सोनीपत में आरएसएस प्रमुख: संत अपने ज्ञान को प्रभु के द्वारा दी गईं सीख को समाज तक पहुंचाते हैं: सरसंघचालक डा. मोहन भागवत  

सर संघ संचालक भागवत सोमवार को श्री रामकृष्ण साधना केंद्र मुरथल जीटी रोड, मुरथल में गोलोकवासी परम पूज्य राष्ट्रीय संत प्रभु दत्त ब्रह्मचारी जी महाराज तथा संत श्री ब्रह्म प्रकाश जी की मूर्ति का अनावरण करने के बाद जन समूह को संबोधित कर रहे थे।

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  • आपस में मतभेद होने पर भी सभ्य भाषा का प्रयोग कीजिये

नरेंद्र शर्मा परवाना / राम सिंहमार ।

सोनीपत: आरएसएस के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत हमारे धर्म ग्रंथों में आचरण से यह बताने वाले संत ही होते हैं इसलिए संतों का हमेशा मान सम्मान करें। संत हमेशा श्रद्धेय हैं, हम संतों की शिक्षाओं को अपनाते हैं। लोगों के लिए काम करना और जब काम करेंगे तो कुछ लाभ भी होगा। इसमें अध्यात्म का चिंतन जरुरी है।

अपरिचित व्यक्ति से मर्यादा में बातें कीजिए
सर संघ संचालक भागवत सोमवार को श्री रामकृष्ण साधना केंद्र मुरथल जीटी रोड, मुरथल में गोलोकवासी परम पूज्य राष्ट्रीय संत प्रभु दत्त ब्रह्मचारी जी महाराज तथा संत श्री ब्रह्म प्रकाश जी की मूर्ति का अनावरण करने के बाद जन समूह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हम मूर्ति के माध्यम से जिस राम की पूजा करते हैं। धन्य है जिसने ध्यान धर भूमध्य में देखा। प्रत्यक्ष राम के जीवन में अपनों को त्याग कर भी अपने हित को भूल कर, उसका नुकसान होते हुए भी लोगों के हित में उन्होंने सारे काम किए हैं। एक दृष्टांत देखिए दरबार में परशुराम जी आ गए बातें करने लगे परशुराम जी कि धनुष को किसने तोड़ा, किसकी हिम्मत हुई तो लक्ष्मण जी क्रोधित हो गए तो श्रीराम जी लक्ष्मण को रोकने लगे उनकी मर्यादा बताते कहते हैं कि नागरिक जीवन में अपने सामने एक अपरिचित व्यक्ति भी आ गया तो नियम कहता है कि आपस में बात करते समय मतभेद होने पर भी अभद्र भाषा का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। रामजी ने खुद बात की तो परशुराम जी का गुस्सा ठंडा किया छोटी-छोटी ऐसे अनेक बातें हैं। अनेक उदाहरण हैं।

RSS chief in Sonipat: Saints transmit their knowledge to the society through the teachings given by the Lord: Sarsanghchalak Dr. Mohan Bhagwatआपको भी इतनी ही दृढ़ इच्छा से काम करना है यह हनुमान जी का आदर्श हैं : दृष्टांत
मैंने संघ में काम किया और संघ ने आज मुझे इस पद पर बैठाया लेकिन लोगों में रहकर बिना स्वार्थ के काम करना है। जैसे हनुमान जी को देखिए उन्होंने सब कुछ किया लेकिन जब पुरस्कार का वितरण हुआ, सबको कुछ ना कुछ दिया गया तब यह पीछे थे उन्हें ढूंढ कर लाए। श्री रामचंद्र जी नीचे देख रहे थे कुछ बोल नहीं रहे थे सीता जी ने उन्हें बुलाया और अपनी माला दे दी, तब हनुमानजी उस माला को तोड़कर देखने लगे कि क्या इसमें राम है। इधर रामचंद्र जी बोले कि हनुमान तुमने जो  उपकार हम पर किए हैं, पुरा कुटुंब यहां पर हैं हमने अपने पूरे जीवन का पूण्य दें तो भी हम तुम्हारे एक उपकार बदला नहीं चुका सकते। मेरे पास तुम्हें देने के लिए कुछ नहीं है। आपको भी इतनी ही दृढ़ इच्छा से काम करना है यह हनुमान जी का आदर्श है सभी संतो के जीवन में यही मिलता है हां हम वैसे होंगे या नहीं यह नहीं पता लेकिन हम उस दिशा में कदम तो रख सकते हैं 1 दिन बनेंगे इस जन्म में नहीं बने तो अगले जन्म में बनेंगे हमारी परंपरा में संत यही सब बताते हैं यह हमें प्रेरित करते हैं कि अच्छाई और सच्चाई का रास्ता हमेशा कठिन होता है।

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कार्यक्रम में देश भर आए साधु संत।

संतों का जीवन तप त्याग भरा
संतों का जीवन तप त्याग भरा होता है ठीक उसी प्रकार हमें हनुमान जी जैसे कार्यकर्ता भी मिलते हैं ब्रह्मचारी जी नेहरु के खिलाफ चुनाव लड़े लेकिन ब्रह्मचारी जी के और नेहरू जी के संबंध बिगड़े नहीं उन्होंने गौ रक्षा के लिए भी काम किया हमेशा समाज के कार्य में आगे रहे ऐसे ही संत होते हैं संत अपने ज्ञान को प्रभु के द्वारा दी गईं सीख को समाज तक पहुंचाते हैं।

संत हर हाल में सज्ज्नता का व्यवहार करते हैं
यह एक मार्तंड है सूर्य सूर्य जैसे तेजस्वी लेकिन किसी को ताप नहीं देते यह चंद्रमा के जैसे शीतल हैं लेकिन चंद्रमा के जैसे कलंकित नहीं है यह सब के लिए सबके अपने हैं हर स्थिति में उनका व्यवहार सज्जनता ही रहता है ऐसी संतों की मंडली हमेशा उपलब्ध रही

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आरएसएस के सर संघ संचालक भागवत मंच पर।

आध्यात्मिक जागृति से परीवर्तन आया
बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि जब भी दुनिया में कहीं भी बड़ा परिवर्तन आया है उससे पहले पूरे समाज में आध्यात्मिक जागृति हुई है। हमें आपस में कौन जोड़ता है, हमारी सद्भावना, हमारा एक दूसरे का व्यवहार, एक दूसरे को मदद करने का होना चाहिए पीड़ा पहुंचाने का नहीं होना चाहिए। एक दूसरे को जोड़ने का होना चाहिए धर्म जोड़ता है तोड़ता नहीं। इस प्रकार का समान जीवन अपने व्यवहार से खड़ा करना संतों के उपदेशों से एक रास्ता निकाल कर आज की तारीख में उसे लागू करना हमारा काम है।

संस्कारों का संपूर्ण चित्रण समाज में उपस्थित रह कर करें
डा. मोहन भागवत ने कहा कि आज मूर्ति की स्थापना हो गई लेकिन वह स्थापित असल मायनों में तब होगी जब इन संस्कारों का संपूर्ण चित्र हम यहां समाज में उपस्थित करेंगे भले उसके लिए हमें कुछ साल लग जाए और जिस प्रकार से दूसरों के लिए उदाहरण बनने वाला ही है केंद्र इसको सुरक्षित अमृत करना आपकी जिम्मेदारी है।

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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक डाक्टर मोहन भागवत बोलते हुए।

आरएसएस ने श्री राम का जो प्रत्यक्ष स्वरूप है राष्ट्र उसको प्रदर्शित किया: संत राम गोपाल
अयोध्या से आए संत रामगोपाल जी महाराज ने कहा की सूरज कभी अपनी पहचान के लिए मोहताज नहीं होता उसी प्रकार जो अपने हृदय में हमेशा विराजते हैं श्री राम का जो आध्यात्मिक मतलब है वह आत्मा है आरएसएस ने श्री राम का जो प्रत्यक्ष स्वरूप है राष्ट्र उसको प्रदर्शित किया है।

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12 Comments
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