सोनीपत: सिद्धपीठ सतकुंभा धाम पर गंगा दशहरा स्नान व मेला 30 को
सिद्ध पीठ सतकुंभाधाम पर 30 मई को गंगा दशहरा का मेला लगेगा। श्रद्धालुओं के लिए अनंत भंडारे की सेवा की जा रही है, ठंडे पानी की छबील लगाई जाएगी। पार्किंग की व्यवस्था की गई है साथ सरोवर में शुद्ध जल भरने के लिए व्यवस्था की गई है।
- गंगा दशहरा पर्व उदया तिथि के अनुसार दिन तय किया जाता है: पीठाधीश्वर श्रीमहंत राजेश स्वरुप जी महाराज
- गंगा दशहरे पर पूजा कब कैसे और कहां की जाए इसकी जानकारी जरुरी है
- मेला लगेगा अनंत भंडारा लगेगा सतकुम्भा धाम पर
सोनीपत: सिद्धपीठ सतकुंभा तीर्थ मयाना खेड़ी गुर्जर के पीठाधीश्वर राजेश स्वरुप महाराज ने कहा है कि अब संवत्सर 2080 के अंदर इस बार हस्त नक्षत्र में तथा व्यतीपात योग में गंगा दशहरा पर्व मनाया जाएगा। वैदिक पंचांग के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 29 मई को रात्रि 11 बजकर 49 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 30 मई को दोपहर 01 बजकर 07 मिनट पर होगा। क्योंकि गंगा दशहरा पर्व उदया तिथि के अनुसार दिन तय किया जाता है, इसलिए यह पर्व 30 मई 2023, मंगलवार के दिन मनाया जाएगा।
सिद्धपीठ सतकुंभा तीर्थ के प्रबंधक सूरज शास्त्री ने बताया कि जो श्रद्धालुओं के लिए पाठ पूजा के लिए गंगा दशहरा : 30 मई 2023, मंगलवार को रहेगा। गंगा मां अवतरण पूजा समय: ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि का प्रारंभ- सोमवार, 29 मई 2023 को 11.49 ए एम से, ज्येष्ठ शुक्ल दशमी तिथि का समापन- मंगलवार, 30 मई 2023 को 01.07 पी एम पर है। हस्त नक्षत्र का प्रारंभ- 30 मई 2023 को 04.29 ए एम से, हस्त नक्षत्र की समाप्ति- 31 मई 2023 को 06.00 ए एम पर। व्यतीपात योग का प्रारंभ- 30 मई 2023 को 08.55 पी एम से, व्यतीपात योग का समापन- 31 मई 2023 को 08.15 पी एम पर।
सिद्ध पीठ सतकुंभाधाम पर 30 मई को गंगा दशहरा का मेला लगेगा। श्रद्धालुओं के लिए अनंत भंडारे की सेवा की जा रही है, ठंडे पानी की छबील लगाई जाएगी। पार्किंग की व्यवस्था की गई है साथ सरोवर में शुद्ध जल भरने के लिए व्यवस्था की गई है। श्रीमहंत राजेश स्वरुप जी ने कहा कि गंगा दशहरे का महत्व इसलिए है क्योंकि सनातन संस्कृति में गंगा मैया को पापनाशिनी बताया गया है। स्वयं गंगा दशहरे के दिन भगीरथ के प्रयास से आकाश से जो गंगा इस धरातल पर आई तबसे गंगा दशहरे का दिवस था। इसलिए इसको गंगा दशहरे के रुप में मनाते हैं।
सिद्ध पीठ तीर्थ सतकुंभा धाम सप्त ऋषियों की तपोभूमि है सप्त ऋषियों ने सात धाराओं का जल लेकर सतकुंभा धाम बना। इस कुंड में स्नान करके पुण्य प्राप्त करते हैं। परम सौभाग्य है उनके सतकुम्भा तीर्थ धाम भारत के 68 तीर्थों में शामिल है। लगभग सात हजार श्रद्धालुओं के लिए भंडारे की व्यवस्था भक्तों के सहयोग से की गई है। यहां पर स्नान करेंगे और बाबा सीताराम का आशीर्वाद लेंगे। सभी की मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
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