पेरिस पैरा ओलंपिक: धर्मबीर नैन ने पेरिस पैरा ओलंपिक में जीता स्वर्ण पदक

पुरुष वर्ग की क्लब थ्रो एफ-51 स्पर्धा में धर्मबीर नैन ने एशियाई रिकॉर्ड तोड़ते हुए स्वर्ण पदक पर कब्जा किया। उनकी इस सफलता के बाद देशभर में और खासकर उनके पैतृक गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। गांव में खेल प्रेमियों ने मिठाइयां बांटकर अपनी खुशी का इजहार किया।

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हाइलाइट्स

  • स्वर्णिम सफलता पर जश्न का माहौल गांव भदाना में, खुशी में मिठाई बांटी

सोनीपत, (अजीत कुमार): पेरिस में आयोजित पैरालंपिक खेलों में हरियाणा के खिलाड़ियों का दबदबा जारी है। सोनीपत के गांव भदाना के निवासी धर्मबीर नैन ने अपने शानदार प्रदर्शन से स्वर्ण पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया है। धर्मबीर ने अपने चौथे प्रयास में 34.92 मीटर की थ्रो फेंककर यह उपलब्धि हासिल की।

पुरुष वर्ग की क्लब थ्रो एफ-51 स्पर्धा में धर्मबीर नैन ने एशियाई रिकॉर्ड तोड़ते हुए स्वर्ण पदक पर कब्जा किया। उनकी इस सफलता के बाद देशभर में और खासकर उनके पैतृक गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। गांव में खेल प्रेमियों ने मिठाइयां बांटकर अपनी खुशी का इजहार किया।

धर्मबीर की पत्नी ज्योति ने बताया कि उनके जीवन का सफर संघर्ष से भरा रहा है। वर्ष 2012 में धर्मबीर एक हादसे में उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई थी, जब वे नहर में छलांग लगाने के दौरान जलस्तर कम होने के कारण तलहटी से टकरा गए थे। इस दुर्घटना के बाद उनका आधा शरीर काम करना बंद कर गया, लेकिन धर्मबीर ने हार नहीं मानी। अपनी कड़ी मेहनत और बुलंद हौसलों के दम पर उन्होंने पेरिस पैरालंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर सभी को प्रेरित किया।

धर्मबीर नैन ने अपने गुरु अमित सरोहा के मार्गदर्शन में कड़ी मेहनत की। पहले रियो और टोक्यो पैरालंपिक में पदक से चूकने के बाद, धर्मबीर ने पेरिस में यह सपना पूरा किया। उनकी मां और पत्नी कहना है कि धर्मबीर दिन-रात मेहनत करते थे, और उनका यह गोल्ड मेडल उनके गुरु अमित सरोहा को समर्पित है।

धर्मबीर का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन की कठिनाइयों से लड़ते हुए इस मुकाम को हासिल किया है और देश को स्वर्ण पदक दिलाने का उनका सपना पूरा हुआ। परिवार और गांव में उनके आगमन पर जोरदार स्वागत की तैयारी हो रही है।

 

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