मथुरा: बच्चे भक्त प्रहलाद और भक्त ध्रुव से प्रेरणा लें – निरंकारी संत
निरंकारी प्रतिनिधि किशोर स्वर्ण ने बताया कि नन्हे मुन्ने बच्चों ने काव्य पाठ कर मर्यादा की सीख दी, वहीं प्रेरक नाटक भक्ति में अनुशासन का मंचन कर भरपूर वाह-वाही बटोरी। छोटे छोटे बच्चों ने बड़ी और गहरी बातें कर यह अहसास करा दिया कि जैसी संगत होती है वैसी रंगत चढ़ती है।
मथुरा, (किशोर स्वर्ण): सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज की प्रेरणा से रविवार को यहां हाइवे स्थित संत निरंकारी सत्संग भवन पर जोनल स्तरीय निरंकारी बाल संत समागम आयोजित किया गया, जिसमें खुर्जा, बुलंदशहर, अलीगढ़, कासगंज, फरह, वृंदावन सहित मथुरा के तमाम निरंकारी बच्चों ने अपनी प्रेरक प्रस्तुतियां देकर सबका मन मोह लिया।
निरंकारी प्रतिनिधि किशोर स्वर्ण ने बताया कि नन्हे मुन्ने बच्चों ने काव्य पाठ कर मर्यादा की सीख दी, वहीं प्रेरक नाटक भक्ति में अनुशासन का मंचन कर भरपूर वाह-वाही बटोरी। छोटे छोटे बच्चों ने बड़ी और गहरी बातें कर यह अहसास करा दिया कि जैसी संगत होती है वैसी रंगत चढ़ती है। बच्चों ने गीत-भजन-कविताएं और लघु नाटक के साथ प्रेरक विचार व्यक्त कर निराकार प्रभु और सत्संग से जुड़े रहने की सीख दी।
मुख्य अतिथि बरेली के जोनल इंचार्ज संजीव अग्रवाल ने निरंकारी बच्चों की प्रस्तुतियों को सराहाते हुए उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। उन्होंने कहा कि निरंकारी सत्संग में नन्हे बच्चों ने जो अद्भुत बातें कही वह उनके पारिवारिक माहौल के कारण ऐसा कर पाए, इसलिए बच्चों को बाल उम्र में ही सत्संग जे जोड़ देना चाहिए। जो बच्चे छोटी उम्र में सत्संग से जुड़ जाते हैं, वह हर क्षेत्र में मजबूती के साथ खड़े होते हैं। ऐसे बच्चे खुद तो रोशन होते ही हैं औरों को भी रोशनी प्रदान करते हैं। उन्होंने मर्यादा और अनुशासन के साथ जीवन जीने की सीख देते हुए कहा कि जो सत्संग से जुड़ा होता है वह मानवीय गुणों से सुशोभित रहता है।
निरंकारी संत ने कहा कि ऐसा नहीं है कि भक्त बड़ी उम्र के ही हुए है। अगर हम भक्त ध्रुव और भक्त प्रहलाद की बात करे तो वह कोई बड़ी उम्र के नहीं थे। मथुरा भगवान श्रीकृष्ण जी की जन्मस्थली है जो भक्ति के रूप में विख्यात है, यहां भगवान श्रीकृष्ण जी बाल रूप में ज्यादा प्रसिद्ध है, जहां उन्होंने बाल उम्र में ही लीला की और विविध रूपों में कुछ न कुछ सीख दी। बच्चे भगवान श्रीकृष्ण जी के गीताज्ञान के साथ भक्त प्रहलाद से अडोल भक्ति और भक्त ध्रुव से सर्वोच्च लक्ष्य की प्राप्ति की प्रेरणा लें।
उन्होंने कहा कि निरंकारी सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज बच्चों और युवाओं को श्रेष्ठ संस्कार दे रहे हैं, ताकि आने वाली पीढ़ी न केवल अपने परिवार का बल्कि अपने देश का भी नाम रोशन करे। उन्होंने कहा कि सद्गुरु से ब्रह्मज्ञान प्राप्त कर आध्यात्म को अपनाएं। बच्चे अपने माता-पिता तथा बड़ों का चरणस्पर्श कर सम्मान किया करें। घर-परिवार में प्रेम हो, सत्कार हो यही व्यवहारिक सीख निरंकारी मिशन दे रहा है।
जोनल इंचार्ज एच के अरोड़ा ने बताया कि समागम में बच्चों को आध्यात्म के माध्यम से आधुनिक टेक्नोलॉजी का सदोपयोग करने और बुरी आदतों से दूर रहने के टिप्स दिए गए। बाल समागम का उद्देश्य बच्चों और युवाओं को आध्यात्म की ओर प्रेरित करना है।
उन्होंने बताया कि आज युवा शक्ति को नियंत्रित करके इसे नेक कार्यों के लिए प्रयोग करने की जरूरत है। वरना ये शक्ति गलत राह की ओर अग्रसर हो जायेगी। निरंकारी सद्गुरु माता सुदीक्षा जी देशभर में निरंकारी यूथ एवं बाल समागम के माध्यम से नेक दिशा देने का प्रयास कर रहे हैं।
मथुरा बाल संगत की इंचार्ज उर्वशी त्रिपाठी तथा ममता निरंकारी के नेतृत्व में बच्चों को पुरूस्कृत भी किया गया। संचालन युवा भक्त यश तनवानी और जाह्नवी पेसवानी ने किया।
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