सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ का विदाई समारोह: न्यायपालिका में नवाचारों और ऐतिहासिक फैसलों का स्मरण; जस्टिस संजीव खन्ना सुप्रीम कोर्ट के 51वें चीफ जस्टिस होंगे

इस अवसर पर उनके सहयोगी न्यायाधीशों, वरिष्ठ वकीलों और अगले सीजेआई बनने वाले जस्टिस संजीव खन्ना ने भी भाग लिया। जस्टिस खन्ना 10 नवंबर से देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश का पद संभालेंगे।

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नई दिल्ली, अजीत कुमार: भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को सेवानिवृत्त हो जाएंगे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में उनका आखिरी कार्यदिवस 8 नवंबर को था। इस दिन सुप्रीम कोर्ट में उनके सम्मान में सेरेमोनियल बेंच बैठी, जिसका लाइव प्रसारण भी किया गया। इस अवसर पर उनके सहयोगी न्यायाधीशों, वरिष्ठ वकीलों और अगले सीजेआई बनने वाले जस्टिस संजीव खन्ना ने भी भाग लिया। जस्टिस खन्ना 10 नवंबर से देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश का पद संभालेंगे।

CJI DY Chandrachud's farewell ceremony: Reminiscing about innovations and landmark judgments in the judiciary; Justice Sanjeev Khanna will be the 51st Chief Justice of the Supreme Court.
जस्टिस संजीव खन्ना सुप्रीम कोर्ट के 51वें चीफ जस्टिस होंगे

न्यायिक यात्रा और महत्वपूर्ण फैसले
जस्टिस चंद्रचूड़ का न्यायिक करियर 2016 में सुप्रीम कोर्ट में प्रमोशन के साथ शुरू हुआ। अपने कार्यकाल में वे 1274 बेंचों का हिस्सा रहे और 612 महत्वपूर्ण फैसले लिखे, जिनमें अनुच्छेद 370, राम मंदिर, वन रैंक-वन पेंशन, सीएए-एनआरसी, और सबरीमाला जैसे चर्चित मामले शामिल हैं। उन्होंने अपने आखिरी दिन भी 45 मामलों की सुनवाई की।

नवाचार और सुप्रीम कोर्ट में तकनीकी बदलाव
सीजेआई चंद्रचूड़ के कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट ने तकनीकी रूप से उन्नति की। ई-फाइलिंग, पेपरलेस सबमिशन, लाइव ट्रैकिंग, डिजिटल स्क्रीनिंग, वाई-फाई कनेक्टिविटी, और अदालतों से लाइव स्ट्रीमिंग जैसी पहलें उनकी पहल पर लागू की गईं। इससे न केवल न्याय प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ी, बल्कि न्यायालय का संचालन भी सरल हुआ।

सीजेआई चंद्रचूड़ का विशेष योगदान: 6 प्रमुख बिंदु

  1. पिता-पुत्र की न्यायिक विरासत:
    चंद्रचूड़ पिता-पुत्र की जोड़ी देश के न्यायिक इतिहास में पहली बार सीजेआई बने। उनके पिता, यशवंत विष्णु चंद्रचूड़, 16वें सीजेआई रहे थे।
  2. सुप्रीम कोर्ट का हाईटेक स्वरूप:
    उनके कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट डिजिटल और तकनीकी रूप से समृद्ध हुआ, जिससे न्यायालय का कार्यकुशलता बढ़ी।
  3. न्याय की देवी का प्रतीकात्मक रूपांतरण:
    सुप्रीम कोर्ट में ‘लेडी ऑफ जस्टिस’ का नया रूप स्थापित किया गया, जिसमें न्याय की निष्ठा को प्रतिविम्बित किया गया।
  4. अवकाश का नया कैलेंडर:
    छुट्टियों के नए कैलेंडर में “आंशिक न्यायालय कार्य दिवस” शब्द का प्रयोग किया गया। इस नियम से ग्रीष्म अवकाश के दिनों में भी न्यायाधीशों की भागीदारी सुनिश्चित हुई।
  5. अदालती बेंच की कुर्सियों में सुधार:
    जजों की बेंच पर एक जैसी कुर्सियां लगवाई गईं, जिससे अदालत में एकसमानता का संदेश गया।
  6. महाराष्ट्र के पुश्तैनी घर का संबंध:
    चंद्रचूड़ के पुश्तैनी निवास का नाम ‘चंद्रचूड़ वाड़ा’ है, जो पेशवा काल की याद दिलाता है।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को न्यायिक समुदाय की शुभकामनाएं
अटॉर्नी जनरल एआर वेंकटरमणी, कपिल सिब्बल, और अभिषेक मनु सिंघवी सहित वरिष्ठ वकीलों ने उनके निष्पक्ष और शांतचित्त न्यायाधीश के रूप में योगदान की सराहना की। उनकी न्यायिक क्षमता और शांत स्वभाव को उनके साथियों और वकीलों ने न्याय की एक अनूठी छवि के रूप में याद किया।

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