चंडीगढ़: कांग्रेस ने किरण चौधरी पर विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को बताया असंवैधानिक
हमद ने कहा कि संविधान की दसवीं अनुसूची स्पष्ट रूप से कहती है कि किसी पार्टी के सदस्य के इस्तीफा देने पर उसकी सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाती है। इसके लिए किसी अतिरिक्त कानून या नियम की आवश्यकता नहीं होती।
- स्पीकर ने विपक्ष की याचिका को खारिज करके संविधान की दसवीं अनुसूची की अवहेलना
- संविधान की दसवीं अनुसूची की अवहेलना के लिए नहीं है कोई कानून
- स्पीकर के इस व्यवहार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी कांग्रेस पार्टी – बतरा
चंडीगढ़, (अजीत कुमार): कांग्रेस विधायक दल के चीफ विहिप भरत भूषण बत्तरा और विधायक दल के उपनेता अफताब अहमद ने चंडीगढ़ कांग्रेस कार्यालय पर संयुक्त प्रेसवार्ता में पूर्व कांग्रेस विधायक किरण चौधरी के खिलाफ दायर दल-बदल विरोधी याचिका को खारिज करने के विधानसभा अध्यक्ष के फैसले की कड़ी आलोचना की। इस दौरान हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के मीडिया एवं कम्यूनिकेशन इंचार्ज चांदवीर हुड्डा भी उपस्थित थे।
उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने विपक्ष की याचिका को तकनीकी आधार पर खारिज करके संविधान की दसवीं अनुसूची का उल्लंघन किया है। स्पीकर के फैसले को संविधान और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के विपरीत बताते हुए उन्होंने इसे अज्ञानता और संविधान के साथ खिलवाड़ का प्रतीक कहा।
अहमद ने कहा कि संविधान की दसवीं अनुसूची स्पष्ट रूप से कहती है कि किसी पार्टी के सदस्य के इस्तीफा देने पर उसकी सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाती है। इसके लिए किसी अतिरिक्त कानून या नियम की आवश्यकता नहीं होती। उन्होंने आरोप लगाया कि स्पीकर ने सुप्रीम कोर्ट के लैंडमार्क फैसले के बावजूद अपने पद का दुरुपयोग किया है और किरण चौधरी की सदस्यता को अवैध रूप से बनाए रखा है।
उन्होंने बताया कि स्पीकर ने याचिका को केवल इस आधार पर खारिज किया कि उस पर हस्ताक्षर नहीं थे, जबकि संविधान में ऐसी कोई शर्त नहीं है। पार्टी ने सभी आवश्यक दस्तावेज और एफिडेविट स्पीकर को मुहैया कराए थे। इसके बावजूद स्पीकर ने विपक्ष का पक्ष नहीं लिया और सत्ता पक्ष के प्रति झुकाव दिखाया।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि स्पीकर के इस असंवैधानिक फैसले के खिलाफ पार्टी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगी। उन्होंने कहा कि स्पीकर का कर्तव्य है कि वह निष्पक्षता से कार्य करें, लेकिन उन्होंने इस मामले में संविधान की अवहेलना की है। कांग्रेस ने स्पीकर के व्यवहार की कड़ी निंदा की और इसे न्याय और संविधान के खिलाफ बताया।
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