कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मेरी सोच
मुझे क्या बनना है, किस रास्ते से आगे बढ़ना है यह भविष्य की नींव मेरी सोच के द्वारा मन मे पक्का कर लेना चाहिए, वह उसी रास्ते से अपनी प्रगति हेतु मन मे जिज्ञासा रखकर ही हर युवा साथीयों को अपने प्लान के मुताबिक जीवन सफर को आगे बढ़ाना चाहिए !!
- खास युवाओं के आत्मविश्वास को प्रोत्साहन देने वाला लेख………
- युवाओं की प्रगति के लिये भारत अभियान बने इस सद् भावना से यह लेख लिख रहा हूं……….
महाराष्ट्र/जीजेडी न्यूज: आयु के पन्द्रह व अठरा वर्ष की आयु सिमा मे समाज के हर युवा साथीयों को अपने जीवन में भविष्य की ओर ध्यान देना चाहिए, मुझे आगे क्या करना, मेरा भविष्य कालिन प्लान क्या होगा, इसके बारे मे शुरुआती उम्र से ही विचार लाना चाहिए। मुझे क्या बनना है, किस रास्ते से आगे बढ़ना है यह भविष्य की नींव मेरी सोच के द्वारा मन मे पक्का कर लेना चाहिए, वह उसी रास्ते से अपनी प्रगति हेतु मन मे जिज्ञासा रखकर ही हर युवा साथीयों को अपने प्लान के मुताबिक जीवन सफर को आगे बढ़ाना चाहिए !!
घर की परिस्थिति को ध्यान मे इस तरह ले की आपका जन्म किसी साधन सम्पन्न घर मे हुआ है तो उसे आप अपना अच्छा भाग्य मानकर चले, पर यह सब कुछ मेरा नही है, यह तो मेरी बाप कमाई है पूर्वजो की कमाई है, मुझे मेरा कँरियर खुद बनाना है वह इस बाप कमाई मे बढ़ोतरी करनी है, साथ ही कुछ हिस्सा समाज सेवा मे भी लगाना है, तथा आपका जन्म किसी अभावों (गरीब परिवार) मे जी रहे परिवार में हुआ है तो यह समझे की मुझे मेरे पैरो पर खड़ा होना है, शून्य से शुरुआत करके बहुत ऊचाईयों (सफलताओं) को छूना है, यह जिज्ञासा हर युवाओं मे जीवन के शुरुआती दौर मे विकसित हो जानी चाहिए, तभी जिन्दगी के आगे के रास्ते खुल जायेंगे!!
अब आगे चलकर धैर्य धारण करे, मन बड़ा चंचल होता है जी, इस पर काबु पाना बड़ा ही कठिन काम होता है, इस समय आपकी आयु बीस बर्ष के करीब चल रही होती है तब यह चंचल मन आपको विचलित कर सकता है भविष्य के मार्ग मे रोड़े अटका सकता है चल बिचल कर सकता है तब आपको धैर्य धारण करके जीवन यात्रा की सही दिशा ठहरानी होगी की पढ़ाई मे काँलेज कोनसा होना चाहिए वह विषय कोनसा होना चाहिए या फिर प्राईवेट सँक्टर मे जाँब करना हो, पैत्रिक व्यवसाय को आगे बढ़ाना हो, तो उसका स्वरुप क्या होगा, इन सब बातों का धैर्य पूर्वक विचार कर आगे का मार्ग तय करे !!
इसके आगे आपका प्रगति का निर्णयक समय शुरु होता है अब, तब तक आपकी पढ़ाई पुरी होकर जाँब कर रहे हो या फिर कला, या फिर किसी वस्तु के उत्पादन क्षैत्र मे कार्यरत है तब याद रखना की आपको दुनिया की भीड़ का हिस्सा नहीं बनना है, परन्तु आपको अपनी अलग पहिसान बनाने के लिये नैतृत्व करने की क्षमता को मन मे धारण करके विकसित करना होगा, मैं किसी के हाथ के नीचे काम नही करुंगा बल्कि मेरे हाथ के नीचे दस आदमी काम करे, यह नैतृत्व करने की क्षमता मुझ मे हो,ऐसा आत्म विश्वास पक्का करे, वह इस समय इस तरफ आपको ध्यान देना चाहिए!!
जिन्दगी चल चित्र की तरह होती है, इसमे अनेक परिक्षाओं के दोर से गुजरना पड़ता है तब आपको एकाग्रता का गुण अपनाना होगा, सफलता की कुंजी का एक भाग यह भी है, सुक्ष्म ध्यान लगाकर मन मे आने वाले विचारों को संगठित कर मन शांत रखकर ही हर कार्य करते रहना चाहिए, यही सफलता की दिशा मे जाने का मार्ग हो सकता है!!
अब तक आपने बहुत कुछ (ईज्जत, सन्मान, रुपया पैसा, उच्च पद की प्राप्ति वगैरा वगैरा) पाया होगा पर अंतिम लक्ष्य आपका अभी अधूरा हो सकता है, अब आपकी आयु 35 बर्ष व 40 बर्ष के बीच चल रही होगी तब आपको एक ओर जीवन यात्रा का महत्व का घटक गुण पुरुषार्थ का सहारा लेने की ओर अधिक जरुरत होगी, यह गुण तो पहले से आपके पास मोजूद तो था मगर अब आपको कर्म निष्ठा से व ईमानदारी से अपने काम के प्रति लगाव रखना ही प्रगति का अंतिम लक्ष्य ही आपको प्रगतिशील, उद्द्योगपती, साहेब, सेठ, सर जी,या फिर आई. ऐ. एस. आँफीसर बना सकता है, इस प्रकार की जीवन यात्रा को अपनाने वाला देर सबेर अपने अंतिम लक्ष्य को हासिल कर के ही रहता है, इसमे तिल मात्र शंका नही होनी चाहिए !!
यह सब कुछ करते हुये एक बात का विशेष ध्यान रखे की मेरे उपर समाज का ऋण है भी है, जितना बन सके उतना समाज का सेवक बनकर काम करते रहना भी जरुरी है!!
चेतावनी= इस पुरी यात्रा मे शुरुवात के दिनों मे एक बात का विशेष ध्यान देना जरूरी होता है वह है…
आपकी संगत यह बात कहने मे भले ही छोटी लगती होगी पर इसके रिजल्ट बड़े रोचक आते है, इसी लिये आप संगत सोच समजकर ऐसे मित्रों व सम्पर्क मे आने वालो से करे जो हो, ज्ञानी हो, संस्कारी हो, इसका पुरा ध्यान रखे, इससे आपका जीवन समृद्ध, सुनहरा, अवसरवादी होने मे कोई शंका नही रहेगी !!
आशावादी हूं
यह मेरे अकेले की सोच नही पर हर युवाओं की यही सोच होनी चाहिए, अपने अंतिम लक्ष्य को पाने के लिये, यह लेख भारत अभियान बने, इसी आशा के साथ मैं मेरे ईन शब्दों को विराम देता हूं!!
समाज के वरिष्ठ लेखक, कवि, साहित्य कार, पत्रकार, मिडिया कर्मचारी व समाज बंधूओं को मेरा जय श्री विश्वकर्मा जी की!!
लेख मे भूल से कोई त्रुटी हुई हो तो मैं क्षमाप्रार्थी हूं……. 🙏🙏
जय श्री विश्वकर्मा जी री सा
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लेखक/कवि: दलीचंद जांगिड सातारा (महाराष्ट्र)
मो: 9421215933
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