जांगिड ब्राह्मण महासभा: भगवान विश्वकर्मा के बिना सृष्टि नहीं चलती तो अब विश्वकर्मा समाज के समर्थन के बिना सरकार भी नहीं चलेगी: सन्त भगवान शरण बापू
महाकाल की पुण्य धरा पर, भगवान शंकर के अनन्य भक्त और उनके प्रति अगाध आस्था रखने वाले महात्मा और परम पूज्य संत,भगवान शरण बापू का जैसा नाम ,वैसे ही कर्ण प्रिय सुन्दर शब्दों में वह प्रवचन करते हैं।
महान सन्त परम्परा के संवाहक, विनम्रता और शालीनता की प्रतिमूर्ति, भगवान विश्वकर्मा के अनन्य भक्त और साधु प्रवृति के धनी और समता मूलक समाज के पैरोकार, लोक विख्यात कथा व्यास भगवान शरण बापू अपने कर्तव्य बोध के प्रति भावनात्मक लगाव रखने के कारण ही समाज के विनम्र अनुरोध पर जयपुर में आयोजित विश्वकर्मा महाकुंभ में महाकाल की पावन नगरी उज्जैन से विशेष रूप से इस महाकुंभ में भाग लेने पहुंचे और अपने सारगर्भित उद्गारों और समाज के प्रति व्यक्त किए गए मनोभावों ने समाज के लोगों अपने आशीर्वचन से मंत्रमुग्ध कर दिया।
महाकाल की पुण्य धरा पर, भगवान शंकर के अनन्य भक्त और उनके प्रति अगाध आस्था रखने वाले महात्मा और परम पूज्य संत,भगवान शरण बापू का जैसा नाम, वैसे ही कर्ण प्रिय सुन्दर शब्दों में वह प्रवचन करते हैं। उन्होंने विश्वकर्मा महाकुंभ के बारे में भी अपना उत्प्रेरक उद्बोधन किया है। उन्होंने लिखा है कि जांगिड़ ब्राह्मण महासभा के मार्ग दर्शन में विद्याधरनगर जयपुर में आयोजित विश्वकर्मा महाकुंभ में उमड़े जन सैलाब को देखकर हृदय बहुत ही आह्लादित और प्रसन्नता से आत्मविभोर हो गया। जिस समय मुझे मध्य प्रदेश के अध्यक्ष प्रभु दयाल बरनेला ने इस महाकुंभ के बारे में टेलीफोन के माध्यम से अवगत करवाया तो मेरे मन में खुशी का कोई पारावार नही रहा और मेरी अन्तर्आत्मा और अन्त करण से आवाज आई कि वैसे तो सन्त महात्माओं के लिए यह समस्त संसार ही एक परिवार है, लेकिन ब्रह्मा जी के मानस पुत्र, सप्त ऋषियों में शामिल,जिस महर्षि अंगिरा कुल में, मैं पैदा हुआ हूं,अगर इस महाकुंभ के माध्यम से मुझे अपना कुछ दायित्व पूरा करने का सौभाग्य मिला है तो यह मेरे लिए यह परम सौभाग्य की बात होगी। वैसे तो कहा गया है कि जात न पूछो साध की, पूछ लीजो ज्ञान मेरा सदैव से ही यह प्रयास रहा है कि जिस गौरवशाली वंश में मैंने जन्म लिया है और अगर मेरे उपदेश करने से इस समाज का एक व्यक्ति भी भगवत शरण में आ जाता है तो उसका जीवन सफल हो जाएगा, क्योंकि प्रभू का नाम ही सबका आधार है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए ही मैंने इस महाकुंभ में भाग लेने का निर्णय लिया ।
इस महाकुंभ में जाने के लिए 2 सितंबर को सुबह 6 बजे जांगिड ब्राह्मण महासभा के अन्तर्गत मध्य प्रदेश के अध्यक्ष प्रभु दयाल बरनेला के साथ आश्रम के निजी वाहन से जयपुर के महाकुंभ में भाग लेने के लिए रवाना हुए और कोटा में भक्तों के यहां प्रसाद पाते हुए जयपुर में पहुंचकर विश्वकर्मा महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए किए जा रहे महायज्ञ में सम्मिलित होने और पूर्णाहुति देने का शुभ अवसर मिला और तत्पश्चात जांगिड फाउंडेशन द्वारा प्रदेश भवन के बेसमेंट में आयोजित एक कार्यकर्म में कोरोना महामारी के दौरान निस्वार्थ भाव से जनमानस की सेवा करने के लिए मुझे कोरोना महायोद्धा के सम्मान से सम्मानित किया गया। इस कृतज्ञता के लिए मैं समाज का ह्रदय की गहराईयों से वंदन और अभिनंदन करता हूं।
वहां पर उपस्थित समाज के प्रबुद्ध लोगों को संबोधित करते हुए मैंने अपने उद्वोधन में कहा था कि हमारा समाज आज के समय में हर क्षेत्र में आशातीत गतिशील है और यह सब सृष्टिकृता भगवान विश्वकर्मा की अनुकम्पा का ही प्रसाद है। उस समय मेरे इस समाज के सामाजिक बंधुओ और प्रबुद्ध लोगों का उत्साह देखकर मुझे अपार प्रसन्नता हुई और प्रातः काल 3 सितंबर को नियमित रूप से पूजा पाठ और अर्चना करने के पश्चात जैसे ही मैं प्रदेश सभा के जांगिड भवन में पहुंचा तो देखा कि मातृशक्ति लहरिया साड़ी पहने हुए ,एक विशेष परिवेश में हजारों की तादाद में अमृत कुंभ कलश अपने सिर पर मुकुट की तरह लिए हुए सड़क पर ऐसे मनोरम दृश्य प्रस्तुत कर रही थी। जैसे कि समुद्र में उठती हुई रंग -बिरंगी तरंगों के साथ उठती हुई लहरें आगुन्तको का स्वागत करने के लिए पूरे मनोवेग से मचल रही हों और लहरा रही हो। सामाजिक बंधु अपने-अपने स्तर पर कोई साफा बांधे था ,तो कोई राजस्थानी पगड़ी पहने हुए था, सभी ने अपने-अपने क्षेत्र के हिसाब से अपने -अपने परिवेश में इस कार्यक्रम को सफल बनाने का प्रयास किया और यही विभिन्नता में एकता का अनूठा संगम ही इस महाकुंभ की सफलता का रहस्य था। मैंने मातृशक्ति को आशीर्वाद दिया और इस मनोरम कलश यात्रा के सफलता की भगवान शंकर से प्रार्थना की और मुझे खुशी है कि महायज्ञ की समिधा के प्रभाव के कारण ही यह कलश यात्रा गुलाबी नगरी जयपुर में अपनी एक विशेष पहचान बनाने में सफल रही और इस कलश यात्रा ने जयपुर की सड़कों पर एक अद्वितीय इतिहास रच दिया।
जिस समय मैं,विधाधर स्टेडियम में आयोजित समारोह स्थल पर पहुंचा तो वहां पर मंच पर महासभा के प्रधान, सादगी और सरलता के प्रतीक रामपाल शर्मा से स्नेह पूर्ण मिलन हुआ। इस समूचे आयोजन की व्यवस्था में राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष संजय और उसकी कर्मठ टीम की बहुत ही सक्रिय भूमिका रही। इससे पहले प्रदेश सभा के ऑफिस जयपुर में महासभा के पूर्व प्रधान कैलाश बरनेला से भी यादगार मुलाकात हुई। जिन्होंने महासभा के सदस्य मिशन एक लाख की परिकल्पना करके इसे आगे बढ़ाने का काम किया था। उल्लेखनीय है कि मुझे भी महासभा का सदस्य बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है और मेरी सदस्य संख्या 5401 है।
मेरा मानना है कि इस विश्वकर्मा महाकुंभ के सफल आयोजन ने सरकार के एवं समस्त राजनैतिक पार्टियों के कानों तक यह बात तो स्पष्ट रूप से पहुंच गई है कि अब भविष्य में विश्वकर्मा समाज की और ज्यादा अवहेलना करना इतना आसान नहीं होगा। मैंने तो अपने उद्बोधन में भी एक ही बात बड़ी स्पष्टता से और वजनदारी ढंग से कही थी कि ब्रह्माजी की सृष्टि, भगवान विश्वकर्मा जी के बिना नहीं चल सकती है, तो अब प्रदेश और केंद्र की सरकार भी बिना विश्वकर्माओं के समर्थन के बिना नहीं चल सकती हैं। यह बात सभी राजनैतिक पार्टियों को गाठ बांध कर रख लेनी चाहिए। इसलिए राष्ट्रीय पार्टियों को चाहिए कि भविष्य में होने वाले आगामी चुनावों में चाहे वह लोकसभा का चुनाव हो, चाहे वह विधानसभा का चुनाव हो, विश्वकर्मा बंधुओ को भागीदारी देनी ही चाहिए और इसके साथ ही संगठन में भी हमारी भागीदारी होना चाहिए। अभी हाल ही में संसद द्वारा पारित नारी शक्ति वंदन बिल के द्वारा महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण का प्रवधान किया गया है। इसमें मातृशक्ति के लिए आरक्षण निर्धारित कर दिया गया है और इसी प्रक्रिया के तहत हमारे विश्वकर्मा समाज की बहनों का भी हर क्षेत्र में आरक्षण होना चाहिए। अब उन्हें भी आगे लाना होगा तभी समाज के सर्वांगीण विकास का सपना साकार हो सकेगा। एक बार मैं पुनः विश्वकर्मा महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए उन सभी आयोजकों का हृदय के अन्त करण से आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने अथक परिश्रम करके और अहर्निश समर्पित भाव से कार्य करते हुए इस विशाल आयोजन को सफल बनाने में अपनी महत्ती भूमिका निभाई है।
समस्त समाज को बहुत-बहुत आशीर्वाद जय श्री महाकाल ।लोक विख्यात कथा व्यास संत भगवान शरण बापू पीठाधीश्वर श्री श्याम बालाजी धाम चिंतामन गणेश मंदिर रोड उज्जैन मध्य प्रदेश।
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