चैंपियन का स्वागत: जोर्डन से स्वर्ण पदक जीत कर लौटे अनिरुद्ध गुलिया का दिल्ली हवाई अड्डे पर भव्य स्वागत
मंगलवार को जब अनिरुद्ध और अभिमन्यु ने 70 किलोग्राम भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर हवाई अड्डे के टर्मिनल 3 पर कदम रखा, तो ढोल-नगाड़ों और लड्डुओं से उनका स्वागत हुआ। इस मौके पर देश-विदेश के लोग भी शामिल हुए।
गन्नौर, (अजीत कुमार): जोर्डन में आयोजित अंडर-23 एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में 125 किलोग्राम भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर स्वदेश लौटे अनिरुद्ध गुलिया का दिल्ली हवाई अड्डे पर खेल प्रेमियों ने भव्य स्वागत किया। मंगलवार को जब अनिरुद्ध और अभिमन्यु ने 70 किलोग्राम भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीतकर हवाई अड्डे के टर्मिनल 3 पर कदम रखा, तो ढोल-नगाड़ों और लड्डुओं से उनका स्वागत हुआ। इस मौके पर देश-विदेश के लोग भी शामिल हुए।
इस स्वागत समारोह में संदीप गुलिया, सतेंद्र, महावीर विकास मलिक, कोच जूनियर वारंट ऑफिसर जयवीर गुलिया, कोच जयवीर दहिया, कोच नरेंद्र खुड्डन, कोच नरेश मान, सुंदर, पुरखास राठी सरपंच प्रतिनिधि सुनील जांगड़ा, छत्रसाल स्टेडियम के पद्मश्री सतपाल पहलवान, ललित कोच, अनिरुद्ध गुलिया और अभिमन्यु शामिल हुए। हरियाणा के युवा कांग्रेस खेल प्रकोष्ठ के पूर्व उपाध्यक्ष राजेश पहलवान पुरखासिया ने अनिरुद्ध की उपलब्धियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि अनिरुद्ध के पिता, दादा और पड़दादा भी पहलवान रहे हैं, और यह खेल उसे विरासत में मिला है। उनके पिता बलवान गुलिया का सपना था कि उनका बेटा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहलवानी में नाम कमाए और आज अनिरुद्ध ने यह सपना पूरा कर दिखाया। इससे बलवान की आत्मा को शांति मिलेगी कि उनके वंशज ने घर, परिवार, गांव, प्रदेश और देश का नाम ऊंचा किया है।
अनिरुद्ध ने बताया कि उसने अपनी पहली कुश्ती उज्बेकिस्तान के पहलवान को 5-0 से, दूसरी कुश्ती कजाकिस्तान के पहलवान को 4-1 से हराई। फाइनल मुकाबले में उसने सीरिया के पहलवान को 10-0 से हराकर स्वर्ण पदक जीता। तीनों मुकाबलों में उसे तगड़े पहलवानों का सामना करना पड़ा, लेकिन संकल्प, सजगता और जागरूकता ने उसे यह सफलता दिलाई।
कामयाबी के कदम: पहलवान अनिरुद्ध गुलिया ने जॉर्डन में जीता गोल्ड; पुरखास गांव और देश में खुशी की लहर
अनिरुद्ध के कोच जयवीर दहिया ने कहा कि अनिरुद्ध ने जो प्रशिक्षण यहां प्राप्त किया, उसे उसने वहां लागू किया और इसीलिए सफल हुआ। कोच नरेंद्र खुड्डन का कहना है कि अनिरुद्ध के अंदर अनुशासन, समर्पण और दृढ़ इच्छाशक्ति का शानदार मेल है, जो उसकी सफलता का मूल मंत्र है। एयरफोर्स के कोच जयवीर गुलिया ने कहा कि अनिरुद्ध गांव पुरखास से हैं और पुरखास के पहलवानों ने सच्चे संकल्प के साथ जब भी लंगोटी बांधी और मेहनत की तो उसे सफलता मिली है।
अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से विजेता पहलवान और उनके कोच छत्रसाल स्टेडियम पहुंचे, जहां सैकड़ों पहलवानों ने इस खुशी के मौके पर जश्न मनाया। छत्रसाल स्टेडियम से चार पहलवान जॉर्डन गए थे और दो पहलवानों ने स्वर्ण पदक जीते, जो एक बड़ी उपलब्धि थी। इस जश्न के माहौल में सबके चेहरों पर मुस्कान थी।
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