दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: वर्तमान में जीने की आद्दत बनाओ
भूतकाल, वर्तमान काल व भविष्य काल ये तीनों काल में से सर्वोत्तम काल तो प्रबुध्द ज्ञानीयों ने वर्तमान काल को ही माना है, कारण भूतकाल बीत चुका है वह फिर लौटकर नहीं आता है व भविष्य को जानने व पहिचान ने की क्षमता हरेक के पास नहीं होती है।
✍ लेखक की कलम से……
सब कुछ वर्तमान में ही संभव है
भूतकाल, वर्तमान काल व भविष्य काल ये तीनों काल में से सर्वोत्तम काल तो प्रबुध्द ज्ञानीयों ने वर्तमान काल को ही माना है, कारण भूतकाल बीत चुका है वह फिर लौटकर नहीं आता है व भविष्य को जानने व पहिचान ने की क्षमता हरेक के पास नहीं होती है, तब जो कुछ अच्छे कर्म करने का समय होता है वह वर्तमान काल ही होता है, भूतकाल दुबारा लौटकर तो नहीं आयेगा परन्तु भूतकाल में घटित घटनाओं के समय में जो तृर्टीया हुई थी उनसे सिख लेनी चाहिए व वर्तमान में वैसी घटना (मौका, दृश्य) का फिर से आना सम्भव है तब जो गल्तीयां भूतकाल में हुई थी वह दुबारा नहीं होनी चाहिए,इस बात की सिख लेनी चाहिए और विशेष ध्यान वर्तमान में रखना चाहिए ……
इसीलिए हर हाल में वर्तमान श्रैष्ठ होता है भूतकाल की गल्तीयों को सुधारने व भविष्य काल में आने वाले सम्भावित धोको से बचने के उपाय करने का सर्वोत्तम काल तो वर्तमान ही है। हर मनुष्य को वर्तमान काल में जीने का सतत अभ्यास करना चाहिए ताकि जीवन यात्रा में अपने हि कर्मों की आलोचना व आत्मसमिक्षा करे वह अपने में ही छिपे हुए दुर्गुणों को ऊपर उभर कर आते ही उनका त्याग कर जीवन को निर्मल सत्य मार्ग पर चलने को अग्रेसित (प्रेरित) करे।
अपने बुजुर्गों को हमने आपने भूतकाल की बातें करते बहुत बार सुना होगा, इसका कारण यह है की वे पुरानी यादें उनकी संपदा होती है संस्कारों व पुराने रितीरिवाजों से परिपूर्णता से निगड़ित होती है वह यही ज्ञान नई पीढ़ी को वे बुजर्ग देना चाहते हैं इसलिए वे इस पुरानी धन संपदा को एक प्रवचन के रुप में नई पीढ़ी को देना चाहते हैं, इसलिए वे इन पुरानी बातों को बार बार दोहराते है।
सिखना सिखाना यह सब अपनी जगह पर है व थोर परिवारजनों का यह भूतकाल का ज्ञान देना वाजिब है पर ध्यान रहे की वर्तमान से बेहतर ओर कोई समय काल नहीं हो सकता है, इसलिए तो कहावत है की जो बीत गया उसे भूल जाओ व आने वाला कल किसने देखा है……?
तब संत कबीर फरमाते है…..
कल करे सो आज कर,
आज करे सो अब कर।
पल में परलय होगी,
बहुरी करेगो कब…….?
वर्तमान में जीने की आद्दत बनाओ।
सुखी जीवन से सहर्ष हाथ मिलाओ।।
======================
जय श्री विश्वकर्मा जी री सा
लेखक कवि दलीचंद जांगिड सातारा महाराष्ट्र
मो: 9421215933
Gyanjyotidarpan.com पर पढ़े ताज़ा व्यापार समाचार (Business News), लेटेस्ट हिंदी समाचार (Hindi News), बॉलीवुड, खेल, क्रिकेट, राजनीति, धर्म और शिक्षा से जुड़ी हर ख़बर। समय पर अपडेट और हिंदी ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए समाचार अनुभव को बेहतर बनाएं। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट ज्ञान ज्योति दर्पण पर पढ़ें।
हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़े
Gyan Jyoti Darpan
Comments are closed.