घेवरचन्द आर्य पाली की कलम से: आह… शोक! महा शोक!! …. 103 वर्षीया लक्ष्मीदेवी का महा प्रयाण! ……।
पाली के इतिहास में पहली बार अखिल भारतीय जांगिड़ ब्राह्मण महासभा जिला शाखा पाली, एवं आर्य समाज पाली द्वारा सम्मानित, अशिक्षित होने के उपरान्त भी श्रवण परम्परा से ज्ञान अर्जित कर विदुषी एवं सामाजिक सुधारक बनने वाली, गाँव की छोटी बड़ी सभी स्त्रियों एवं सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों में एक रूप से वन्दनीय, अंगिरा वंशज जांगिड़ ब्राह्मण परिवार की आधारस्तंभ शतायु पार 103 वर्षीया लक्ष्मीदेवी सायल धर्म पत्नी स्मृति शेष भलारामजी शर्मा अब इस दुनिया में नहीं रही।
पाली: सायल परिवार, केरला गाँव, जांगिड़ समाज और सामाजिक संगठनो की अपूरणीय क्षति। हर किसी छोटे बडे व्यक्ति से अपनत्व और पुत्रवत प्रेम करने वाली, जुझारू, कर्मठ, प्यार स्नेह एवं स्वाभिमान का साकार रूप, जन-जन की प्रिय, जिसके श्वास प्रश्वास मे धर्म भाव वास करता था। पाली के इतिहास में पहली बार अखिल भारतीय जांगिड़ ब्राह्मण महासभा जिला शाखा पाली, एवं आर्य समाज पाली द्वारा सम्मानित, अशिक्षित होने के उपरान्त भी श्रवण परम्परा से ज्ञान अर्जित कर विदुषी एवं सामाजिक सुधारक बनने वाली, गाँव की छोटी बड़ी सभी स्त्रियों एवं सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों में एक रूप से वन्दनीय, अंगिरा वंशज जांगिड़ ब्राह्मण परिवार की आधारस्तंभ शतायु पार 103 वर्षीया लक्ष्मीदेवी सायल धर्म पत्नी स्मृति शेष भलारामजी शर्मा अब इस दुनिया में नहीं रही।
जातस्य ही ध्रुर्वो मृत्यु (गीता) के अनुसार दिनांक 30 जून 2023 को प्रात: 4 बजे मृत्यु आई और लक्ष्मीदेवी किसी को कष्ट दिये बिना यह झरझर शरीर छोड़कर उसके साथ चली गई। उसी दिन सायं 4 बजे ओ३म् ध्वज के साथ ईश्वर स्तुति मंत्रो का गान करते हुए उनकी शवयात्रा निकाली गई, जिसमें उनकी पौत्री प्रेक्षा और साक्षी ने कंधा दिया। शवयात्रा अशोक नगर से रवाना होकर हाऊसिंग बोर्ड स्वर्गाश्रम पहुंची । अन्तिम संस्कार के लिए शास्त्रों में लिखी गई शुद्ध हवन सामग्री 20 किलो, गौ घृत 15 किलो, नारियल 2 किलो, गुड़ 2 किलो, अगर 1 किलो, तगर 1 किलो, चन्दन बुरा 1 किलो, गुगल 500 ग्राम, कपूर 500 ग्राम चन्दन लकड़ी आदि सुगन्धित द्रव्यों से तैयार सामग्री से आर्य समाज के विद्वानों द्वारा पूर्ण वैदिक विधि विधान से अन्तिम संस्कार करवाया गया। उनके बड़े पुत्र घेवरचन्द आर्य और छोटे पुत्र सोहनलाल शर्मा ने यजमान बनकर दीप प्रज्ज्वलित कर मुखाग्नि दी। अन्तिम संस्कार में सभी उपस्थित जनों द्वारा घृत और सामग्री की आहुतियां प्रदान की गई।
4 जुलाई 2023 को पैतृक गाँव केरला जिला पाली के श्रद्धांजलि सभा में गाँव के गणमान्य नागरिकों के अलावा आर्य समाज, आर्य वीर दल, दिव्यांग सेवा समिति के पदाधिकारियों ने पहुँचकर ईश्वर स्तुति वेद मंत्रों के साथ श्रद्धांजलि अर्पित कर गाँव की स्कुल में प्रधानाध्यापक जब्बरसिंह राठौड़ के नैतृत्व में वृक्षारोपण किया गया। 9 जुलाई को एक शाम लक्ष्मीदेवी के नाम वैदिक भजन संध्या में समाज के भजनोपदेशको मांगीलाल आसदेव गाजणगढ, श्याम सायल चाटेलाव, शंकरलाल सायल बिंजा, बाबुलाल चिडिया खुडावास, ज्ञानाराम आर्य बलदेव की ढाणी सहित करीब एक दर्जन से अधिक भजन गायकों ने लक्ष्मीदेवी के सम्मान में एक से बढ़कर एक भजनों का ऐसा समां बांधा जो भोर चार बजे आरती तक जारी रहा।
मंगलवार 18 जुलाई 2023 को सायं 5 बजे पाली के सामाजिक संगठनों द्वारा अशोक नगर पाली मे “यज्ञ एवं वैदिक सत्संग” का आयोजन कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। घेवरचन्द आर्य द्वारा सभी को “आदर्श सत्संग गुटका” और “आर्याभिविनय” पुस्तकें भेंटकर आभार व्यक्त किया गया। इसी अवसर पर लक्ष्मीदेवी के पेंशन खाते की जमाराशि में से- 1100/- जगदम्बा गौ सेवा समिति केरला, 1100/- आर्य समाज पाली, 1100/- दिव्यांग सेवा समिति पाली, 1100/- अखिल भारतीय जांगिड़ ब्राह्मण महासभा दिल्ली, 1100/- श्री विश्वकर्मा जांगिड़ समाज रोहट आदि सामाजिक संस्थाओ को भेंट कर दान का सदुपयोग किया गया।
शवयात्रा, अन्तिम संस्कार, श्रद्धांजलि सभा, वृक्षारोपण और यज्ञ एवं वैदिक सत्संग आदि कार्यक्रम में समाज, परिवार एवं रिश्तेदारों के अलावा महासभा के विशेष संरक्षक मोहनलाल शर्मा (95) आबू रोड, अखिल भारतीय जांगिड़ ब्राह्मण महासभा पाली जिला अध्यक्ष ओमप्रकाश जांगिड़, श्री विश्वकर्मा जांगिड़ समाज पाली अध्यक्ष चम्पालाल नागल, श्री विश्वकर्मा जांगिड़ समाज रोहट अध्यक्ष पोलाराम रालडिया, आर्य प्रतिनिधि सभा राजस्थान के अन्तरग सदस्य महेश बागडी, आर्य समाज प्रधान मगाराम आर्य, आर्य वीर दल अध्यक्ष (XEN PWD) दिलीप परिहार, आर्य वीर दल संरक्षक धनराज आर्य, आर्य भजनोपदेशक हुकमाराम आर्य, दिव्यांग सेवा समिति अध्यक्ष मुकेश जागलवा, मरूधर विधापीठ शिक्षा समिति अध्यक्ष एवं इतिहास लेखक विजय नाहर, मारूति मानस सुन्दर काण्ड पाठ समिति की अध्यक्षता उर्मिला रानी माथुर, संत पुनमचन्द महाराज आदि अपनी-अपनी टीम के साथ मौजूद रहकर लक्ष्मीदेवी को श्रद्धा सुमन अर्पित किये ।
स्मृति शेष लक्ष्मीदेवी अपने पीछे दो पुत्रियां- जमना,मनोरमा, दो पुत्र- घेवरचन्द आर्य, सोहनलाल शर्मा तीन पुत्र वधुएं- पुष्पादेवी (धर्म पत्नी स्मृति शेष कन्हैयालाल शर्मा) सुमित्रादेवी, संतोषदेवी, चार पौत्र- राजेश, रमेश, राहुल, पियूष, तीन पौत्रीयां- दिक्षा, प्रेक्षा, साक्षी, तीन पौत्रवधुएं- संजना, पिंकी , मनीषा, तीन पडपौत्र- अमन, अक्षय, ध्रुव सहित दोहिता, दोहिता वधुओ और दोहितियो से भरा पुरा परिवार छोड़कर गई है। वे आजीवन शुद्ध शाकाहारी निर्व्यसनी और महान आस्तिक बनी रही। यही संस्कार उन्होनें अपने पुत्र पुत्रियों में विकसित कर आदर्श माता का गौरव प्राप्त किया। माँ के परलोक गमन से ऐसा प्रतित हो रहा है कि अब हमारा जागतिक सबसे बड़ा आधार समाप्त हो गया है। हे प्रभो! पितरों का श्राद्ध तो उनके जीवन काल में ही होता है। हम अपनी सामर्थ्य अनुसार माँ की सेवा कर पितृ ऋण से मुक्त हुए है। अब तो आपसे कामना है कि हमारी माताजी को पुनः अंगिरा वंशज वैदिक धर्म से परिपूर्ण उत्तम नवजीवन रूप सद्गति प्राप्त हो।
घेवरचन्द आर्य पत्रकार
पूर्व प्रचार मंत्री महासभा
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