सोनीपत: कांवड़ यात्रा के दौरान रूट डायवर्जन से टोल कलेक्शन में भारी गिरावट

झरोठी टोल प्लाजा के मैनेजर जितेंद्र सिंह ने बताया कि कांवड़ियों की सुविधाओं के लिए मेरठ रूट डायवर्ट किए जाने के बाद से उनके टोल प्लाजा पर वाहन संख्या में कमी आई है। पहले प्रतिदिन लगभग 6000 से 6800 गाड़ियां गुजरती थीं, जबकि अब यह संख्या घटकर 4000 रह गई है, जिससे उन्हें प्रतिदिन करीब ढाई लाख रुपये का नुकसान हो रहा है।

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सोनीपत, (अजीत कुमार): श्रावण मास के दौरान कांवड़ यात्रा का समय शुरू हो चुका है और कांवड़ियों की सुविधाओं के लिए सरकार सतर्क है। उत्तर प्रदेश सरकार ने हरियाणा से हरिद्वार जाने वाले कई रूट डायवर्ट किए हैं, जिससे कांवड़ियों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। कुछ रूट मेरठ और सहारनपुर की तरफ से डायवर्ट किए गए हैं।

इन परिवर्तनों के कारण नेशनल हाईवे 334 बी, मेरठ से लोहारू राष्ट्रीय राजमार्ग, और करनाल-मेरठ नेशनल हाईवे पर वाहनों की संख्या में कमी आई है। करनाल और मेरठ नेशनल हाईवे पर टोल कलेक्शन, जो पहले प्रतिदिन लगभग 12 लाख रुपये थी, अब घटकर 3 से 4 लाख रुपये हो गई है। खरखौदा क्षेत्र के  झरोठी टोल प्लाजा, नेशनल हाईवे 334 बी पर स्थित है और सीधा मेरठ तक जाता है, इस पर भी टोल कलेक्शन में गिरावट देखी गई है। पहले यहां प्रतिदिन 8 लाख रुपये की टोल वसूली होती थी, जो अब घटकर साढ़े 5 लाख रुपये हो गई है।

झरोठी टोल प्लाजा के मैनेजर जितेंद्र सिंह ने बताया कि कांवड़ियों की सुविधाओं के लिए मेरठ रूट डायवर्ट किए जाने के बाद से उनके टोल प्लाजा पर वाहन संख्या में कमी आई है। पहले प्रतिदिन लगभग 6000 से 6800 गाड़ियां गुजरती थीं, जबकि अब यह संख्या घटकर 4000 रह गई है, जिससे उन्हें प्रतिदिन करीब ढाई लाख रुपये का नुकसान हो रहा है। सामान्य परिस्थितियों में उन्हें प्रतिदिन लगभग 8 लाख रुपये की टोल वसूली होती थी, लेकिन रूट डायवर्जन के कारण अब केवल साढ़े 5 लाख रुपये की ही टोल वसूली हो रही है।

सरकार द्वारा कांवड़ियों की सुरक्षा और सुविधा के दृष्टिगत रूट परिवर्तन से टोल कंपनियों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है, लेकिन कांवड़ यात्रा की सुरक्षा और सफलता के लिए यह कदम आवश्यक भी हैं।

 

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