सोनीपत: दैवी शक्ति दादी सत्ती संरक्षण करने वाली है: राजेश पहलवान पुरखासिया
पंडित मौजी राम ने कहा कि जीवन में मन्नत पूरी होने पर सभी यहां आकर माथा टेकते हैं विशेषकर जब कोई मांगलिक कार्य हो, वैवाहिक नया जोड़ा शादी करके आये तो नवदम्पति माथा टेकते हैं, अपनी गृहस्थी को खुशहाल बनाने की मंगल कामना करते हैं। सरदारों के श्रद्धा को देखते हुए ऐसा लगता है कि आने वाले समय में यहां पर मेला लगा करेगा।
- हमारी पौराणिक मान्यता है दादी सत्ती
- वार्षिकोत्सव पर हवन यज्ञ किया
- अनंत भंडारा चला, छोटे-छोटे बच्चों ने पंगत में प्रसाद वितरित कर सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया
- मन्नत पूरी होने पर सभी यहां आकर माथा टेकते हैं
- मातृशक्ति अपना दिव्य वरदान प्रदान कर खुशहाल बनाती है
- नवदम्पति माथा टेकते हैं, अपनी गृहस्थी को खुशहाल बनाने की मंगल कामना करते हैं।
- श्रद्धालु महिलाएं नाचती हैं गाती हैं खुशियां मनाते हैं
पुगथला/सोनीपत: कांग्रेस नेता राजेश पहलवान पुरखासिया ने कहा कि दैवी शक्ति दादी सत्ती संरक्षण करने वाली है। गांव पुगथला में दादी सती के सच्चे दरबार में आज आकर मुझे भी माथा टेकने का परम सौभाग्य प्राप्त हुआ है यह मेरी जिंदगी का सबसे सुखद लम्हा है। दादी का वार्षिकोत्सव हवन यज्ञ के साथ आरंभ हुआ इसके पश्चात अखंड भंडारा चला। जिसमें ग्रामीण महिला पुरुष सभी श्रद्धालुओं ने सेवा के महायज्ञ में आहुति डाली।
छोटे छोटे बच्चों की सेवा का जज्बा बहुत ही शानदार रहा। पंडित पुरुषोत्तम नंबरदार ने कहा कि दादी सत्ती हमारी पौराणिक मान्यता है। गांव के किसी भी परिवार में कोई भी जब कोई भी शुभ कार्य को आरंभ करते हैं तो पहले दादी सती के यहां प्रार्थना करते हैं। उनकी दुआओं को, प्रार्थनाओं को स्वीकार कर मातृशक्ति अपना दिव्य वरदान प्रदान कर खुशहाल बनाती है।
पंडित मौजी राम ने कहा कि जीवन में मन्नत पूरी होने पर सभी यहां आकर माथा टेकते हैं विशेषकर जब कोई मांगलिक कार्य हो, वैवाहिक नया जोड़ा शादी करके आये तो नवदम्पति माथा टेकते हैं, अपनी गृहस्थी को खुशहाल बनाने की मंगल कामना करते हैं। सरदारों के श्रद्धा को देखते हुए ऐसा लगता है कि आने वाले समय में यहां पर मेला लगा करेगा।
रविदत्त ने कहा कि यहां नतमस्तक होकर इस महाशक्ति से, आदि शक्ति से,मातृशक्ति से आशीर्वाद लेते हैं, खुशहाल जीवन का वरदान प्राप्त करते हैं।
वार्षिक उत्सव 13 मार्च को मनाया जाता हैं। दादी सत्ती के भक्त नाचते हैं, गाते हैं, खुशी मनाते हैं और महिलाएं दादी सती का गुणगान करती हैं। यहां दादी सत्ती के स्थान पर ज्योत लगाई जाती है, प्रसाद चढ़ाया जाता है। ग्रामीण बताते हैं कि पहले पूरब की ओर दादी सत्ती का स्थान था अब पश्चिम की ओर तालाब के किनारे खुले स्थान पर बनाया गया है।
सभी ग्रामीण श्रद्धालुओं ने चंदा एकत्र कर इस स्थान को तैयार किया है। यहां चलने वाला अखंड भंडारा सबके दिए सहयोग से तैयार किया जाता है। हर परिवार इस अनुष्ठान हिस्सा लेते हैं ताकि यह भंडारा सेवा का महा पुण्य यज्ञ पूरा हो, दादी सती प्रसन्न हो सभी परिवारों को अपना परम सांनिध्य प्रदान करें।
भाने राम, रामकुवार, राजेन्द्र, रवि दत्त, देवराज, महेंद्र, राममेहर, सुशील, श्रीभगवान, बलवान, जयदेव, सरपंच पूनम देवी, सरपंच प्रतिनिधि सोमदत्त, नन्हा सेवादार विवेक, राजेन्द्र, राजकुमार, धनराज, रोहताश, सुरेश, सुभाष एवं समस्त दादी सती परिवार, प्रधान राममेहर आदि ने समर्पित सेवाएं दी।
पुगथला गांव में दादी सती के वार्षिकोत्सव की झलकियां
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