ब्रज में रही चेटीचण्ड पर्व की धूम: आयोलाल झूलेलाल से शुरू हुआ गुरूवार; सिंधीमय बनी श्रीकृष्ण नगरी
मीडिया प्रभारी किशोर इसरानी ने बताया कि सिंधी समुदाय की एक मात्र, एकता की प्रतीक “सिंधी जनरल पंचायत” ने विविध कार्यक्रम सांस्कृतिक एवं संगीतमय प्रस्तुतियों के साथ आयोजित किये, प्रतिभाशाली बच्चों व युवाओं का सम्मान तथा शहर में झूलेलाल की भव्य शोभायात्रा निकाल कर अपनी 73 वर्ष पूर्व की परम्परा को बनाये रखा, जिसे स्थानीय नागारिकों ने दिल से सराहा।
मथुरा: सिंधी जनरल पंचायत द्वारा वरूणावतार भगवान झूलेलाल का जन्मोत्सव हर्षोल्लास एवं धूमधाम के साथ मनाया गया, गुरूवार का दिन आयोलाल झूलेलाल के जयकारों से शुरू हुआ। ब्रज में सारा दिन चेटीचण्ड पर्व की धूम रही, जिसकी रौनक में शहर रंगा रहा। श्रीकृष्ण नगरी चहुंओर सिंधीमय नज़र आयी।
मीडिया प्रभारी किशोर इसरानी ने बताया कि सिंधी समुदाय की एक मात्र, एकता की प्रतीक “सिंधी जनरल पंचायत” ने विविध कार्यक्रम सांस्कृतिक एवं संगीतमय प्रस्तुतियों के साथ आयोजित किये, प्रतिभाशाली बच्चों व युवाओं का सम्मान तथा शहर में झूलेलाल की भव्य शोभायात्रा निकाल कर अपनी 73 वर्ष पूर्व की परम्परा को बनाये रखा, जिसे स्थानीय नागारिकों ने दिल से सराहा।
शहर में निकली आकर्षक शोभायात्रा
चेटीचण्ड पर्व का मुख्य आकर्षण भगवान झूलेलाल की भव्य शोभायात्रा रही, जो सेठ बाडे़ तिलक नगर से शुरू हुई। शोभायात्रा में सिंधी समुदाय की प्रसिद्व डंडेशाही का आकर्षक खास था, जिसमें संगीत की मधुर ध्वनि के साथ नाचते नौजवानों की लय कदम ताल तथा डण्डों की खनक का रोमांचकारी प्रदर्शन दर्शनीय था। स्थान-स्थान पर छोटे बच्चों द्वारा प्रस्तुत डंडेशाही का मनोरंजक तथा भावपूर्ण नजारा देखते को राह चलते लोग रूक गये, सभी ने डंडेशाही में करतब दिखाते युवकों की सराहना की।
मुख्य संयोजक रामचंद्र खत्री के नेतृत्व में निकली शोभायात्रा में सर्वप्रथम ध्वज लिए घुड़सवार, सफेद चूहे पर श्रीगणेश, सिंधी सपुत शहीद हेमू कालाणी, शिवजी की जटाओं में गंगा अवतार, मां शेरावाली, श्री बिहारी जी की शरण मीरा जी की झांकी तथा भगवान झूलेलाल की सजीली झांकिया प्रमुख थी, मध्य में दो बैण्ड, आगरा तथा मथुरा की नफीरी, झूलेलाल की अमर ज्योति, श्री नाथ जी का डोला तथा पंचमुखी ज्योति के साथ सकीर्तन करते श्रद्वालु भक्तजन व साधुजन चल रहे थे। अनूठे अंदाज की इस शोभायात्रा में बैण्डबाजों की मधुर स्वरलहरी तथा आयोलाल झूलेलाल के गगन भेदी जयकारों से वातावरण गूंज उठा। झांकियों के साथ-साथ सिंधी जनरल पंचायत के वरिष्ठ व वयोवृद्व कार्यकर्ता, पदाधिकारी एवं कार्यकारिणी के सदस्य बहुसंख्या में चल रहे थे। शोभायात्रा होली गेट, छत्ता बाजार, स्वामी घाट, चौक बाजार, घीया मंडी, कोतावाली रोड़ से होती हुई यमुना किनारे बंगाली घाट पर सम्पन्न हुई। शोभायात्रा का स्थान-स्थान पर नागरिकों, व्यापारियों तथा विभिन्न संस्थाओं द्वारा पुष्प वर्षा कर भावपूर्ण स्वागत किया गया तथा मीठा शर्बत व प्रसाद वितरण भी किया।
अप्सरा पैलेस में गूंजे झूलेलाल के तराने
चेटीचण्ड पर्व का मुख्य आकर्षण होली गेट स्थित अप्सरा पैलेस में दिखा। सिंधी समुदाय ने अपने इष्टदेव के जन्मोत्सव पर अपने प्रतिष्ठान बंद रखकर, सपरिवार भागीदारी की। अप्सरा पैलेस में सामुहिक सजातीय भण्डारा प्राप्तकर ‘‘आयोलाल-झूलेलाल‘‘ की मस्ती में हर कोई डूब गया।
सिन्धी बच्चों ने मन मोह लिया
सांस्कृतिक कार्यक्रमों में नन्हें मुन्ने बच्चों ने……… अद्भुत नृत्य नाटिकायें प्रस्तुत की। स्वयं को राष्ट्रीय धारा के साथ जोडते हुए सिंधी समुदाय के नन्हें मुन्ने बच्चों ने अपनी संस्कृति और सभ्यता एवं सिंधी बोली का अद्भुत प्रदर्शन कर सबका मन मोह लिया। हेमा देवानी, तनुजा मनसुखानी, भारती केवलानी के निर्देशन में बच्चों द्वारा प्रस्तुत नृत्य नाटिका बच्चों को खेलने और पढ़ने पर जोर दिया गया , वहीं देशभक्ति के गीतों की प्रस्तुति ने सभी की आंखें नम कर दी।
प्रतिभाशाली एवं रक्तदाता हुए सम्मानित
झूलेलाल जन्मोत्सव पर सिंधी जनरल पंचायत द्वारा सजातीय प्रतिभाशाली मेधावी छात्र-छात्राओं एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने वाले बच्चों और रक्तदाता युवक-युवतियों को प्रशस्ति पत्र व पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया।
कृष्णा नगर में प्रातकाल हुई कार्यक्रम की शुरुआत
झूलेलाल जन्मोत्सव पर रात 12 बजे तक होने वाले विविध कार्यक्रमों का आगाज गुरूवार को प्रातः 7 बजे कृष्णा नगर स्थित गुरूद्वारे के पास ओमप्रकाश बुधरानी के निवास स्थान 80 सी पर सिंधी पंडित मोहनलाल महाराज ने झूलेलाल की अमर ज्योत प्रज्जवलित करके किया, तदोपरांत सिंधी लोकगीत और झूलेलाल के तराने प्रस्तुत किये गए वहीं प्रसिद्ध डाडिया-डण्डेशाही का रोमांचक प्रदर्शन युवाओं द्धारा किया गया , जिसमे युवतियों ने भी डण्डेशाही की।
भगवान झूलेलाल ने अवतार लेकर पापियों का संहार नहीं किया
वरूणावतार भगवान झूलेलाल हीं एकमात्र ऐसे अवतार जिन्होंने पापियों का संहार नहीं किया बल्कि उनका हदय परिवर्तन कर उन्हें प्रेम शांति साम्प्रदायिक सद्भाव, एकता व अखण्डता का संदेश दिया। भगवान झूलेलाल के जीवन पर शोध कर चुके लेखक किशोर ईसरानी ने बताया कि अवतरण के बाद भगवान झूलेलाल ने मात्र 13 वर्ष तक की उम्र तक ही सिंधी समुदाय का मार्गदर्शन किया। संवत् 1007 (सन् 951ई) को जन्में वरूणावतार झूलेलाल संवत् 1020 (सन् 964 ई) के भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी पर जल
समाधि लेकर अंतर्धान हो गए। आज भी लाल साई की ज्योति जलती रहती है जो भगवान झूलेलाल की मौजूदगी का एहसास कराती है।
प्रतिष्ठान बन्द रख हुए एकत्रित
अपने इष्टदेव की जयंती पर सिंधी समुदाय के लोगों ने सपरिवार श्रद्वापूर्वक भक्ति भाव से इस आयोजन में भाग लिया। पुरूष महिलायें व बच्चों के अभूतपूर्व समागम के कारण होली गेट क्षेत्र में खास चहल पहल रही क्योंकि वर्ष में इसी दिन समस्त सजातीय लोग सामुहिक रूप से मिलते है, एक दूसरे के गले मिलकर बधाईयां देते हैं। सजातीय लोगों ने अपने-अपने प्रतिष्ठान बंद रखकर समारोह की गरिमा को बढाया। सिंधी समुदाय के सबसे बडे पर्व चेटीचण्ड झूलेलाल जयंती के अवसर पर श्री झूलेलाल पालिका बाजार तथा होली गेट वर विशेष सजावट की गयी जबकि तमाम लोगों ने अपने घरों में भी रोशनी की । सुबह 7 बजे से देर रात्रि तक निरंतर समाज के लोगों का उत्साह बना रहा, झूलेलाल जन्मोत्सव की समाप्ति अमर ज्योत के यमुना मे विसर्जन के साथ हुई।
सहयोग हेतु आभार
सिंधी जनरल पंचायत के अध्यक्ष नारायण दास लखवानी, मुख्य संयोजक रामचंद्र खत्री, बसंत मंगलानी, तुलसीदास गंगवानी, जीवतराम चंदानी, किशन भाटिया, गुरूमुखदास गंगवानी, प्रदीप उकरानी, गोपाल भाटिया, चंदनलाल आडवानी, जितेंद्र लालवानी, किशोर इसरानी, अशोक अंदानी, सुंदरखत्री, सुदामा खत्री, झामनदास नाथानी, पीताम्बर रोहेरा, सुरेश मेठवानी, कंहैयालाल भाईजी, लीलाराम लखवानी, अनिल मंगलानी, रमेश नाथानी, गिरधारी नाथानी, सुनील पंजवानी, भगवानदास बेबू , हरीश चावला, सुरेश मनसुखानी, विशनदास, वासदेव आदि ने सुरक्षा यातायात व्यवस्था हेतु पुलिस प्रशासन तथा शोभायात्रा के मार्ग की सफाई हेतु मथुरा वृन्दावन नगर निगम प्रशासन के साथ ही सभी सहयोगियों का आभार व्यक्त किया।
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