सोनीपत: आशा वर्कर का बेटा सुनील सहायक कमांडेंट बना
रविवार को सुनील गोदारा ने बताया कि पहले भी 6 बार लेफ्टिनेंट और 4 बार फ्लाइंग ऑफिसर के साक्षात्कार में असफलताएं देखी। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और सहायक कमांडेंट की परीक्षा में चौथे और अंतिम प्रयास में सफलता हासिल की।
- सुनील गोदारा ने सांझा की संघर्ष और सफलता की प्रेरणादायक कहानी
- असफलता सफलता की पहली सीढी है, बस प्रयास करें
सोनीपत, (अजीत कुमार): राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, गढ़ी झंझारा, गन्नौर (सोनीपत) के लिपिक सुनील गोदारा का सहायक कमांडेंट बनने पर खुशी की लहर है। यह गर्व का क्षण है कि एक आशा वर्कर का बेटा, जिसने अनेक संघर्षों का सामना किया, अब देश की सेवा में 152वां रैंक लेकर सहायक कमांडेंट के रूप में शामिल हो गया है।
रविवार को सुनील गोदारा ने बताया कि पहले भी 6 बार लेफ्टिनेंट और 4 बार फ्लाइंग ऑफिसर के साक्षात्कार में असफलताएं देखी। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और सहायक कमांडेंट की परीक्षा में चौथे और अंतिम प्रयास में सफलता हासिल की।
सुनील ने अपनी प्रारंभिक गांव के सरकारी स्कूल में की इसके बाद 10वीं 12वीं की शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय से प्राप्त की और ग्रेजुएशन दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज से किया। इसके बाद, उन्होंने मनोविज्ञान और हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर किया। उनके इस सफर में प्राचार्य राजबीर पराशर और स्कूल के स्टाफ का अहम योगदान रहा। सुनील की मां राजबाला एक आशा वर्कर हैं और पिता कृष्ण गोदारा किसान हैं। उनकी छोटी बहन ने दिल्ली विश्वविद्यालय से वकालत की पढ़ाई पूरी की है। परिवार का समर्थन और प्रेरणा सुनील की सफलता की नींव रही।
सुनील गोदारा का जन्म 5 जून 1999 को गांव पीली मंडोरी, जिला फतेहाबाद में हुआ। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद साधारण है, लेकिन उनकी मां और पिता ने अपने बच्चों की शिक्षा पर पूरा ध्यान दिया। सुनील का कहना है कि उनकी मां के संघर्ष और पिताजी के समर्थन ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया। सहायक कमांडेंट बनने पर सुनील का कहना है कि गरीब परिवार से आने के बावजूद मैंने कभी हार नहीं मानी। मेरी मां का संघर्ष और पिता की मेहनत ने मुझे इस मुकाम तक पहुंचाया।
इस सफलता के बाद, सुनील गोदारा ने अपने माता-पिता, प्राचार्य राजबीर पराशर और स्कूल के सभी स्टाफ सदस्यों अनुपम रापड़िया, विनय भारद्वाज, अंकुर, सतबीर, बिजेन्दर, सुनील, सतीश, रामकरण, संजय सभी को धन्यवाद दिया। प्राचार्य और स्टाफ ने भी सुनील को उनकी इस उपलब्धि पर बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
सुनील की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणास्रोत है जो कठिनाइयों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत कर रहे हैं। उनकी सफलता दिखाती है कि अगर दृढ़ संकल्प हो और सही मार्गदर्शन मिले तो किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है।
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