दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: ह्रदय स्पर्श गीत
क्षण भंगूर काया, तू कहा से लाया। तुरुवन समझाया, पर समज ना पाया।।
ह्रदय स्पर्श गीत…….
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क्षण भंगूर काया, तू कहा से लाया।
तुरुवन समझाया, पर समज ना पाया।।
ये सास नी घोड़ी, चलती रुक थोड़ी ।
चल चल रुक जावे, क्या खोया पाया।।
क्या लेके आयो जग में,
क्या लेके जाएगा।
“” “” “” “” “” “” “ओ बंधू…..
तू मन सुन जोगी बात।
ये माया करती घात।।
आत्म भीतर समझा।
मुरख ना समझे बात।।
है ईश्वर तेरे साथ।
काहे मनवा घाबरावे।।
हो राम सुमिरन दिन रात।
कष्ट समय कट जावै।।
सब यही छोड़ जाएगा।
” “” “” “” “” छोड़ जाएगा…….
क्या लेके आयो बंदा जग में,
क्या लेके जाएगो……..
“” “” “” “” “” “” ओ बंधू…….
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जय श्री ब्रह्म ऋषि अंगिरा जी की
प्रस्तुतकर्ता दलीचंद जांगिड सातारा महाराष्ट्र
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