मथुरा: सिंधी जनरल पंचायत ने यमुना महारानी को ओढ़ाई 425 मीटर लम्बी चुनरी
लाला नवलकिशोर नलकूप के पास भिवानी धर्मशाला से गाजे-बाजे के साथ शुरू हुई कलशयात्रा में राधे-कृष्ण की गूंज और श्रीयमुना महारानी और आयोलाल झूलेलाल के जयकारों के मध्य सिंधी समाज के सैकड़ों नर-नारी, बच्चें-बुर्जग नाचते गाते हुए 71 साड़ियों से तैयार चुनरी को सर पर उठाए विश्राम घाट के पास सती घाट पहुंचे, जहां श्रीयमुना महारानी का वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य यमुना पुरोहितों द्वारा पूजन-अर्चन कराया गया।
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- सिंधी परिवारों ने 71 साड़ियों से किया यमुना का चुनरी मनोरथ
- यमुना किनारे गुंजे आयोलाल झूलेलाल के जयकारे
मथुरा: भगवान झूलेलाल के अनुयायियों ने पहलीबार श्रीयमुना महारानी का चुनरी मनोरथ किया, जिसमें सिंधी जनरल पंचायत के पदाधिकारियों और कार्यकारिणी सदस्यों ने परिवार सहित 425 मीटर लम्बी चुनरी यमुनाजी को ओढ़ाई।
लाला नवलकिशोर नलकूप के पास भिवानी धर्मशाला से गाजे-बाजे के साथ शुरू हुई कलशयात्रा में राधे-कृष्ण की गूंज और श्रीयमुना महारानी और आयोलाल झूलेलाल के जयकारों के मध्य सिंधी समाज के सैकड़ों नर-नारी, बच्चें-बुर्जग नाचते गाते हुए 71 साड़ियों से तैयार चुनरी को सर पर उठाए विश्राम घाट के पास सती घाट पहुंचे, जहां श्रीयमुना महारानी का वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य यमुना पुरोहितों द्वारा पूजन-अर्चन कराया गया।
यमुनाजी को एक पार से दूसरे पार तक लगभग 20 नौकाओं में बैठे श्रद्धालुओं के द्वारा भजन-कीर्तन के साथ चुनरी धारण कराई। चुनरी मनोरथ ठाकुरश्री और यमुना महारानी का जुगल श्रृंगार है। भगवान श्रीकृष्ण की पटरानी यमुना महारानी को अपने हाथों से चुनरी ओढ़ाकर सिंधी भक्त हर्षित हो उठे, उनमें एक अलग ही उत्सव था। हर कोई भक्त जुगल जोड़ी सरकार और जलदेवता झूलेलाल से यही प्रार्थना कर रहा था कि जिस तरह आनंद के साथ 2023 साल बीता है, यह 2024 साल भी भक्तिभाव के साथ आनंदभरा हो।
सिंधी जनरल पंचायत के अध्यक्ष नारायणदास लखवानी ने बताया कि सिंधी समाज जल का उपासक है, इसी आस्था के तहत नये साल पर यमुना महारानी का चुनरी मनोरथ कर पुण्य लाभ का मौका सबको मिला है। नई पीढ़ी को अपनी धार्मिक रीति-रिवाजों से जोड़ने के उद्देश्य से यह आयोजन किया गया।
उपाध्यक्ष रामचंद्र खत्री ने कहा कि मथुरा में सिंधी समाज यमुना महारानी को ही दरियाशाह मानकर वरूणावतार भगवान झूलेलाल के प्रतीक के रूप में पूजता है, इसी आस्था के तहत चुनरी मनोरथ कराया गया।
मीडिया प्रभारी किशोर इसरानी ने बताया कि सिंधी समाज के ईष्टदेव वरूणावतार भगवान झूलेलाल, जिन्हें दरियाशाह (जलदेवता) भी कहते है, को जल के रूप में पूजा जाता है। भारत की प्राचीन सिंधुनदी से शुरू हुई आस्था वर्तमान में विभिन्न नदियों पर केंद्रित है। सिंधी समाज नजदीकी जलाशयों पर जाकर ही अपनी रस्मों को निभाता है।
कार्यक्रम के विशेष सहयोगी कंहैयालालभाईजी और सुरेश मेठवानी ने कहा कि सिंधी जनरल पंचायत ने चुनरी मनोरथ के माध्यम से समाज को जोड़ने का सराहनीय कार्य किया है, ऐसे कार्यक्रमों से सबको सेवा का अवसर मिलता है, वहीं समाज की एकता और अखंडता भी कायम रहती है।
जनरल पंचायत के अध्यक्ष नारायणदास लखवानी, उपाध्यक्ष रामचंद्र खत्री, तुलसीदास गंगवानी, जीवतराम चंदानी, महामंत्री बसंत मंगलानी, मंत्री गुरूमुखदास गंगवानी, प्रदीप उकरानी, कंहैयालाल भाईजी, सुरेश मेठवानी, जितेंद्र लालवानी, केवलराम चंदानी, अशोक अंदानी, सुन्दर खत्री, सुनील पंजवानी, भगवानदास बेबू , चंदनलाल आडवानी, मीडिया प्रभारी किशोर इसरानी, झामनदास नाथानी, सुदामा खत्री, हरीश चावला, रमेश नाथानी, अनिल मंगलानी, सुरेश मनसुखानी, गिरधारी नाथानी, तरूण लखवानी, जितेंद्र भाटिया, मिर्चूमल, पीताम्बर रोहेरा, दौलतराम, महेश घावरी, रमेश केवलानी, विष्णु हेमानी, कंहैयालाल एडवोकेट आदि परिवारों ने सामुहिक रूप से मिलकर सिंधी पंडित मोहनलाल महाराज के साथ चुनरी ओढ़ाई।
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