कवि दलीचंद जांगिड सातारा की कलम से: मेरे पास कविता है…..
जब जब मुझे जीवन में दुख आया है, मैंने अपने आप को कविता से जोड़ा है।
मेरे पास कविता है…..
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जब जब मुझे जीवन में दुख आया है,
मैंने अपने आप को कविता से जोड़ा है।
जब जब मुझे किसी ने तोड़ना चाहा है,
मैंने खुद को कविता की ममता से जोड़ा है।
जब जब मैं गिरा था,
कविताओं ने ही मुझे उठाया था।
दुख सहने की भी हद्द होती है मित्रों,
तब हम दोनो ने ली जोर की अंगड़ाई।
सब दुखों से ऊभरकर हम दोनो ने,
प्रातकाल का सुरज फिर से उगाया है।
मित्रों मेरे पास जांगिड कविता संग्रह है,
समय समय पर धीरज उसी ने मुझे बंधाया है।
हार में भी कभी कभी जीत,
इन्हीं कविताओं ने दिलाई है।
मैं कवि हूँ कवि, हूं एक लेखक भी,
मित्रों मेरे पास कविताओं का खजाना है।
कविताओं ने ही मुझे भारत व विदेशों में पंहुचाया है,
जांगिड ब्राह्मण समाज के एक कवि को समाज की नेशनल पत्रिकाओं ने व गूगल पर “ज्ञान ज्योति दर्पण” वेव साईड ने ऊपर उठाया है।
मैं धन्यवाद करता इन संपादकों का जिसने मेरा साथ निभाया है,
कविताओं ने ही समय समय पर मुझे धीर बंधाया है।
कविता ही कवि की अमर-अमिट धन संपदा है,
पाठक ही मेरे आदरणीय श्रौता गण है…..
🙏 सबकों नमनः करता हूँ 🙏
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जय श्री विश्वकर्मा जी की
लेखक/कवि: दलीचंद जांगिड सातारा महाराष्ट्र
मो: 9421215933
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