चंडीगढ़: अग्निपथ योजना वापस ली जाए और सेना में रेगुलर भर्ती शुरू करे सरकार – दीपेन्द्र हुड्डा

अग्निपथ योजना की घोषणा थल सेना के लिए तो हैरान करने वाली थी, लेकिन नौसेना और वायु सेना के लिए ये एक झटके की तरह आई। कांग्रेस पार्टी का ‘जय जवान अभियान’ देश के युवाओं के साथ हुए अन्याय के खिलाफ न्याय की लड़ाई है, जिसकी गूंज आज पूरे देश में सुनाई दे रही है।

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  • अग्निपथ योजना लागू होने से पहले सेना में चयनित सभी 1.5 लाख युवाओं की तत्काल ज्वाइनिंग दे सरकार – दीपेन्द्र हुड्डा
  • कांग्रेस सरकार बनने पर भर्ती अग्निवीरों को रेगुलर सैनिक के तौर पर बदल देंगे और फौज में पहले की तरह रेगुलर भर्ती शुरू करेंगे – दीपेन्द्र हुड्डा
  • सरकार बताए किसकी मांग पर अग्निपथ योजना लाई गई, कान्ट्रैक्चुअल फौज की मांग किसने की – दीपेन्द्र हुड्डा
  • अग्निपथ योजना के दुष्परिणाम अब एक-एक कर सामने आ रहे हैं, एक तिहाई अग्निवीर ट्रैनिंग बीच में ही छोड़कर वापस लौट रहे – दीपेन्द्र हुड्डा  
  • फौज में भर्ती होकर जो नौजवान देश की सीमाओं की रक्षा करते थे, वो आज डंकी के रास्ते दूसरे देशों की सीमाओं पर अवैध तरीके से जाकर मजदूरी करने को मजबूर – दीपेन्द्र हुड्डा

चंडीगढ़, (अजीत कुमार): सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने आज अखिल भारतीय कॉंग्रेस कमेटी मुख्यालय पर प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए सरकार से अग्निपथ योजना वापस लेकर सेना में रेगुलर भर्ती शुरू करने के साथ ही अग्निपथ योजना लागू होने से पहले सेना में चयनित सभी 1.5 लाख युवाओं की तत्काल ज्वाइनिंग देने की मांग की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार बनने पर सेना में भर्ती अग्निवीरों को रेगुलर सैनिक के तौर पर पक्का करेंगे और फौज में पहले की तरह रेगुलर भर्ती शुरू करेंगे। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि आखिर किसकी मांग पर अग्निपथ योजना लायी गयी? कान्ट्रैक्चुअल फौज की मांग किसने की? क्योंकि न तो देश की फौज की तरफ से ये मांग आई, न देश के नौजवान ने इसकी मांग की और न ही किसी राजनीतिक दल ने ऐसी मांग की। जबकि, पूर्व सेना प्रमुख जनरल नरवणे ने तो कहा कि अग्निपथ योजना की घोषणा थल सेना के लिए तो हैरान करने वाली थी, लेकिन नौसेना और वायु सेना के लिए ये एक झटके की तरह आई। कांग्रेस पार्टी का ‘जय जवान अभियान’ देश के युवाओं के साथ हुए अन्याय के खिलाफ न्याय की लड़ाई है, जिसकी गूंज आज पूरे देश में सुनाई दे रही है।

अग्निपथ स्कीम ने देश की सेना को 2 हिस्‍सों में बांटने का किया काम 

दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री ने रेवाड़ी में वन रैंक वन पेंशन की घोषणा की लेकिन सरकार बनने के बाद नो रैंक नो पेंशन वाली अग्निपथ योजना ले आये। सरकार के इस फैसले के दुष्परिणाम एक एक करके सामने आ रहे हैं। इस योजना के जरिए सरकार ने शहीद – शहीद में फर्क कर दिया। अग्निपथ स्कीम के जरिए बीजेपी सरकार ने देश की सेना को 2 हिस्‍सों में बांटने का काम किया है – नियमित सैनिक और अग्निवीर सैनिक। एक अग्निवीर सैनिक व एक नियमित सैनिक की शहादत होने पर शहीद के परिवार को मिलने वाली अनुग्रह राशि में भारी अंतर है और अग्निवीर शहीद को सरकार शहीद का दर्जा भी नहीं दे रही है। शहादत होने पर उनके परिवार को पेंशन या सैन्य सेवा से जुड़ी कोई और सुविधा भी नहीं मिल रही है। अग्निवीर सैनिक को ड्यूटी के दौरान ग्रेच्युटी व अन्य सैन्य सुविधाएं और पूर्व सैनिक का दर्जा व पूर्व सैनिक को मिलने वाली सुविधाएं मिलने का भी कोई प्रावधान नहीं है। यही कारण है कि भर्ती हुए अग्निवीरों में इतनी निराशा, हताशा और रोष है कि एक तिहाई अग्निवीर ट्रेनिंग बीच में ही छोड़कर वापस घर लौट रहे हैं। 4 साल बाद बिना पेंशन घर वापस लौटने वाले अग्निवीरों के लिए भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय का बयान आया कि उन नौजवानों को भाजपा कार्यालय के बाहर चौकीदार लगा देंगे। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि भाजपा नेताओं ने सेना पर राजनीति तो बहुत की, लेकिन देशभक्ति की उस पवित्र भावना को कभी नही समझ सके जो उस युवा के रक्त में बह रही है जो फ़ौज में भर्ती होने के लिए सुबह 4 बजे दौड़-कसरत पर निकलता है।

फौज का मनोबल तोड़ रही मोदी सरकार 

उन्होंने कहा कि फौज में भर्ती होकर जो नौजवान देश की सीमाओं की रक्षा करता था वो आज डंकी के रास्ते दूसरे देशों की सीमाओं पर अवैध तरीके से जाकर मजदूरी करने को मजबूर है। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि अभी तक हर साल फ़ौज में 60 से 80 हज़ार पक्की भर्तियाँ होती थीं, अग्निपथ योजना लागू होने के बाद ये भर्ती घटकर करीब 40-50 हज़ार रह जाएगी, जिसमें से 75% अग्निवीरों को 4 साल बाद निकाल दिया जायेगा इस हिसाब से अगले 15 साल में हिन्दुस्तान की करीब 14 लाख की फ़ौज का संख्याबल घटकर आधे से भी कम रह जायेगा। वहीं, हरियाणा में हर साल करीब 5500 पक्की भर्ती होती थी, जो घटकर सिर्फ 964 रह जायेगी, इसमें भी 4 साल बाद सिर्फ 210 पक्के होंगे। ऐसा करने से दुनिया की सबसे ताकतवर फौज में से एक भारतीय फौज न सिर्फ कमजोर होगी बल्कि बेरोजगारी और ज्यादा बढ़ेगी। ऐसी हालत में जहां देश के चारों तरफ दुश्मन बैठे हों वहाँ फौज का कमजोर होना राष्ट्र हित में नहीं है।

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