सतकुंभा उत्सव 2024: ग्रहस्थ को स्वर्ग से सुन्दर बनाने के लिए पांच सूत्र अपनाएं: आचार्य व्यास चतुर्वेदी जी महाराज

आचार्य व्यास पवन देव जी ने कहा कि भारतीय दर्शन, शास्त्रों में आयुर्वेद में प्राण, अपान, व्यान, उदान, और समान। पांच तत्व प्राणियों और प्राणी संसार के धार्मिक और दार्शनिक तत्वों को संकेत करते हैं।

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  • पांच आयुर्वेद में प्राण, अपान, व्यान, उदान, और समान
  • पांच तत्व प्राणियों में पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, और आकाश हैं
  • पांच गुण संगीत से शान्ति, श्रद्धा, संगीत, प्रेम, और उत्साह मिलते हैं

गन्नौर, अजीत कुमार: सिद्धपीठ तीर्थ सतकुम्भा धाम में 7 दिवसीय सतकुम्भा उत्सव के 6वें दिन आचार्य व्यास चतुर्वेदी जी महाराज ने कहा कि जीवन में पांच तत्व, पांच गुण, पांच प्राण, इन पांच के महत्व को समझ कर जीवन को सफल बना लें।

आचार्य व्यास पवन देव जी ने कहा कि भारतीय दर्शन, शास्त्रों में आयुर्वेद में प्राण, अपान, व्यान, उदान, और समान। पांच तत्व प्राणियों और प्राणी संसार के धार्मिक और दार्शनिक तत्वों को संकेत करते हैं। पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु, और आकाश हैं। पांच श्रेष्ठ गुण संगीत में होते हैं, शान्ति, श्रद्धा, संगीत, प्रेम, और उत्साह। इन सबको ब्रह्म चेतन स्वरुप सत्ता संचालित करती है। आप श्री राम कथा को सुन रहे हैं। इनमें श्रेष्ठता किसकी है यह श्राेताओं श्रद्धालुओं पर निर्भर करता है। आप किस संदर्भ में बात कर रहे हैं।

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सोनीपत: शिव स्तोत्र महायज्ञ में आहुति डाल कर हर हर महादेव का जयकारा लगाते हुए शिव भक्त ।

उन्होंने कहा कि अभी माता बहनेें और प्रभु प्रेमी भाई शिव स्तोत्र महायज्ञ में आहुति डाल कर आए हैं। वहां मंत्रो के उच्चारण से वायुमंडल शुद्ध हो रहा है यहां आप राम कथा सुन रहे हैं। इसलिए यह पांच बाते और समझ लें कि कर्म फल तो हर हाल में मिलना ही है। इसलिए विनम्र बनिए, अहम से बचिए। ग्रहस्थ जीवन में ध्यान रखें कि पत्नी आपको पतन से बचाती है। इसलिए खुशहाल जीवन के लिए कर्म करो और प्रभु को समर्पित कर दो। विश्वास कीजिए कि प्रभु दशा और दिशा दोनों बदलेंगे। यह जो पांच सूत्र हैं व्यास गद्दी से आए हैं। यहां से ब्रह्म वाक्य प्रकट होते हैं। वेदों, उपनिष्दों शास्त्रों से हर समस्या का समाधान मिलता है। खुशहाल रहने के लिए सकारात्मक सोच रखें।

पीठाधीश्वर श्रीमहंत राजेश स्वरुप जी महाराज से आने वाले श्रद्धालुओं ने आशीर्वाद लिया। पीठाधीश्वर के परम सानिंध्य में वेद पाठी आचार्य आनंद भट्‌ट, स्वामी सत्यवान महाराज, प्रबंधक सूरज शास्त्री, सुरेंद्र शर्मा पांडू पिंडारा, आचार्या अमन, आचार्य आशीष, पंडित सोमबीर शास्त्री, सुमित शर्मा, अंकित शर्मा, पुष्प शर्मा आदि व्यवस्थाओं को संभाले हुए थे।

 

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