नई दिल्ली: समाचार पत्र प्रकाशकगण हर सम्भव सहयोग व संघर्ष के लिये तैयार रहें
एसोसिएशन ऑफ स्मॉल एण्ड मीडियम न्यूजपेपर्स ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष व भारतीय प्रेस परिषद के पूर्व सदस्य केशव दत्त चन्दोला ने दर्जनों पत्र सूचना प्रसारण मंत्रालय व केन्द्रीय अधिकारियों को भेज कर लगभग सभी समस्याओं के निराकरण की निरन्तर मांग करते आ रहे हैं पर आपत्तिजनक प्राविधानों में अपेक्षित संशोधन का प्रबल आश्वासन दिया गया।
नई दिल्ली, (अजीत कुमार): देश में लघु एवं मध्यम समाचार पत्रों पर सरकार द्वारा नई-नई जटिलताएं उत्पन्न करने, नया प्रेस सेवा पोर्टल बनाकर क्षमता से अधिक आपत्तिजनक प्रक्रियाओं की पूर्ति का दबाव व अनेकों कठिन मानदंडों का सृजन कर प्रकाशकों पर किये जा रहे अत्याचार और उसमें बेतहाशा वृद्धि को लेकर लघु एवं मध्यम समाचार पत्र प्रकाशकों का वर्ग न केवल अत्यधिक परेशान हो गया है बल्कि समाचार पत्र प्रकाशन बन्द कर देने की विवशता के कगार पर पहुंच गया है।
उत्पन्न विसंगतियों को सरलीकरण करने की मांग को लेकर देश के शीर्ष व भारतीय प्रेस परिषद से अधिसूचित संगठनों में आल इण्डिया स्माल एण्ड मीडियम न्यूज पेपर्स फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष व भारतीय प्रेस परिषद के सदस्य गुरिंदर सिंह, महामंत्री अशोक कुमार नवरत्न, भारतीय प्रेस परिषद के सदस्य एल सी भारतीय, अखिल भारतीय समाचार पत्र एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश चन्द्र शुक्ल, एसोसिएशन ऑफ स्मॉल एण्ड मीडियम न्यूजपेपर्स ऑफ इंडिया के उत्तर प्रदेश राज्य के अध्यक्ष व भारतीय प्रेस परिषद के सदस्य श्याम सिंह पंवार, इण्डियन एसोसिएशन ऑफ प्रेस-एन-मीडियामेन के राष्ट्रीय अध्यक्ष पवन सहयोगी, प्रकाशक आसिफ एहसान जाफरी “विक्रान्त”, प्रकाशक आशीष शर्मा आदि ने केन्द्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय के सचिव, भारत के प्रेस महापंजीयक से एक शिष्टमंडल के रूप में अनेकों बार भेंट वार्ता कर ज्ञापन दिये।
इसके अतिरिक्त एसोसिएशन ऑफ स्मॉल एण्ड मीडियम न्यूजपेपर्स ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष व भारतीय प्रेस परिषद के पूर्व सदस्य केशव दत्त चन्दोला ने दर्जनों पत्र सूचना प्रसारण मंत्रालय व केन्द्रीय अधिकारियों को भेज कर लगभग सभी समस्याओं के निराकरण की निरन्तर मांग करते आ रहे हैं पर आपत्तिजनक प्राविधानों में अपेक्षित संशोधन का प्रबल आश्वासन दिया गया। किन्तु खेद है कि बावजूद इसके अब तक कोई अपेक्षित संशोधन न करना सरकार व सन्दर्भित अधिकारियों की उदासीनता का कुत्सित व ज्वलंत प्रमाण है। सरकार के उत्तरदायी अधिकारी प्रकाशकों को सड़कों पर उतरने के लिए अनावश्यक मजबूर कर रहे हैं। अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि प्रकाशकों की समस्याओं पर कोई ठोस रणनीति बनाकर कर अग्रिम कदम उठाने की नितान्त आवश्यकता है।
सरकार की कार्यप्रणाली से स्पष्ट है कि सरकार देश के लघु व मध्यम समाचार पत्रों को खत्म कर सिर्फ बड़े समाचार पत्र संस्थानों के सहारे अपना साम्राज्य चलाना चाहती है क्योंकि बड़े संस्थान येन केन प्रकारेण सरकार के मापदंडों और उत्पीड़न, अत्याचार से बच जाते हैं, किन्तु परेशान सिर्फ वही लघु व मध्यम अखबार होते हैं जिन्होंने ईमानदारी और समर्पण भाव से देश एवं राष्ट्र की जनता के हित में जनसामान्य की निष्पक्ष पारदर्शी पत्रकारिता करने के लिये अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया। आज स्थिति यह है कि आजाद भारत में सरकार किसी की भी हो उसे बड़े और व्यवसायिक समाचार पत्र संस्थानों की अपेक्षा लघु और मध्यम समाचार पत्र संस्थानों से निष्पक्ष व सही प्रकाशन का भय अधिक रहता है।
वर्तमान परिस्थितियों में समय और हालातों को समझ तत्काल सकारात्मक निर्णय लेना अत्यन्त आवश्यक व अपरिहार्य हो गया है। यदि समय रहते समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो शीघ्र ही नई दिल्ली में सभी सम्बन्धित पदाधिकारियों की बैठक बुलाकर कारगर व ठोस कदम उठाने के लिए विवश होना पड़ेगा। देश के सभी लघु व मध्यम समाचार पत्रों के प्रकाशक मित्र हर सम्भव सहयोग व संघर्ष के लिए तैयार रहें।
Gyanjyotidarpan.com पर पढ़े ताज़ा व्यापार समाचार (Business News), लेटेस्ट हिंदी समाचार (Hindi News), बॉलीवुड, खेल, क्रिकेट, राजनीति, धर्म और शिक्षा से जुड़ी हर ख़बर। समय पर अपडेट और हिंदी ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए समाचार अनुभव को बेहतर बनाएं। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट ज्ञान ज्योति दर्पण पर पढ़ें।
हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़े
Gyan Jyoti Darpan
Comments are closed.