान और आस्था को दर्शाती है। यह भावना किसी व्यक्ति, धार्मिक शिक्षाओं, नैतिक मूल्यों या जीवन के किसी महत्वपूर्ण पहलू के प्रति होती है।

बुधवार को उन्होंने सेक्टर 15 स्थित जैन स्थानक में भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि श्रद्धा अत्यंत व्यक्तिगत और गहन होती है, जिसे शब्दों में व्यक्त करना कठिन होता है।

डॉ. मणिभद्र मुनि जी ने कहा कि श्रद्धा का अनुभव आत्मिक और भावनात्मक आयामों को महसूस करने का एक अनूठा तरीका है। जब हम इसे शब्दों में व्यक्त करने की कोशिश करते हैं, तो शब्द उस गहराई को पकड़ नहीं पाते। शब्दों की सीमित क्षमता श्रद्धा की विशालता और गहराई को व्यक्त करने में असमर्थ रहती है। उन्होंने यह भी कहा कि श्रद्धा का वास्तविक रूप एक आंतरिक अनुभव है, जो शब्दों की सीमाओं से परे है। इसे केवल वही व्यक्ति समझ सकता है, जो इसे महसूस करता है। यही कारण है कि श्रद्धा का अनुभव अद्वितीय और शब्दों से परे होता है, जिसे केवल आत्मा के स्तर पर महसूस किया जा सकता है।

 

Gyanjyotidarpan.com पर पढ़े ताज़ा व्यापार समाचार (Business News), लेटेस्ट हिंदी समाचार (Hindi News), बॉलीवुड, खेल, क्रिकेट, राजनीति, धर्म और शिक्षा से जुड़ी हर ख़बर। समय पर अपडेट और हिंदी ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए समाचार अनुभव को बेहतर बनाएं। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट ज्ञान ज्योति दर्पण पर पढ़ें।
हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़े Gyan Jyoti Darpan

Connect with us on social media

Comments are closed.