सोनीपत: हवाई आलू और 26 किलोग्राम का पेठा स्टाल पर लगाया
राजेश ने बताया कि उन्होंने अपने दो एकड़ खेत में लौकी व तोरई उगाना शुरू किया था। कुछ समय बाद उन्होंने कुछ अलग करने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से लौकी व तोरई की किस्म मंगवाईं। उनके पास इन दिनों 80 प्रकार की लौकी की किस्में मौजूद हैं। तोरई की 10 से अधिक किस्में हैं।
सोनीपत, अजीत कुमार: जिलास्तरीय गीता महोत्सव में लगाए स्टॉल पर बड़वासनी के किसान राजेश की तरफ से प्रदर्शित 26 किलोग्राम का पेठा आकर्षण का केंद्र बना रहा।इसके साथ ही हवाई आलू भी लोगों की उत्सुकता का कारण बने रहे। आम तौर पर आलू जमीन के अंदर उगाए जाते हैं, लेकिन राजेश ने आलू को बेल पर उगा दिया है, जिसे हवाई आलू का नाम दिया है।
राजेश ने बताया कि उन्होंने अपने दो एकड़ खेत में लौकी व तोरई उगाना शुरू किया था। कुछ समय बाद उन्होंने कुछ अलग करने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों से लौकी व तोरई की किस्म मंगवाईं। उनके पास इन दिनों 80 प्रकार की लौकी की किस्में मौजूद हैं। तोरई की 10 से अधिक किस्में हैं।
कई वैरायटी के बीज खरीदने के लिए लोग कतार में नजर आए। राजेश हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में बीज का निर्यात कर न सिर्फ अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं, बल्कि हाइब्रिड सब्जियों के दौर में देसी सब्जियों के वजूद को भी जिंदा रखे हुए है। राजेश का कहना है कि उदयपुर में लगे देसी बीज मेले में पहली बार देसी सब्जियां उगाने का विचार आया था। लॉकडाउन के दौरान सब्जियों का बीज तैयार कर बेचने से आमदनी बढ़ती गई।
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