दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कवि को कभी अलविदा मत कहना

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कवि को कभी अलविदा मत कहना
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कवि तन से बुढ़ा भले ही हो जाएं
कवि कविताओं से हर दिन
हर पल यौवन पाता रहता है
समय का रथ चलता रहता है
कवि कविताओं के रस में
पल पल बहता रहता है
कवि का मन समय की हवाओं में
पल पल बहता रहता है
बुढ़ापा काल की गति हो सकती है
कवि को ना पता रहता है
जवानी और बुढापे का
वह तो अपनी रचनाओं से
आंदन में बहता रहता है
कवि को कभी अलविदा मत कहना
कवि किसी काल खंण्ड में समा जाएं
पर कविताएं अमर सदा रहती है
मत कहना कवि को अलविदा
वो कलम से अमर तत्व पा लेता है
कवि को कभी अलविदा मत कहना….

जय श्री विश्वकर्मा जी री सा
कवि: दलीचंद जांगिड सातारा महा.
मो: 9421215933 

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2 Comments
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