सोनीपत: तपस्या शरीर के लिए संजीवनी बूटी: रमेश मुनि
धर्मसभा में मुदित मुनि जी महाराज ने जीवन में सत्संग और अच्छे विचारों को आत्मसात करने का महत्व बताया। सभा के पदाधिकारियों ने कहा कि मुनि मुकेश जी की तपस्या ने गन्नौर क्षेत्र में जैन समाज में तप, त्याग और श्रद्धा का माहौल बनाया है।
- जैन मुनि की तपस्या का 14वां दिन: आत्म बल की वृद्धि का मार्ग
गन्नौर, (अजीत कुमार): गन्नौर मंडी में श्री एसएस जैन सभा के तत्वाधान में आयोजित धर्मसभा में मुनि मायाराम परंपरा के रमेश मुनि जी महाराज ने मंगलवार को कहा कि तपस्या शरीर के लिए संजीवनी बूटी के समान होती है, जो कई बार असाध्य रोगों में भी असर दिखाती है। प्राचीन काल में साधु-संन्यासी तप के बल पर निरोगी जीवन जीते थे। जिस प्रकार अग्नि में तपने से सोना शुद्ध हो जाता है, उसी प्रकार तपस्या से मनुष्य के विकार नष्ट होते हैं और सद्गुणों का विकास होता है।
उन्होंने बताया कि आज के तनावपूर्ण युग में तपस्या आत्मशक्ति को जागृत कर मानसिक शांति प्रदान कर सकती है। मुनि जी ने मुकेश मुनि जी की तपस्या का उदाहरण देते हुए कहा कि उनकी तप आराधना सहज और सरल होती है, जिससे उनका आत्मबल विशेष रूप से जागृत हो जाता है। तपस्या के दौरान, साधक अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण प्राप्त कर लेता है और जीवन के विकारों से मुक्त होता है।
धर्मसभा में मुदित मुनि जी महाराज ने जीवन में सत्संग और अच्छे विचारों को आत्मसात करने का महत्व बताया। सभा के पदाधिकारियों ने कहा कि मुनि मुकेश जी की तपस्या ने गन्नौर क्षेत्र में जैन समाज में तप, त्याग और श्रद्धा का माहौल बनाया है।
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