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प्रकाशचंद जांगिड़

मारवाड़ी कवि प्रकाश चन्द जांगीड़ की कलम से गद्य,पद्य मिश्रण भाषा-मारवाड़ी: ओपी सुदार-सुदार करता-करता…

गद्य,पद्य मिश्रण भाषा-मारवाड़ी ओपी सुदार-सुदार करता-करता खुद विगड़ रिया हो। कीकर तो इउ! एक दूजा ने देखी-देखी ने बळो, बोलवाराफोडा पड़े, आवे जिउ ई अडिगा ठोक दो। कोई की केवा री कोशस करें, उण उ पेला उण री वात काट दो। विना समजिया…
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मारवाड़ी कवि प्रकाश चन्द जांगीड़ की कलम से: चाहे कहि भी जाना

कविता कवि : प्रकाश चन्द जांगीड़ "पिड़वा" चाहे कहि भी जाना, पर किसी की मौत का मजाक बनाने मत जाना। जाओ तो फिर बनावटी नैतिकता का पाठ न पढ़ाना। समय चला जायेगा लेकिन भूलेगा नही तुम्हे जमाना। भूल जो हुई इक बार तो चलेगा न फिर कोई बहाना।…
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मारवाड़ी कवि प्रकाश चन्द जांगीड़ की कलम से: ओ हियाळो ठंडो घणो।

मारवाड़ी कविता  ओ हियाळो ठंडो घणो। अबकी छाती भरगी, ओ काई कोम करगी, छिकों ऊपर छिकों, थे आजकल नी दिको, धासी ऊपर धासी, कद उनो-उनो आसी, हपीड हियाळो ने होगरा, ठोके देको डोकरा, बारे जावो तो डर आवे, लोग हीदो करोना वतावे ओ…
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