शिक्षाविद प्रमोद कौशिक की कलम से: ज्ञान का उजाला है गुरु गुरु शब्द दो व्यंजनों का स्वरों का जिसमें समाहार है। ट्रेंडिंग नाउकाव्यलोकबड़ी खबर By Educationist Pramod Kaushik Last updated Sep 5, 2024 67 शिक्षाविद प्रमोद कौशिक। ज्ञान का उजाला है गुरु गुरु शब्द दो व्यंजनों का स्वरों का जिसमें समाहार है। गुरु अनोखा, गुरु है अद्भुत, इसकी महिमा अपरंपार है। अज्ञान का द्योतक है गु महाज्ञान रू कहलाता है मिटे अंधेरा होय उजाला आकर गुरु जब सहलाता है बिन गुरु ज्ञान असंभव है यहां गुरु मिले तो साकार है। गुरु अनोखा, गुरु है अद्भुत इसकी महिमा अपरंपार है। Also Read सोनीपत: सुरेंद्र पंवार की समर्पित सेवा को मिल रहा जनसमर्थन:… सोनीपत: भाजपा ने दिया सुरक्षा और विकास का माहौल: देवेन्द्र… करे जो धोखा, कोई गुरु से, नहीं सफलता वह पता है। गुरु को धोखा देने वाला, गुरु से शापित हो जाता है। छल से पाई विद्या खोकर , करण भी देखा लाचार है। गुरु अनोखा गुरु है अद्भुत इसकी महिमा अपरंपार है , इसकी महिमा अपरंपार है। काव्य रचना: प्रमोद कौशिक शिक्षाविद, कोऑर्डिनेटर रौनक पब्लिक स्कूल बीएसटी कालोनी, गन्नौर, सोनीपत हरियाणा educationist Pramod KaushikGuru is the light of knowledge
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