दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: समाज जाजम की महिमा

समाज की जाजम पर लिये गये समाज प्रगति के निर्णय सर्व सहमति से पास कराने के बाद कुछ कुछ समितियों में समाज के उपस्थित बंधूओं के हस्ताक्षर कराने की प्रथा भी देखने को मिलती है, ताकि कालांतर वाद विवाद का प्रसंग नही आता है। यह समाज की सर्व सहमति का सबूत होता है।

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✍ लेखक की कलम से……
समाज की जाजम महान् होती है..
सारा समाज जहा एक साथ आम सभा का आयोजन करता है, वह समाज के सभी आदरणीय बैठते है, वह अनेक समाज हित के निर्णय लिए जाते है, वहा पर जो आसन की व्यवस्था की जाती है वह समाज की जाजम कहलाती है।

समाज की जाजम महान् होती है..
इस समाज की जाजम पर समाज का हर व्यक्ति का हक्क (दर्जा) समान होता है, वह सभी समाज बंधूओं को अपने विचार रखने का हक्क यह समाज की जाजम प्रदान कराती है।

समाज की जाजम महान् होती है..
इस समाज की जाजम पर समाज के द्वारा मनोदित मान्यता प्राप्त कार्य समिती के द्वारा समाज की सलाह मशला करके एक प्रश्नावली तैयार कर समाज की जाजम पर समाज के अध्यक्ष की उपस्थिति में सचिव महोदय के द्वारा क्रमबद्ध प्रश्न प्रस्तुत किए जाते है , जिसका सम्पूर्ण समाज आवाजी मत प्रदर्शनकर या अपने हाथ ऊपर ऊठाकर मत प्रर्देशित कर अपनी स्विकृति देते है या फिर ना कहे जाने वाली स्थिति में आवाजी मत कार्य प्रणाली द्वारा या फिर सिर दाऐ व बाऐ हिलाकर नाकारात्मक मत प्रर्देशित करते है।

समाज की जाजम महान् होती है..
समाज की जाजम पर लिये गये समाज प्रगति के निर्णय सर्व सहमति से पास कराने के बाद कुछ कुछ समितियों में समाज के उपस्थित बंधूओं के हस्ताक्षर कराने की प्रथा भी देखने को मिलती है, ताकि कालांतर वाद विवाद का प्रसंग नही आता है। यह समाज की सर्व सहमति का सबूत होता है।

समाज की जाजम महान् होती है..
समाज की व्यवस्था चलाने हेतु वह भिन्न भिन्न प्रकार के खर्चो की आज्ञा समिति के द्वारा इसी जाजम पर सम्पूर्ण समाज के समक्ष स्विकृति ली जाती है।

समाज की जाजम महान् होती है..
समाज की आम सभा के दौरान समाज के किसी बंधू ने नियोजित प्रश्नों के अलावा कोई नया प्रश्न अगर पुछ भी लिया तो उस प्रश्न का उत्तर देना यह समाज के अध्यक्ष के कार्य क्षैत्र में आता है, सो उस प्रश्न का उत्तर समाज के अध्यक्ष साहब को देना होता है, सही उत्तर देकर समाज का समाधान कराना होता है।

समाज की जाजम महान् होती है..
यही वह पवित्र स्थान (समाज की जाजम) है जहा समाज में उच्च स्थान (कला, शिक्षा में) प्राप्त करने वालों का, धर्माचार्यों, प्रर्वचनकारों का, समाज के पदाधिकारियों का, भामाशाह का, कवि,लेखक, साहित्यकारों का व समाज में अग्रणीय समाज सेवकों का समाज के द्वारा स्वागत किया जाता है।

समाज की जाजम का धार्मिक महत्व
हर कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रर्जोलित कर हमारे समाज के वेदिक धर्मी पंडितों के द्वारा हमारे अग्रज ब्रह्मऋषि अंगिरा जी के अथर्ववेद की विद्या के श्लोक, प्रवचन, आरती गाई जाती है, जो सारा जांगिड ब्राह्मण समाज ध्यान लगाकर सुनते है वह इस विद्या को ग्रहण करते है, यही तो इस समाज की जाजम का धार्मिक महत्व कहलाता है, इसीलिए समाज की जाजम महान होती है।

समाज की जाजम महान् होती है..
समाज उत्थान के सभी प्रकार के निर्णय इसी समाज की जाजम पर लिये जाते है, यही समाज की लोकसभा होती है, यह होता है समाज की जाजम का महत्व, इस पर लिये गये निर्णय सभी को मंजूर होते है कारण लोकतंत्र की कार्य प्रणाली से प्रस्ताव को मंजूरी दी जाती है। यह होती है समाज जाजम की मान मर्यादा व यही समाज जाजम की परिभाषा हो सकती है।
इस समाज की जाजम को सभी समाज बंधू नमन: करके अपना स्थान ग्रहण करते है, यही समाज जाजम की प्राचीन मान्यता है जी।

जय श्री विश्वकर्मा जी री सा
लेखक: दलीचंद जांगिड सातारा महाराष्ट्र
मो: 9421215933

 

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