चुनाव आयोग: चुनावी पारदर्शिता पर संकट? कांग्रेस ने चुनाव आयोग और केंद्र पर लगाए गंभीर आरोप
खड़गे ने कहा कि कांग्रेस ने बार-बार चुनाव आयोग को वोटर लिस्ट से नाम हटाने और EVM में पारदर्शिता की शिकायत की, लेकिन आयोग ने उनकी शिकायतों को नजरअंदाज किया। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी चुनाव प्रक्रिया की सत्यनिष्ठा पर सवाल उठाते हुए कहा कि पारदर्शिता खत्म करने के लिए सरकार और चुनाव आयोग मिलकर नियमों में बदलाव कर रहे हैं।
नई दिल्ली, अजीत कुमार: वोटिंग नियमों में बदलाव को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी सरकार पर चुनाव आयोग (ECI) की स्वतंत्रता पर हमला करने का आरोप लगाया है। रविवार सुबह X पर पोस्ट करते हुए खड़गे ने कहा, “पहले सरकार ने CJI को चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाले पैनल से बाहर किया और अब चुनावी जानकारी जनता से छिपाने की कोशिश कर रही है। यह लोकतंत्र पर हमला है।”
कांग्रेस का आरोप
खड़गे ने कहा कि कांग्रेस ने बार-बार चुनाव आयोग को वोटर लिस्ट से नाम हटाने और EVM में पारदर्शिता की शिकायत की, लेकिन आयोग ने उनकी शिकायतों को नजरअंदाज किया। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी चुनाव प्रक्रिया की सत्यनिष्ठा पर सवाल उठाते हुए कहा कि पारदर्शिता खत्म करने के लिए सरकार और चुनाव आयोग मिलकर नियमों में बदलाव कर रहे हैं।
नियमों में बदलाव का कारण
केंद्र सरकार ने 20 दिसंबर को पोलिंग स्टेशन के CCTV, वेबकास्टिंग फुटेज और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे इलेक्ट्रॉनिक डॉक्यूमेंट्स को सार्वजनिक करने से रोकने के लिए कंडक्ट ऑफ इलेक्शन रूल्स-1961 के नियम 93(2)(A) में संशोधन किया।
चुनाव आयोग का कहना है कि यह कदम पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के एक फैसले की वजह से उठाया गया है, जिसमें हरियाणा विधानसभा चुनाव से जुड़े दस्तावेज साझा करने का निर्देश दिया गया था। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड सार्वजनिक करने का प्रावधान पहले से ही नहीं था और संशोधन से इसे स्पष्ट किया गया है।
चुनाव आयोग का पक्ष
चुनाव आयोग के अनुसार, नामांकन फॉर्म, चुनाव रिजल्ट और इलेक्शन अकाउंट जैसे कागजी दस्तावेज पब्लिक किए जाते हैं, लेकिन CCTV फुटेज और वेबकास्टिंग जैसे इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड इसके दायरे में नहीं आते। आयोग ने बताया कि ये ट्रांसपेरेंसी के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इन्हें सार्वजनिक करने का प्रावधान नहीं है।
कांग्रेस की कानूनी चुनौती
कांग्रेस ने इस बदलाव को लोकतंत्र विरोधी बताते हुए इसे अदालत में चुनौती देने की घोषणा की है। जयराम रमेश ने कहा कि चुनाव आयोग का यह कदम पारदर्शिता को कमजोर करने और जनता को चुनाव प्रक्रिया से दूर रखने का प्रयास है।
आगे की राह
यह मामला राजनीतिक बहस का बड़ा मुद्दा बन चुका है। कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र की नींव पर प्रहार बताया है, जबकि चुनाव आयोग और केंद्र सरकार इसे नियमों में स्पष्टता लाने के लिए आवश्यक कदम बता रहे हैं।
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