सोनीपत: ज्येष्ठ पूर्णिमा पर सिद्धपीठ सतकुम्भा धाम में भव्य मेला, हजारों श्रद्धालुओं ने किया पवित्र स्नान

हिन्दू सनातन धर्म में ज्येष्ठ पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन पूजा-पाठ, नदी स्नान, भगवान सत्यनारायण की कथा, और चन्द्रमा को अर्घ्य देने का विधान है। माहराज श्री ने कहा कि आमतौर पर जून में आने वाली ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को वट पूर्णिमा भी कहा जाता है।

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सोनीपत, (अजीत कुमार): सिद्धपीठ सतकुम्भा धाम तीर्थ पर ज्येष्ठ पूर्णिमा के पावन अवसर पर भव्य मेला आयोजित किया गया। इस मौके पर हजारों श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान किया। पीठाधीश्वर राजेश स्वरूप महाराज ने इस अवसर पर कहा कि ज्येष्ठ पूर्णिमा का दिन विशेष रूप से पुण्यकारी और मनोकामना पूर्ति के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। उन्होंने अपने दिव्य संदेश में कहा कि इस पवित्र स्नान और मेले में सम्मिलित होकर भक्तजन अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं और ईश्वर की कृपा के पात्र बनते हैं।

हिन्दू सनातन धर्म में ज्येष्ठ पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस दिन पूजा-पाठ, नदी स्नान, भगवान सत्यनारायण की कथा, और चन्द्रमा को अर्घ्य देने का विधान है। माहराज श्री ने कहा कि आमतौर पर जून में आने वाली ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को वट पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन व्रती लक्ष्मीनारायण की पूजा के साथ-साथ सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु के लिए बरगद के वृक्ष की उपासना करती हैं। वट पूर्णिमा का व्रत सौभाग्य, सुख, धन और पति की दीर्घायु के लिए किया जाता है।

पवित्र स्नान, सूर्य अर्घ्य, मिठाई का भोग, धूप-दीप जलाकर ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप किया गया आरती की गई। दूसरी ओर हनुमान चालीसा का पाठ किया।

इस पावन अवसर पर सिद्धपीठ सतकुम्भा धाम में उमड़ी भीड़ ने इस पर्व की महत्ता को और बढ़ा दिया। श्रद्धालुओं ने पूरे धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ इस दिन का विशेष लाभ उठाया और आध्यात्मिक शांति की अनुभूति की। प्रबंधक सूरज शास्त्री ने बताया कि यहां भंडारे की सेवा की गई, आने वाले यात्रियेंा के लिए फ्री पार्किंग की व्यवस्था रही। सेवा करने के लिए सत्यवान स्वरुप जी महाराज, सोमबीर शास्त्री, सुरेंद्र शास्त्री, अमित शास्त्री, बिला पंडित, ब्रह्पाल, जनेश्वर, आशीष वर्मा, विजय, कृष्ण चंद्र, दिनेश छौक्कर, सूरज छौक्कर आदि समर्पित सेवा में रहे।

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