दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मैं हूँ जांगिड ब्राह्मण
मैं उस समाज का नागरिक हूं जहा हर घर, दुकान में, ब्रह्म ऋषि अंगिरा जी की आरती गाई जाती है!!
मैं हूँ जांगिड ब्राह्मण
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मैं उस समाज का नागरिक हूं
जहा हर घर, दुकान में,
ब्रह्म ऋषि अंगिरा जी की आरती गाई जाती है!!
मैं उस समाज का नागरिक हूं
जहा हर घर मे पूजा आरती करने तक,
कोई बंधू अन्न पाणी ग्रहण नही करता!!
मैं उस समाज का नागरिक हूं
जहा हर गाव, शहर में जांगिड ब्राह्मण,
नाम से जाना जाता हूं!!
मैं उस समाज का नागरिक हूं
जहा हर घर हर फैक्ट्ररी में,
कला कौशल से जाना जाता हूं!!
मैं उस समाज का नागरिक हूं
जहा हर गांव, शहर में कारीगर,
नव निर्माण का कहलाता हूं!!
मैं उस समाज का नागरिक हूं
जहा हर राजनेता भी मुझे,
कहता है देश निर्माण का भागीदार !!
मैं उस समाज का नागरिक हूं
जहा हर बर्ष विश्वकर्मा जयंती, गणेश उत्सव,
हर विश्वकर्मा मंदिर पर मनाया जाता है!!
मैं उस समाज का नागरिक हूं
कोई पुछे हमसे आप कौन हो ?
तो मैं नाम जांगिड बताता हूं !!
मैं जांगिड ब्राह्मण समाज से हूं
ऋषि अंगिरा वंशी कहलाता हूं
मैं कारीगर लकड़ी का हूं
जांगिड मिस्त्री कहलाता हूं!!
मैं उस समाज से हूं……
मैं जांग्ल देश से निकला था,
मैं जांगिड ब्राह्मण कहलाता हूं!!
मैं उस समाज से हूं….
जिसको जांगिड ब्राह्मण समाज,
नाम से जाने सारा हिन्दुस्तान….!!
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लेखक/कवि:- दलीचंद जांगिड सातारा महाराष्ट्र
मो:- 9421215933
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