दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: सम्मान ही प्रगति का बुस्टर डोस आगे बढना
किसी भी समाज के सार्वजनिक मंच पर सम्पूर्ण समाज के मान्यवर नागरिकों की उपस्थिती में किसी को उच्च अंक/पद प्राप्ति के लिए किसी युवा/युवती को सम्मानित करना ही उस समाज के हर युवा व युवती के लिए एक "प्रगति का बुस्टर डोस" ही होता है जो युवा/युवती यह सम्मान पत्र वितरण कार्यक्रम देख रहे होते है।
लेखक की कलम से……
किसी भी समाज के सार्वजनिक मंच पर सम्पूर्ण समाज के मान्यवर नागरिकों की उपस्थिती में किसी को उच्च अंक/पद प्राप्ति के लिए किसी युवा/युवती को सम्मानित करना ही उस समाज के हर युवा व युवती के लिए एक “प्रगति का बुस्टर डोस” ही होता है जो युवा/युवती यह सम्मान पत्र वितरण कार्यक्रम देख रहे होते है। वह जिन्हें यह सम्मान नहीं मिला होता है। तब उनके मन में भी यह इच्छा शक्ति जाग उठती है कि अब अगली बार मेरा भी इस प्रकार का सम्मान हो वह यह सम्मान पाने की कोशिश मैं भी करुंगा वह यह समाज के वरिष्ठ आदरणीयों के हाथ से मैं भी यह “सम्मान पत्र” पाकर ही रहूंगा/रहूंगी। बस यही से समाज प्रगति की होडा होड (स्पर्धा) की शुरुआत होती है। समाज को आगे ले जाने का मार्ग प्रशस्त हो जाता है लेखक इसी स्पर्धा को “प्रगति का बुस्टर डोस” बता रहा है। वह यही सम्मान पत्र पाने की स्पर्धा हर समाज में हर युवा/युवती की होनी चाहिए। यही प्रगति का एक छुपा हुआ मंत्र है जो दिखता भले ही छोटा हो पर समय बीत जाने के बाद काम बड़ा कर जाता है। वह महत्वाकांक्षी युवा/युवती को समाज के इस सार्वजनिक स्वागत मंच तक ले जाता है। वह साथ ही उच्च वेतन की नौकरी व सरकारी मेकमे में उच्च पद पर आसीन हो जाते है। समाज में कुछ बड़ा काम कर जाते है बस समाज के युवा/युवती के यही प्रयास समाज को उन्नति की ओर ले जाता है। यही इस बुस्टर डोस की असली ताकत होती है।
बस यही नियम व्यवस्था भामाशाहों पर भी लागु होती है, जहां एक भामाशाह का स्वागत होते देख समाज के अन्य आदरणीयों का भी मन इसी ओर आकर्षित होता है की मेरे ऊपर भी समाज का कुछ ऋण है, मुझे भी ज्यादा तो नहीं पर मेरी आय का कुछ हिस्सा मेरी हेसीयत के अनुसार समाज के हित कार्यों में पेश करु और वह अन्य भामाशाहों का स्वागत व सम्मान पत्र मिलता देख अनेकों की भी इच्छा जाग्रत होती है वह कुछ रक्कम समाज के परोपकारी कार्य में अर्पित जरुर करते है, एक सम्मान पत्र, एक फेटे, फूलों की माला, या पुष्पगुच्छ द्वारा किया गया स्वागत से भामाशाहों द्वारा एक बड़ी धन राशि प्राप्त हो जाती है यह समाज की सेवा समिति के आदरणीय यह अटकल भलीभांति जानते है, समझते है, बस इन्ही भामाशाहों से मिले अर्थ सहाय्य से समाज के हित में अनेक अनेक कार्यों की रुपरेखा तैयार कर कार्यविधि को अंतिम रूप दिया जाता है, बस यही स्वागत वाला “प्रगति का बुस्टर डोस” कहलाता है जी, इसी से समाज में प्रगति की लहर दौड़ पडती है जी।
क्रमशः ईति……
लेख में त्रृर्टी के लिए क्षमा प्रार्थी हूं जी…….
जय श्री विश्वकर्मा जी री सा
लेखक: दलीचंद जांगिड सातारा महाराष्ट्र
मो: 9421215933
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