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दलीचंद जांगिड

कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से : कवि, साहित्यकार व पत्रकार, पत्रकारिता की परिभाषा

समाज को क्यूँ जरुरत है कवि, साहित्यकारों की, जानिए एक लेखक के विचार..... मुंबई : कवि, साहित्यकार एक प्रबुद्ध ज्ञानी विचार धारा होती है जो समाज में चल रहे रीति रिवाजों व नियमों के अनुरूप ही अपनी लेखनी से कागज पर अंकित कर समाज के सामने पेश…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से : प्रार्थना समाज प्रगति की लिखता हूं

प्रार्थना समाज प्रगति की लिखता हूं एक समाज मुख्या के मन के भाव, कवि कलम लिख देती है.... प्रार्थना समाज प्रगति की.. समाज विकास के लिए, विश्वकर्मा जी से वरदान मांगता हूं.... समाज विकास के लिए, गुरुजनों से आशिर्वाद मांगता…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से : कविता अमर रहती है

कविता अमर रहती है लोग कहते है कविता समय बर्बाद करती है, ये क्या कम है कि कवि जाने के बाद दुनिया याद करती है !! कविता व लेख लिखना ये हंगामा खड़ा करना मकसद नही है मेरा, समाज में प्रगति की लहर दोड़ी चली आएं !! ये उद्देश्य है…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से : कवि को कभी अलविदा मत कहना

कवि को कभी अलविदा मत कहना कवि तन से बुढ़ा भले ही हो जाएं कवि कविताओं से हर दिन हर पल यौवन पाता रहता है समय का रथ चलता रहता है कवि कविताओं के रस में पल पल बहता रहता है कवि का मन समय की हवाओं में पल पल बहता रहता है बुढ़ापा काल की…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से : आवाज बुलंद करो

आवाज बुलंद करो एक ही नारा है हमारा अब तो हमें पानी चाहिए.... हम सब एक है हम सब साथ साथ है आवाज बुलन्द करो हमे पीने का पानी चाहिए.... हमें जीने का मानवी अधिकार आम आदमी का  चाहिए कलकारखानों की निर्मिती चाहिए ईन दो हाथो को काम…
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कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों की कलम से : चिन्ता करता हूं भावी पीढ़ियों की

नई दिल्ली: पुणे में हुए जांगिड ब्राह्मण समाज के विश्वकर्मा मंदिर के हाँल के पडाल में महासभा का महा मेळावा (पांच जिलो का स्नेह मिलन समारोह) में कवि दलीचंद जांगिड सातारा वालों ने एक अनोखी कविता जो राजस्थान में पानी की कमी के चलते केन्द्रीय…
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