संत निरंकारी मिशन: दूर देशों की तीन माह विश्व की कल्याण यात्रा के उपरांत दिव्य युगल का भव्य आगमन; भक्तों का उमड़ा जनसैलाब
सत्संग कार्यक्रम में उपस्थित विशाल जन समूह को सम्बोधित करते हुए सतगुरु माता जी ने सत्संग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए फरमाया कि समाज में हम जिस अवस्था में रह रहे है यदि हमारा जुड़ाव इस निरंकार प्रभु परमात्मा से है तब हम सहज रूप में अपनी भक्ति को निभा सकते है और यह तभी सार्थक है जब हमारा मन सत्संग हेतु पूर्णतः परिपक्व हो।
दिल्ली: सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं निरंकारी राजपिता जी की मानवता हेतु की गई विश्व कल्याणकारी प्रचार यात्राओं के उपरांत उनके दिव्य आगमन पर दिनांक 13 सितम्बर को निरंकारी सरोवर के सामने ग्राउंड नं .2, बुराड़ी में विशाल सत्संग कार्यक्रम का भव्य रूप में आयोजन किया गया जिसमें दिल्ली एवं एन.सी.आर. के अतिरिक्त आसपास के क्षेत्रों से काफी संख्या में श्रद्धालु एवं भक्तगण सम्मिलित हुए और उन सभी ने दिव्य युगल के अलौकिक दर्शन एवं पावन प्रवचनों को श्रवण कर सत्संग का भरपूर लाभ प्राप्त किया।
सत्संग कार्यक्रम में उपस्थित विशाल जन समूह को सम्बोधित करते हुए सतगुरु माता जी ने सत्संग के महत्व पर प्रकाश डालते हुए फरमाया कि समाज में हम जिस अवस्था में रह रहे है यदि हमारा जुड़ाव इस निरंकार प्रभु परमात्मा से है तब हम सहज रूप में अपनी भक्ति को निभा सकते है और यह तभी सार्थक है जब हमारा मन सत्संग हेतु पूर्णतः परिपक्व हो। ब्रह्मज्ञान की दिव्य रोशनी हर प्रकार के कष्टों से मुक्त कर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करती है। फिर भक्त की अवस्था कुछ इस प्रकार की बन जाती है कि हमारा जितना अधिक जुड़ाव इस निरंकार से होता है हमारी प्रेम भावना उससे ओर अधिक गहरी होती चली जाती है।
सतगुरु माता जी से पूर्व निरंकारी राजपिता जी ने अपने पावन प्रवचनों में उदाहरण सहित समझाया कि जिस प्रकार हमें फोन पर बात करने हेतु प्र्याप्त बैलेंस की आवश्यकता हेाती है तभी हम किसी से बात कर सकते है ठीक उसी प्रकार सार्थक भक्ति हेतु निरंकार से पूर्णतः जुड़ाव की आवश्यकता है। केवल तन से नहीं अपितु मन से जब हम इस परमात्मा से जुड़ते है तभी हमारा वास्तविक रूप में पार उतारा संभव है।
सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं निरंकारी राजपिता जी द्वारा दूर देशों की कल्याणकारी यात्राएं- ब्रह्मज्ञान के पावन संदेश को जन मानस तक पहुंचाने हेतु दिव्य युगल द्वारा लगभग 80 दिनों की दूर देशों के विभिन्न स्थानों की प्रचार यात्राएं की गईं। मानवता के परमार्थ हेतु की गई इन कल्याणकारी यात्राओं का प्रथम पड़ाव स्पेन शहर था जिसमें जुलाई माह में बार्सेलोना का निरंकारी यूरोपियन समागम भव्य रूप में आयोजित हुआ। उसके उपरांत यह यात्रा साउथ अफ्रीका की धरा पर पहुंची जिसमें दिव्य युगल का प्रथम बार आगमन हुआ। अगस्त माह में अमेरिका के ट्रेसी शहर में मुक्ति पर्व समागम का आयोजन किया गया। तदोपरांत अमेरिका के विभिन्न शहरों से होते हुए इस दिव्य यात्रा का अंतिम पड़ाव कनाडा के टोरोंटो शहर में निरंकारी युथ सिम्पोजियम के रूप में हुआ। इस सिम्पोजियम का उद्देश्य युवा पीढ़ी को सही मार्गदर्शन प्रदान करते हुए उन्हें आध्यात्मिकता से जोड़ना है जिसकी वर्तमान समय में नितांत आवश्यकता भी है।
इन कल्याणकारी प्रचार यात्राओं का समापन नार्थ अमेरिका के टोरोंटो शहर के निरंकारी संत समागम के रूप में हुआ। इन यात्राओं के माध्यम से सतगुरु का एकमात्र लक्ष्य विश्व में सुकून, एकत्व एवं सार्वभौमिक भाईचारे की भावना को जागृत करते हुए प्रत्येक जनमानस को मानवीय गुणों से युक्त करना है। इन निरंकारी संत समागम के मध्य सभी श्रद्धालुजनों ने सतगुरु के अलौकिक दर्शन एवं पावन प्रवचनों से स्वयं को कृतार्थ किया और इसी अभिलाषा को लिए वह 76वें वार्षिक निरंकारी संत समागम के भी साक्षी बनेंगे।
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