सोनीपत: साधना से आत्म-विकास और सरल जीवन संभव: डॉ. मणिभद्र
डॉ. मणिभद्र ने कहा कि भौतिक वस्तुएं पुरुषार्थ से मिल सकती हैं, लेकिन सरल जीवन के लिए धर्म जरूरी है। उन्होंने बताया कि मृत्यु के बाद हमारे साथ केवल हमारे कर्म और संस्कार ही जाते हैं, न कि धन।
सोनीपत, (अजीत कुमार): राष्ट्र संत, नेपाल केसरी डॉ. मणिभद्र जी महाराज ने कहा कि भौतिक साधन पुरुषार्थ से प्राप्त किए जा सकते हैं, लेकिन सरल जीवन जीने के लिए धर्म की आवश्यकता होती है। साधना को आत्म-विकास का सर्वोत्तम साधन बताते हुए उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति जीवन में असफल होता है, तो इसका मतलब यह नहीं कि वह कभी सफल नहीं हो सकता। बार-बार साधना करने से सफलता अवश्य मिलेगी।
उन्होंने रविवार को जैन स्थानक में चातुर्मास के दौरान कहा कि जीवन की चुनौतियों को स्वीकार कर ही महानता प्राप्त की जा सकती है। जैसे धूप-छांव में पका फल स्वादिष्ट होता है, वैसे ही जीवन की कठिनाइयों को स्वीकार करने से व्यक्ति अधिक शक्तिशाली बनता है।
डॉ. मणिभद्र ने कहा कि भौतिक वस्तुएं पुरुषार्थ से मिल सकती हैं, लेकिन सरल जीवन के लिए धर्म जरूरी है। उन्होंने बताया कि मृत्यु के बाद हमारे साथ केवल हमारे कर्म और संस्कार ही जाते हैं, न कि धन। आज के समय में मंदिर जाना तो आम हो गया है, लेकिन अपने मन को मंदिर बनाना जरूरी है।
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