अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती: हरियाणा की बुणाई कला को जीवंत कर बाजार में उतारने की तैयारी; विरासत में आयोजित कार्यशाला में बुणाई कला के दिए टिप्स
प्रो. स्वाति ने कहा कि हरियाणा की बुनकर कला का इतिहास बहुत पुराना है। इसको नये स्वरूप में प्रस्तुत कर पीढ़ों के नये आकार एवं प्रकार को बाजार में लाया जाना चाहिए ताकि युवा पीढ़ी तथा हस्तशिल्प प्रेमी आवश्यकतानुसार हरियाणा की बुनी हुई चीजें प्राप्त कर सकें।
- विरासत में हरियाणवी फुलझड़ी की प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केन्द्र
- कार्यशाला में फुलझड़ी बनाने के सिखाए गए गुर
- चूरमा खाने की प्रतियोगिता में प्रवीण ने पाया पहला स्थान
- दिलावर की रागनियों पर झूमे कलाकार
- सीनियर सिटीजन फोरम ने किया विरासत हेरिटेज विलेज का अवलोकन
कुरुक्षेत्र: अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती के अवसर पर विरासत हेरिटेज विलेज जी.टी. रोड मसाना में नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाईन कुरुक्षेत्र, एच.एस.आर.एल.एम. हरियाणा द्वारा आयोजित कार्यशाला में अम्बाला, भिवानी, चरखी दादरी, गुरुग्राम, फतेहाबाद, करनाल, नूंह, हिसार, पंचकूला, पानीपत, रोहतक तथा सिरसा के हस्तशिल्पकारों ने भाग लिया। इस अवसर पर डॉ. महासिंह पूनिया, एनआईडी की प्रो. स्वाति एवं शालिनी ने हरियाणा के बुनकरों को बाजार के साथ जुडऩे के लिए प्रेरित किया। प्रो. स्वाति ने कहा कि हरियाणा की बुनकर कला का इतिहास बहुत पुराना है। इसको नये स्वरूप में प्रस्तुत कर पीढ़ों के नये आकार एवं प्रकार को बाजार में लाया जाना चाहिए ताकि युवा पीढ़ी तथा हस्तशिल्प प्रेमी आवश्यकतानुसार हरियाणा की बुनी हुई चीजें प्राप्त कर सकें।
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इस मौके पर प्रो. स्वाति ने उपस्थित हस्तशिल्पकारों को बुणाई से जुड़े हुए विविध पहलुओं, रंग व तकनीक संबंधी जानकारी देकर उन्हें बाजार से जुडऩे के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर विरासत की ओर से पीढ़ों के आकर, प्रकार तथा उनके नवीन स्वरूपों की एक प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया, जिसका प्रदेश भर से आए शिल्पकारों ने अवलोकन किया। कार्यशाला में हरियाणा की दरी के विविध स्वरूपों को बाजार से जोडऩे के लिए बल दिया गया। इस अवसर पर हरियाणा की अलग-अलग हिस्सों से पहुंची महिलाओं की बुणाई कला के माध्यम से प्रस्तुत अनेक विषय-वस्तुओं का चयन भी किया गया और उनको नये स्वरूप में प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया गया।
चूरमा खाने की प्रतियोगिता में प्रवीण ने पाया पहला स्थान
कुरुक्षेत्र: अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती के अवसर पर विरासत हेरिटेज विलेज जी.टी. रोड मसाना में आयोजित कार्यशाला एवं सांस्कृतिक प्रदर्शनी में गुड़ का चूरमा खाने की प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस अवसर पर 10 से अधिक चूरमा खाऊ प्रतिभागियों ने भाग लिया। सबसे पहले सकरा कैथल से प्रवीण ने सबसे ज्यादा चूरमा खाने का रिकार्ड बनाया। विरासत हेरिटेज विलेज की ओर से सबसे ज्यादा चूरमा खाने वाले प्रवीण को विशेष पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उल्लेखनीय है कि विरासत में हर रोज हरियाणवी संस्कृति से संबंधित अनेक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है ताकि हरियाणा की लोक पारम्परिक विषय-वस्तुओं को आम जनमानस में लोकप्रिय बनाया जा सके।
दिलावर की रागनियों पर झूमे कलाकार
अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती के अवसर पर विरासत हेरिटेज विलेज जी.टी. रोड मसाना में आयोजित कार्यशाला एवं सांस्कृतिक प्रदर्शनी में आज सांस्कृतिक कार्यक्रमों की कड़ी में हरियाणा के जाने-माने कलाकार दिलावर ने अपनी लोक सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से सबका मन मोह लिया। इस अवसर पर प्रदेश भर से आए हस्तशिल्पकार उपस्थित थे। उन्होंने हरियाणवी लोकजीवन के विविध किस्सों एवं गायन शैलियों को रागनियों के माध्यम से प्रस्तुत कर हरियाणवी संस्कृति की ऐसी बानगी दी कि सभी श्रोता झूम उठे। विरासत के मंच पर हर रोज हरियाणवी सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति लोक संस्कृति के विविध रंगों को बिखेर रही है। इस अवसर पर गायक कलाकार दिलावर ने कहा कि विरासत के माध्यम से हरियाणा की लोक संस्कृति देश-विदेश में महक रही है।
विरासत में हरियाणवी फुलझड़ी की प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केन्द्र: कार्यशाला में फुलझड़ी बनाने के सिखाए गए गुर
अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती के अवसर पर विरासत हेरिटेज विलेज जी.टी. रोड मसाना में ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा आयोजित कार्यशाला एवं सांस्कृतिक प्रदर्शनी में लगाई गई हरियाणवी फुलझडिय़ों की प्रदर्शनी पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। यहां पर अनेक प्रकार की हाथ से बनी हुई फुलझडिय़ां विविध रंगों में प्रदर्शित की गई हैं। उल्लेखनीय है कि फुलझड़ी भी उसी तरह का एक हस्तकला का नमूना है। इसे बनाने के लिए सरकंडे का प्रयोग किया जाता है। सरकंडे को सबसे पहले वर्गाकार रूप में जोड़ लिया जाता है। जोडऩे के पश्चात जब इसकी आकृति पिंजरे जैसी बन जाती है तो उसके उपर रंगीन कपड़ों को तिरछे आकार में लपेटा जाता है। वर्गाकार सभी सरकंडे रंगीन कपड़ों से लपेट दिए जाते हैं।
इसके साथ ही उसके पश्चात घोटा तथा पेमक चढ़ाकर इन सरकंडों के वर्गाकार स्वरूप को कलात्मक स्वरूप प्रदान किया जाता है। इसके साथ ही फुलझड़ी के ऊपरी सिरे पर जिसे बंधने वाला सिरा भी कहा जाता है पर कपड़ों से बना हुआ तोता बांधा जाता है। इसके वर्गाकार ऊपरी कोनों पर भी छोटे-छोटे तोते बांधने की परंपरा है। इसके पश्चात वर्गाकार स्वरूप में धागे की लडिय़ां लटकाई जाती हैं। इन लडिय़ों में तिकोने रंगीन आकार के कागज पुर दिए जाते हैं। ये छोटी-छोटी मोतियों जैसी लडिय़ों की अनेक लटकनें फुलझड़ी की शोभा को बढ़ाती हैं। इसके साथ-साथ रंगीन कपड़ों से ढक़कर बीच-बीच में माचिश भी बांधी जाती है जिनमें अनाज के दाने ड़ाल दिए जाते हैं। इसके साथ ही फुलझड़ी की सभी लडिय़ों के निचले हिस्से तथा आखिरी छोर पर बल्ब तथा रंगीन कपड़ों के बने हुए छोटे गोलाकार गिन्डू बांधने की परंपरा भी रही है। फुलझड़ी की सतरंगी आभा इतनी अनोखी तथा आकर्षक होती है कि वह सबको अपनी ओर आकर्षित करती है। नववधु को दूसर यानि के दूसरी बार ससुराल में जाते समय हस्तकलाओं के अनेक नमूने ले जाती है। उसमें से फुलझड़ी भी एक है। फुलझड़ी को घर के दालान में शहतीर के बीच में लगे हुए कड़े पर बांधने की परंपरा है। यहां पर प्रदर्शनी में कार में लगाने के लिए फुलझड़ी से लेकर होटलों में लगाई जाने वाली फुलझड़ी को भी तैयार किया गया है।
सीनियर सिटीजन फोरम ने किया विरासत हेरिटेज विलेज का अवलोकन
कुरुक्षेत्र: अंतर्राष्ट्रीय गीता जयंती के अवसर पर विरासत हेरिटेज विलेज जी.टी. रोड मसाना में आयोजित कार्यशाला एवं सांस्कृतिक प्रदर्शनी का सीनियर सिटीजन फोरम के सदस्यों ने अवलोकन किया। इस अवसर उन्होंने हरियाणवी प्रदर्शनी में लगी विषय-वस्तुओं को देखा तथा हरियाणा की संस्कृति के विषय में चर्चा की। इसके साथ ही उन्होंने यहां पर लगी प्रदर्शनी में फुलझड़ी, बाट, हरियाणा के लोक परिधान, बोहिए, चरखे, दरी, पुराने बर्तन, पुराने पहियों को विरासत द्वारा संरक्षित करने की प्रशंसा की। इस मौके पर सीनियर सिटीजन फोरम के अध्यक्ष एसी नागपाल ने कहा कि विरासत के माध्यम से हरियाणा की जो सांस्कृतिक विरासत दिखाई गई है उसके माध्यम से हरियाणा की संस्कृति का प्रचार-प्रसार विदेशों तक हो रहा है। आने वाले दिनों में इसके दूरगामी परिणाम होंगे।
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