दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: सब कुछ बदल गया……..?
मेरा देश खेती प्रधान रहा, गोबर खाद से खेती होती थी।
सब कुछ बदल गया……..?
मेरा देश नदियों का देश है
पानी का यहां मोल होगा
बोतल में पानी 20/- का बिकेगा
मुझे नहीं पता था….
मेरा देश खेती प्रधान रहा
गोबर खाद से खेती होती थी
खेतों में युरिया खाद बिखेरेंगे
मुझे नहीं पता था….
मेरे खेतों में हरी सब्जीया होती थी
शहर के गंदे पानी में सब्जीया लगेगी
ऊपर से कीटनाशक का फव्वारे मारेंगे
मुझे नहीं पता था….
मेरे देश में नदियां खोदी रेती बेची
पहाड़ फोड़ा पत्थर खुब बेचा
इस तरह प्रकृति का प्रर्यावरण बिगाड़ेंगे
मुझे नहीं पता था….
चार पहिया वाहन दो चार थे मेरे देश में
भिन्न भिन्न कम्पनीयां आएगी मेरे देश में
सैकड़ो वाहन बनेंगे मेरे देश में
मुझे नहीं पता था….
खेती की जमीन कर आरक्षित
पेड़ पौधे काटे हजारों सैकड़ों
सिक्स ट्रेक हाईवे बनेंगे अनेक
मुझे नहीं पता था….
देश में हर खाद्य पदार्थ में मिलावट
मेरे देश के लोगों ने ही करी अतिभारी
आयु मेरी सौ से घटकर साठ हुई
मुझे इसका पता ही नहीं चला..
जब मैं बिमार पड़ा इस देश में
प्लाँट बेचा ईलाज के लिए
तब जमी से महंगी दवा हो गई
मुझे नहीं पता था….
दुनिया वालों मुझे बताओ
सुख चैन से सौ बर्ष रह पाऊं
इसका कोई तो मार्ग बताओं
मुझे नहीं यह समझ आया है..
दुनिया बारुद पर बैठी है
सिमा विवाद पर दुनिया अड़ी
तेरा मेरा करते सामने से लड़ी
मुझे नहीं पता चला था….
आओ प्रेम से जी लो चार दिन
यहा नहीं घर तेरा नहीं घर मेरा
चार दिन की है जिन्दगानी
अब मुझे यह पता चला….
लेखक/कवि: दलीचंद जांगिड सातारा महाराष्ट्र
मो: 9421215933
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