सोनीपत: रसायन विज्ञान जीवन को बेहतर बनाने में सक्षम: कुलपति प्रो.अनायत

डीसीआरयूएसटी, मुरथल में केमिस्ट्री विभाग द्वारा दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस में बतौर मुख्य अतिथि उद्घटन सत्र में बोल रहे थे। जबकि मुख्य वक्ता केबंगसान विश्वविद्यालय, कुआलालंपुर, मलेशिया के प्रो.मो.कैरूल इकबाल मोहम्मद अमीन मुख्य वक्ता थे।

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  • नैनो औषधियों पर 50 वर्ष से अधिक समय से चल रहा है शोध कार्य: प्रो.कैरूल
  • कांफ्रेंस में मलेशिया, थाईलैंड, कैनडा, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, जर्मनी, इग्लैंड व स्वीडन से 400 वैज्ञानिक एवं शोधार्थी शामिल
  • श्रेष्ठ प्रतिभागियों को अमेरिकन केमिकल सोसायटी व रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री लंदन की ओर सम्मानित किया जाएगा

सोनीपत: दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मुरथल के कुलपति प्रो.राजेंद्र कुमार अनायत ने मंगलवार को कहा कि रसायन विज्ञान मानव जीवन को बेहतर बनाने में सक्षम है। रसायन विज्ञान के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती । हमारी दैनिक क्रियाओं में भी रसायन विज्ञान की आवश्यकता पड़ती है।

डीसीआरयूएसटी, मुरथल में केमिस्ट्री विभाग द्वारा दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस में बतौर मुख्य अतिथि उद्घटन सत्र में बोल रहे थे। जबकि मुख्य वक्ता केबंगसान विश्वविद्यालय, कुआलालंपुर, मलेशिया के प्रो.मो.कैरूल इकबाल मोहम्मद अमीन मुख्य वक्ता थे। कांफ्रेंस में नौ राष्ट्रों से 400 शोधार्थी व वैज्ञानिक प्रतिभागिता कर रहे हैं। श्रेष्ठ प्रतिभागियों को अमेरिकन केमिकल सोसायटी व रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री लंदन की तरफ से पुरस्कृत किया जाएगा।

Sonepat: Chemistry capable of improving life: Vice Chancellor Prof. Anayat
सोनीपत: मुख्य अतिथि प्रो.कैरूल को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित करते हुए डीसीआरयूएसटी,मुरथल के कुलपति प्रो.राजेंद्र कुमार अनायत।

केबंगसान विश्वविद्यालय,कुआलालंपुर, मलेशिया के प्रो.मो.कैरूल इकबाल मोहम्मद अमीन ने बतौर मुख्य वक्ता कहा कि प्रयोगशाला में नैनो औषधियों के शोध से व्यवसायिक उत्पादन में विभिन्न नियामक चुनौतियों एवं नवाचार पर तर्क वितर्क विषय पर बेहद प्रभावशाली हैं विभिन्न उपचार पद्धतियों में नैनो औषधियों के प्रयोग की सार्थकता प्रदान करें। गत 50 से अधिक वर्षों से शोध कार्य चल रहा है। इसमें कार्यरत शोधार्थियों को विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि विभिन्न शोध परिणामों को क्लीनिकल उपयोग हेतु प्रयोग करने में आंशिक रूप में ही सफल हो पाए हैं। कई देशों में नैनो औषधियों के प्रयोग से संबंधित नियम अलग अलग होने के कारण पूरे विश्व पर इसका प्रभाव पड़ता है।

कुलसचिव प्रो.सुरेश कुमार ने कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में देश निरंतर प्रगति कर रहा है। कांफ्रेंस में मलेशिया, थाईलैंड, कैनडा, दक्षिण कोरिया, अमेरिका, जर्मनी, इग्लैंड व स्वीडन से वैज्ञानिक एवं शोधार्थी प्रतिभागिता कर रहे हैं। विभिन्न शोधार्थियों द्वारा भेजे गए शोधपत्रों की सार पुस्तक विभाग द्वारा प्रकाशित की गई है। कांफ्रेंस की आर्गेनाइजेशन चयन प्रो.सुमन लता व कन्वीनर डा.सुमित कुमार व डा.राजेंद्र सिंह मलिक हैं।

वैज्ञानिक प्रो.एस.पी.खटकड़, प्रो.विनोद बाला तक्षक, प्रो.बी.पी सिंह, डा.एम.एस.धनखड़, प्रो.सुधीर बत्रा, प्रो.सुमन लता, डा.हरिओम, डा.सुमित कुमार, डा.सोनिया नैन, डा.राजेंद्र सिंह मलिक, डा.दिनेश कुमार,डा. कृष्ण कुमार, प्रो.सुखदीप सिंह, प्रो.नवनीत हुड्डा, प्रो.रजनी शुक्ला, प्रो.सतीश खासा, प्रो.मनोज दूहन, प्रो.दिनेश सिंह, डा.सुरेंद्र दूहन, डा. प्रदीप सिंह, डा.विकास नेहरा आदि उपस्थित थे।

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2 Comments
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