संविधान दिवस: संविधान की पवित्रता बनाए रखना युवा पीढ़ी की जिम्मेदारी: राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय
भारतीय संविधान लोकतांत्रिक आदर्शों और समावेशिता का प्रतीक है। यह विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच संतुलन स्थापित करता है और मौलिक अधिकारों के साथ वंचित वर्गों के लिए शिक्षा, समानता और सम्मान सुनिश्चित करता है।
सोनीपत, अजीत कुमार: हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने संविधान को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की आधारशिला बताते हुए इसे न्याय, समानता और स्वतंत्रता के सिद्धांतों का संरक्षक कहा। वह ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में संविधान दिवस पर आयोजित जिला स्तरीय कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान लोकतांत्रिक आदर्शों और समावेशिता का प्रतीक है। यह विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच संतुलन स्थापित करता है और मौलिक अधिकारों के साथ वंचित वर्गों के लिए शिक्षा, समानता और सम्मान सुनिश्चित करता है।
राज्यपाल ने युवाओं को संविधान की पवित्रता बनाए रखने का आह्वान करते हुए कहा कि इसे संरक्षित करना नई पीढ़ी की जिम्मेदारी है। उन्होंने विश्वविद्यालय में स्थापित संविधान संग्रहालय की सराहना करते हुए कहा कि इसकी प्रतिकृति हर राज्य और जिले में होनी चाहिए। यह छात्रों और आम जनता को संविधान की महत्ता से परिचित कराएगा।
राज्यपाल ने डॉ. बी.आर. अंबेडकर और संविधान सभा के अन्य सदस्यों के योगदान को याद करते हुए कहा कि यह संविधान 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता है।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सी. राज कुमार और रजिस्ट्रार प्रो. दबीरू श्रीधर पटनायक ने भी विचार साझा किए। विधायक कृष्णा गहलावत, निखिल मदान, पवन खरखौदा, देवेंद्र कादियान और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
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