दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कलयुग में मौन हो गई रिश्तेदारी

. छोटी छोटी बात में बड़ंगा बनाकर मन मुटाव लेकर बैठ जाते है वह बर्षों तक बोलचाल बंद करके बैठ जाते है, कारण बिल्कुल छोटा होता है पर आपस में सम्पर्क हीन हो जाते है, बै जुबान हो जाते है यह ठीक नहीं है।

Title and between image Ad

✍ लेखक की कलम से……
पुराने जमाने में लोग अपने रिश्तेदारों के वहा सामाजिक कार्यों में जाकर दो दिन रहकर काम में हाथ बटाते नझर आते थे वह रिश्तेदारों का घर अपना ही घर समझकर प्रेम भावना से हर मौके पर सहयोग (मद्दद) करने की अषिम भावना से मिल जूलकर रहते थे, उस सामाजिक कार्य को पार लगाते थे। अब ये रिश्तेदारी मौन धारण कर बै जुबान होते दिखाई दे रही है यह अपशकुन सभी जगह देखने में आता है,चाहे भाई भाई की बात हो, चाचा भतीज की बात हो, या फिर अड़ोस-पड़ोस की बात हो,रिश्तेदारी की बात हो, इसका मुख्य कारण यह है की इस कलयूग में हर मानव की सहन शक्ति कम हो गई है या फिर सोच बदल गई है यह विचार करने का विषय हो गया है…… छोटी छोटी बात में बड़ंगा बनाकर मन मुटाव लेकर बैठ जाते है वह बर्षों तक बोलचाल बंद करके बैठ जाते है, कारण बिल्कुल छोटा होता है पर आपस में सम्पर्क हीन हो जाते है, बै जुबान हो जाते है यह ठीक नहीं है। यह कलयुग का दिन दिन बढ़ता प्रभाव देखने सुनने में हर जगह दिखाई दे रहा है जी, छोटी सी बात को लेकर दो रिश्तेदारों के रिश्तें के बीच में मौन पहाड़ की तरह दीवार खड़ी कर विभाजन हो जाते हैं, जब तक इधर से आवाज नहीं दी जाती है तब तक उस पार से भी आवाज भी नहीं आती है यह हाल है इस मौन रिश्तेदारी का वर्तमान के कलयूग में यह वास्तविक स्वरुप है। पहले गांवों में हर सामाजिक कामों मे खाना बनाने वाले केटर्स व टेन्ट वाले नहीं होते थे तब सब लोग मिलकर हर बड़े सामाजिक कार्य में सुख दुख में हाथ बटाते थे चाहे व ब्याव, सगाई ओर मृत्यु भोज हो हर काम गांव गल्ली के लोग वह अपने अपने सगे संबंधी मिलकर उस काम को पार लगाते थे तब बहुत ही गहरी (गाढ़ा प्रेम) प्रेम भावना से मिल जूलकर रहते थे व सहन शक्ति भी बहुत गहरी रखते थे, हर छोटी बड़ी गल्ती को नझर अंदाज कर रिश्ता निभाते थे। यह प्रेम भाव समय के बदलाव के साथ साथ बदलता गया है, प्रेम भावना कम हो गई है व छोटी सी बात का बुरा मान लेते है सहन शक्ति की कमी के कारण, इस कारण बोलचाल बंद कर बैठ जाते है साथ ही अब हर काम पैसों से होने लगे है इसलिए रिश्तेदारों ने भी येन-केन समय पर आकर अपनी हाजरी ( फाँर्मेलिटी करना ) लगाना शुरु कर दिया है फलस्वरुप प्रेम भाव कम होते चला गया है, इसका परिणाम यह हुआ की रिश्तों में दुरीयां बढ़ गई है व रिश्तेदारी मौन (बै जूबान) होती चली जा रही है यह हर समाज में वर्तमान में देखने को मिल रहा है।

जब से फोन व मोबाइल का चलन (जमाना) आया है तब से लोगों में प्रेम भावना ओर भी कम होनी शुरु हो गई है कारण घर आँफीस में बैठे बैठे अपने रिश्तेदारों से बात कर लेते है, आमने सामने मिलने के मौके लूप्त होते दिखाई दे रहे है, “टाटा बाय बाय…..” कहने के चलन ने राम राम जी कहकर दो रिश्तेदार आपस में हाथ से हाथ मिलाकर दोनो के स्पर्श शक्ति के द्वारा दोनो के ह्रदय को जोड़ने की प्रेम प्रथा भी धीरे धीरे लूप्त हो रही है इसलिए दो दिलो में फर्क आने लगा है, हर मनुष्य की जीवन शैली इस कलयुग में तेज गति की हुई है, यह मशीनरी जीवन शैली भी रिश्तेदारी में दुरीयां बढाने का प्रमुख कारण बनी है ओर जीवन शैली तेज गति की होने के भी कारण अनेक है उस में से एक प्रमुख कारण यह है कि लोगों की रहन-सहन के तौर तरिकें माँर्डन हो गये है साथ ही आज के जीवन प्रवाह में हर मानव ने अपनी रोज की दिनचर्या की आवश्यकताएं इतनी बढा चढ़ाकर रख दी है की अब रुकना या आवश्यकताएं कम करना उसके बश की बात नहीं रही है, इसलिए इन आवशकताओं की खर्चा पूर्ति के लिए अधिक धन राशि कमाने की चाहत में अधिक तेज गति से अपने काम में व्यस्त रहना वह अधिक धन कमाना जरुरी हो गया है यह भी रिश्तेदारी में दुरिया बढ़ाने का प्रमुख कारण सामने आया है इसलिए रिश्तें मौन होते जा रहे है इस कारण फलस्वरुप युवा – युवती मिलन समारोह व सामुहिक लग्न व मॅरेज ब्यौरों जैसी संस्था में अपने लड़की, लड़का का सगाई के लिए नाम लिखाने की प्रथाओं का सहारा लेने की जरुरत समाज में आन पड़ी है, जबकि यह काम पहले जमाने में घर बैठे ही अपने रिश्तेदारों से आपसी बात चित से हो जाते थे। इस भाग दौड़ भर जीन्दगी में हर जगह दुरियाँ बढ़ती दिखाई दे रही है इस कारण आपस में प्रेम भावनाओं का सम्मान ठीक से नहीं हो रहा है इस कारण कुछ अपवाद के कारण अनेक रिश्तें टुटने की कत्तार पर चल रहे है या फिर मोबाईल के द्वारा बेटीया शादी के बाद भी ससुराल में रहकर अपनी माँ से मोबाईल पर घंटों घंटों तक बातें करते रहती है इस कारण बेटीयों के अपने घर भी ठीक से नहीं बन पा रहे है, हर छोटी बड़ी बात पर माँ राई का पहाड़ बनाकर अपनी बेटी के कान भर देती है तब ओर रिश्तों में खटास पैदा हो जाती है वह रिश्ते मौन हो जाते है, पहाड़ों की तरहा बै जुबान हो जाते है जो आवाज देने के बाद भी सुनाई नहीं देता है वह रिशते टूट जाते है या फिर न्याय की चौकट (कोर्ट) पर भेट चढ़ जाते है। यह वर्तमान में एक कुप्रथा सी बन गई है वह रिश्तों को मौन रखने में बलशाली चलन ही बना हुआ है जी, यह कलयूग का प्रभाव ही है।

मोबाइल जितना काम का यंत्र है उससे ज्यादा बिगाड़ करने वाला यंत्र भी है जो बहुतों के बीच झगड़े का कारण बन जाता है यह आये दिन सोशल मीडिया पर देखने को मिलता है इसलिए इस मोबाइलको सावधानी से वापरना जरुरी हो जाता है वर्ना यह भी रिश्तेदारी में एक गतिरोधक की भूमिका अदा कर सकता है। इन सब घटनाओं से बचने के लिए अब जरुरत है समय की आहुति देना (आपस में मिलना जूलना) सिखो वह साथ ही सहन शक्ति को बढाओ तभी हर रिश्ता गहरा प्रेम के साथ टिक पायेगा, वर्ना दूरियां बढ़ती ही जाएगी, रिश्तेदारों में रिश्ते आपस में मौन हो जायेंगे।

जय श्री विश्वकर्मा जी री सा
लेखक: दलीचंद जांगिड सातारा महाराष्ट्र
मो: 9421215933

Gyanjyotidarpan.com पर पढ़े ताज़ा व्यापार समाचार (Business News), लेटेस्ट हिंदी समाचार (Hindi News), बॉलीवुड, खेल, क्रिकेट, राजनीति, धर्म और शिक्षा से जुड़ी हर ख़बर। समय पर अपडेट और हिंदी ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए समाचार अनुभव को बेहतर बनाएं। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट ज्ञान ज्योति दर्पण पर पढ़ें।
हमारे व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़े Gyan Jyoti Darpan

Connect with us on social media
2 Comments
  1. 6390 says

    Whhy vsitors till makee uuse off to reaad news papers
    when in thbis technologidal gloobe alll is presented onn web?

  2. 2159 says

    As tthe admin oof this wweb age iss working, noo uncertainty ery quickly it
    wilpl bee renowned, duee too its quality contents.

Comments are closed.