चंडीगढ़: हरियाणा के पास पहले से ही है पानी की किल्लत, राजस्थान को पानी देने का फैसला गलत- हुड्डा
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि जिस पानी को बीजेपी-जेजेपी सरप्लस बता रही है, वह हरियाणा के लिए जीवनदायनी साबित हो सकता है। इसी के मद्देनजर कांग्रेस कार्यकाल के दौरान दादूपुर-नलवी नहर परियोजना शुरू की गई थी, ताकि इससे वाटर रिचार्ज का कार्य हो और भूमिगत जलस्तर ऊपर आए।
- राजस्थान को पानी देकर हरियाणा के हितों से खिलवाड़ कर रही है बीजेपी-जेजेपी- हुड्डा
- पुराने कर्ज की किश्त चुकाने के लिए भी कर्जा ले रही सरकार, 4,51,368 करोड़ हुआ कुल कर्ज- हुड्डा
- बीजेपी-जेजेपी ने किया शिक्षा तंत्र का बंटाधार, प्रदेश के भविष्य को अशिक्षा के अंधेरे में धकेल रही सरकार- हुड्डा
चंडीगढ़, (अजीत कुमार): पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक बार फिर राजस्थान के साथ हुए नए जल समझौते पर आपत्ति दर्ज करवाई है। उन्होंने कहा कि हरियाणा पहले से ही पानी की किल्लत झेल रहा है। पंजाब से हरियाणा को जो पानी मिलना चाहिए था, वह आज तक नहीं मिला। उधर राजस्थान की तरफ से भी जल समझौते का उल्लंघन हो रहा है। ऐसे में हरियाणा का पक्ष मजबूती से रखने और हमारे जल संसाधनों की रक्षा करने की बजाय बीजेपी-जेजेपी सरकार प्रदेश के हितों से खिलवाड़ करके राजस्थान को पानी दे रही है।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि जिस पानी को बीजेपी-जेजेपी सरप्लस बता रही है, वह हरियाणा के लिए जीवनदायनी साबित हो सकता है। इसी के मद्देनजर कांग्रेस कार्यकाल के दौरान दादूपुर-नलवी नहर परियोजना शुरू की गई थी, ताकि इससे वाटर रिचार्ज का कार्य हो और भूमिगत जलस्तर ऊपर आए। लेकिन पहले बीजेपी ने सरकार में आते ही दादूपुर-नलवी परियोजना को बंद कर दिया और अब हरियाणा का पानी भी राजस्थान को दे रही है। कांग्रेस इसका विरोध करती है।
हुड्डा चंडीगढ़ आवास पर पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि गठबंधन सरकार ‘कर्जा लो और घी पियो’ वाली चार्वाक की नीति पर चल रही है। इस सरकार ने प्रदेश को पांव से लेकर सिर तक कर्ज में डुबो दिया है। सरकार द्वारा बजट में कुल कर्ज 3,17,982 करोड़ रुपए दिखाया गया है जबकि आज प्रदेश पर कुल 4,51,368 करोड़ रुपए (आंतरिक कर्ज- 3,17,982, स्मॉल सेविंग- 44000, बॉर्ड व कॉरपोरेशन- 43,955, बकाया बिजली बिल व सब्सिडी- 46,193) का कर्जा हो चुका है। 2024-25 के लिए भी 67,163 करोड रुपए लोन लेने का ऐलान किया गया है। वहीं, पिछले लोन और उसके ब्याज का भुगतान करने पर ही 64,280 करोड़ रुपया खर्च होगा। यह नए कर्ज का 95.7 प्रतिशत हिस्सा है। यानी पुराने कर्जे की किश्त चुकाने के लिए भी इस सरकार को नया कर्जा लेना पड़ रहा है।
इतना ही नहीं, मौजूदा सरकार के पास कोई विकास कार्य करवाने या नई परियोजना का भी बजट नहीं है। सरकार द्वारा बजट में दावा किया गया है कि वो 55,420 करोड़ पूजीगत निर्माण में व्यय करेगी। जबकि कर्ज की किश्त व पेशगी घटाकर यह सिर्फ 16,281 करोड़ रुपया ही बचता है, जोकि कुल बजट का मात्र 8.5 प्रतिशत है। इस सरकार द्वारा हर साल इनफलेटेड बजट पेश किया जाता है, जो रिवाइज बजट में घट जाता है।
पहली क्लास में सरकारी स्कूलों के दाखिलों में 52 प्रतिशत की कमी पर टिप्पणी करते हुए हुड्डा ने कहा कि उच्च शिक्षा में भी ड्रॉप आउट रेट बड़ी मात्रा में बढ़ा है। क्योंकि मौजूदा सरकार ने पूरे शिक्षा तंत्र का बंटाधार कर दिया है। ये सरकार प्रदेश के भविष्य को अशिक्षा के अंधेरे में धकेल रही है। हिमाचल राज्यसभा चुनाव को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में हुड्डा ने कहा कि बतौर पर्यवेक्षक उन्होंने कांग्रेस के सभी पक्षों से बात की। वहां पर स्थिति सामान्य है। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और यह सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी। इसमें किसी को संदेह नहीं होना चाहिए।
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