Browsing Category
दलीचंद जांगिड
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: ह्रदय स्पर्श गीत
ह्रदय स्पर्श गीत.......
======================
क्षण भंगूर काया, तू कहा से लाया।
तुरुवन समझाया, पर समज ना पाया।।
ये सास नी घोड़ी, चलती रुक थोड़ी ।
चल चल रुक जावे, क्या खोया पाया।।
क्या लेके आयो जग में,
क्या लेके जाएगा।
"" "" ""…
Read More...
Read More...
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: ज्ञान चक्षु खुले तो बेड़ा पार……
ज्ञान चक्षु खुले तो बेड़ा पार......
****************************
कवि के मन के तल से उठने वाले भाव व साधना प्रसाद के रुप में लिख दी बात लाख मोल की.....
किसी भी जप तप माला आसन ध्यान के लंबे आचरण के उपरान्त साधना में लीन ध्नास्थ अवस्था के…
Read More...
Read More...
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: मैं निकला था एक शहर की ओर…..
मैं निकला था एक शहर की ओर.....
...................................................................
मैं पाली का रहने वाला हूं....
पाली के (खौड) गीत गाता हूं......
1200 K. M. दूर वीराने में
पाली तेरी याद आती है.....
कितनी नदीया,…
Read More...
Read More...
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: स्वदेशी की पुकार
स्वदेशी की पुकार
=======================
ओ परदेशी ओ परदेशी......
हमे भूल ना जाना
कभी तुम भी स्वदेशी थे
दूर देश जाकर हो गये परदेशी
कभी हम साथ साथ
गांव में खेला करते थे
सुबह लड़ाई करते
शाम तक दोस्ती कर लेते थे
याद करो वो दिन भाई…
Read More...
Read More...
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: कलयुग में मौन हो गई रिश्तेदारी
Read More...
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: उठ उठ रे 3 चन्द्र यान प्यारे….
उठ उठ रे 3 चन्द्र यान प्यारे....
*****************************
उठ उठ रे बाळ गोपाळ"चन्द्रयान"प्यारे,
भाष्कर तूझे जगाने आया है !!
भोर भई लालिमा निकल आई है,
पंछीयों ने भरी उड़ान,गीत मधुर सुनाए,
दुध से भरी है कटोरी,
दुध में पड़ीया…
Read More...
Read More...
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: गणेश चतुर्थी उत्सव
गणेश चतुर्थी उत्सव
******************************
आले रे आले गणपती बापा आले
दहा दिवस भक्तिमय सुखा चे झाले
गणपती बापा आमचा घरी आले
जय हो गणपती बापा मोरया मोरया
करु मन लावून सगळे तुझी सेवा
मिळे अम्हाला मन चाही प्रसाद मेवा…
Read More...
Read More...
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: हिन्दी दिवस
हिन्दी में लिखी गई कविताओं का अपना अलग से एक स्थान होता है।
उर्दू मे गीत गझल नगमे शेर शायरी यह उनकी जगह पर है दोनो के श्रौता गण भी अलग से है।
*पर हिन्दी की क्या बात करु, जब भी हिन्दी में कविता लिखता हूं तब जो मां के गोद मे नन्हा सा बालक…
Read More...
Read More...
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: जिद्द ओर परिश्रम
Read More...
दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से: समाज जाजम की महिमा
Read More...