सोनीपत: सच्चा भक्त मन मुखी नहीं गुरुमुखी होता है: स्वामी राघवानंद
स्वामी राघवानंद जी महाराज ने कहा कि सत्संग का महत्व तभी है जब आप सत्संग में सुने हुए प्रवचनों को जीवन में अमल करते हैं। गौ माता और गरीब की मदद सदा करंे। जीवन में दान किया हुआ धन कई गुना होकर वापस आता है।
- हरियाणा, उत्तराखंड, राजस्थान से आए संतों ने ब्रह्मलीन योगीराज ब्रह्म प्रकाश जी महाराज के आदर्शों पर चलने का संदेश दिया
सोनीपत: हरिद्वार से आए अखिल भारतीय घीसा संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी राघवानंद जी महाराज ने कहा कि सच्चा भक्त वही है जो मन मुखी न होकर गुरुमुखी है। इसलिए सांसारिक मोह माया को त्याग कर सदा मानव हित में कार्य करना ही सर्वोत्तम धर्म है। मानव देह 84 लाख योनियों को भोगने के पश्चात प्राप्त होती है। मानव जीवन में सतकर्मों पर चलें, बुरे विकारों को त्यागें।
महाराज श्री खरखौदा के रोहतक मार्ग स्थित श्री नारायण आश्रम सिसाना में ब्रह्मलीन योगीराज ब्रह्म प्रकाश जी महाराज का 27वां निर्वाण दिवस के अवसर पर शनिवार को प्रवचन कर रहे थे। स्वामी राघवानंद जी महाराज ने कहा कि सत्संग का महत्व तभी है जब आप सत्संग में सुने हुए प्रवचनों को जीवन में अमल करते हैं। गौ माता और गरीब की मदद सदा करंे। जीवन में दान किया हुआ धन कई गुना होकर वापस आता है। देश के विभिन्न क्षेत्रों से पहुंचे साधु संतों ने ब्रह्मलीन योगीराज ब्रह्मप्रकाश के जीवन से प्रेरणा लेने के लिए उपस्थित श्रद्धालुओं को प्रेरित किया। कार्यक्रम का शुभारंभ हवन यज्ञ के साथ किया गया। अनंत भंडारे की सेवा की गई।
इस मौके पर हरिद्वार से पहुंचे स्वामी राम मुनि महाराज, स्वामी कृष्ण स्वरूप महाराज, स्वामी श्यामानंद महाराज राजस्थान, साध्वी सुजाता चंद्रगिरी महाराज हिसार, स्वामी दयानंद सरस्वती महाराज,स्वामी रामानंद आचार्य गोपालपुर, महंत स्वामी कमल सागर रेवाड़ी , संजय ब्रह्मचारी, स्वामी सोम प्रकाश महाराज, नारायण आश्रम महंत खांडा स्वामी रामानंद महाराज द्वारा भी प्रवचन किए गए। नारायण आश्रम कमेटी द्वारा पूरी व्यवस्था सुचारू रूप से की गई।
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