सोनीपत: आंतरिक संतुलन और सुख की नींव रखते हैं निश्चलता और सरलता: डॉ मणिभद्र मुनि जी महाराज
डॉ श्री मणिभद्र मुनि जी महाराज शनिवार को सेक्टर 15 स्थित जैन स्थानक में चातुर्मास के दौरान उपस्थित भक्तजनों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जब हम इन गुणों को अपनाते हैं, तो जीवन की जटिलताओं को सरलता से समझ सकते हैं और सच्चे सुख की ओर आगे बढ़ सकते हैं।
सोनीपत, (अजीत कुमार): नेपाल केसरी, राष्ट्र संत, मानव मिलन के संस्थापक डॉ मणिभद्र मुनि जी महाराज ने कहा कि निश्चलता और सरलता, जीवन में ऐसे मूल्य हैं जो हमारे आंतरिक संतुलन और सुख की नींव रखते हैं। ये गुण केवल शारीरिक सौंदर्यता के विपरीत नहीं हैं, बल्कि आंतरिक सौंदर्यता की वास्तविक अभिव्यक्ति हैं।
डॉ श्री मणिभद्र मुनि जी महाराज शनिवार को सेक्टर 15 स्थित जैन स्थानक में चातुर्मास के दौरान उपस्थित भक्तजनों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जब हम इन गुणों को अपनाते हैं, तो जीवन की जटिलताओं को सरलता से समझ सकते हैं और सच्चे सुख की ओर आगे बढ़ सकते हैं। निश्चलता और सरलता आंतरिक भावनात्मक और मानसिक अवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। निश्चलता का मतलब है मानसिक स्थिरता, जबकि सरलता का तात्पर्य है जीवन को सहज और सहजता से जीने की कला यह दोनों गुण मिलकर हमें एक स्थिर और संतुलित जीवन जीने में मदद करते हैं। शारीरिक सौंदर्यता की अपेक्षा आंतरिक सौंदर्यता अधिक महत्वपूर्ण है। शारीरिक सौंदर्यता अस्थायी होती है, जबकि आंतरिक सौंदर्यता स्थायी और सच्ची होती है। आंतरिक सौंदर्यता तब उभरती है जब व्यक्ति में निश्चलता और सरलता का गुण होता है।
Gyanjyotidarpan.com पर पढ़े ताज़ा व्यापार समाचार (Business News), लेटेस्ट हिंदी समाचार (Hindi News), बॉलीवुड, खेल, क्रिकेट, राजनीति, धर्म और शिक्षा से जुड़ी हर ख़बर। समय पर अपडेट और हिंदी ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए समाचार अनुभव को बेहतर बनाएं। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट ज्ञान ज्योति दर्पण पर पढ़ें।
हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़े
Gyan Jyoti Darpan
Comments are closed.