सोनीपत: टोल लेने में टॉप पर अधिग्रहण में बोना है केएमपी एक्सप्रेस वे
केएमपी एक्सप्रेस वे को मुआवजा तय करते समय किसी भी श्रेणी का मार्ग मानने से हरियाणा सरकार ने इंकार कर दिया है। अगर इसे हाईवे का दर्जा दिया जाता है तो सभी किसानों को दोगुने से अधिक मुआजवा मिलेगा।
- हरियाणा में सबसे ज्यादा टोल केएमपी का, अधिग्रहण में दर्जा सामान्य रोड़ का भी नहीं
सोनीपत: खरखौदा में कुंडली मानेसर पलवल एक्सप्रेस वे (केएमपी) के साथ साथ आर्बिटल रेल कोरिडोर बनाने के लिए भूमि का अधिग्रहण हो चुका है। टोल लेने में टॉप पर अधिग्रहण में बोना है केएमपी एक्सप्रेस वे, हरियाणा में सबसे ज्यादा टोल केएमपी से मिल रहा है जबकि अधिग्रहण में दर्जा सामान्य रोड़ का भी नहीं दिया गया।
केएमपी एक्सप्रेस वे को मुआवजा तय करते समय किसी भी श्रेणी का मार्ग मानने से हरियाणा सरकार ने इंकार कर दिया है। अगर इसे हाईवे का दर्जा दिया जाता है तो सभी किसानों को दोगुने से अधिक मुआजवा मिलेगा। किसान इसी लिए धरने पर बैठे हुए हैं। टोल के मामले में केएमपी का दर्जा नेशनल हाईवे से ज्यादा हैं, टोल वसूली भी ज्यादा है और 24 घंटे में वाहन की वापसी पर भी आधे की बजाय पूर टोल वसूला जाता है। इस मामले में केएमपी को स्पेशल केटेगरी में रखा गया है। इसका असर 5 जिलों के किसानों पर पड़ रहा है । जिसमें सोनीपत, झज्जर गुड़गांव, नूह व पलवल शामिल हैं।
किसान नेता रमेश दलाल ने कहा है कि प्रदेश की सरकार किसानों को गुमराह कर रही है, किसानों को रेल अधिग्रहण का मुआवजा केएमपी को नेशनल हाईवे मानते हुए किसानों को मुआवजा बढा कर दिया जाए ताकि किसान कहीं दूसरी जगह अपनी जमीन खरीद सके। केएमपी के साथ-साथ व्यवसायिक रेट 5 करोड से 7 करोड रुपए प्रति एकड़ हो चुका है।
केएमपी एचएसआईआईडीसी कुंडली के मैनेजर आरपी वशिष्ठ का कहना है कि मानेसर पलवल एक्सप्रेसवे पर आना और जाना दोनों का टोल बराबर लगता है। वापसी के दौरान कोई रियायत नहीं है। जबकि नेशनल हाईवे पर रिहायत निर्धारित की गई है। जिसके तहत वापसी में आधा टोल देना होता है। केएमपी को अभी रिकॉर्ड में नेशनल हाईवे के समकक्ष या कोई विशेष दर्जा नहीं है। जैसे ही केएमपी को विशेष दर्जा मिलेगा तो साइन बोर्ड लगाकर सूचना जारी कर दी जाएगी।
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